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    Home»Political Science»World Politics»Types of Government: सरकार के प्रकार
    World Politics

    Types of Government: सरकार के प्रकार

    By NARESH BHABLASeptember 5, 2020Updated:May 21, 2021No Comments5 Mins Read
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    Types of Government
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    Types of Government

    Page Contents

    • Types of Government (सरकार के प्रकार)
      • लोकतंत्र, अधिनायकतंत्र, संसदात्मक, अध्यक्षात्मक, एकात्मक एव संघात्मक
        • 1. लोकतंत्र(Democracy)
        • 2. एकात्मक शासन
        • 3. संघात्मक शासन
        • 4. संसदात्मक शासन प्रणाली
        • 5. अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली
        • अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं

    Types of Government (सरकार के प्रकार)

    लोकतंत्र, अधिनायकतंत्र, संसदात्मक, अध्यक्षात्मक, एकात्मक एव संघात्मक

    1. लोकतंत्र(Democracy)

    डेमोक्रेसी सब्द की उतपति ,ग्रीक भाषा के शब्द डेमोस ओर क्रेशिया से हुई है। डेमोस का अर्थ है, लोग तथा क्रेशिया का अर्थ ,शासन से है।अतः लोकतंत्र का आशय लोगो के शासन से है। अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपने ‘गेटिसबर्ग’भाषण में लोकतंत्र को “जनता का शासन ,जनता के द्वारा,जनता के लिए “रूप में परिभाषित किया ।

    लोकतंत्र की परिभाषा

    • सिले के अनुसार,‘लोकतंत्र, ऐसी सरकार है, जिसमे सभी का हिस्सा होता है।’
    • ब्राइस के अनुसार, ‘लोकतंत्र, लोगो का शासन है, जिसमे लोग संप्रभु इच्छा को वोट के रूप में व्यक्त करते है। ‘
    • डायसी के अनुसार, ‘लोकतंत्र ,इस शासन है, जिसमे देश का बड़ा भाग शासन करता है ।’

    Types of GovernmentTypes of Government

    लोकतंत्र का दार्शनिक आधार(मूल्यों के रूप में लोकतंत्र)

    1.व्यक्ति को एक ईकाई मानना ।
    2.व्यक्ति की गरिमा में विश्वास।
    3.लोगो को स्वतंत्रता व अधिकार प्रदान करना।

    लोकतंत्र, समाज के रूप में

    1.जाती,लिंग व धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नही करना।

    2. समाज मे विशेसधिकारो को समाप्त करना ।

    2. एकात्मक शासन

    एकात्मक शासन में शासन की सभी शक्तियों का केंद्रीकरण केंद्र सरकार के पास होता है।

    लक्षण- शक्तियों का केंद्रीकरण इकाइयां केंद्र सरकार के प्रतिनिधि एवं लचीला संविधान।

    गुण

    • प्रशासन में एकरूपता।
    • सरल शासन व्यवस्था।
    • संघर्ष रहित शासन व्यवस्था।
    • कुशल एवं प्रशासन दृढ़।
    • मितव्यता।
    • लचीलापन।
    • राष्ट्रीय एकता।
    • संकट काल में अधिक उपयुक्त।
    • सुदृढ़ विदेश नीति।

    दोष

    • केंद्रीय सरकार के निरंकुश होने का भय ।
    • प्रशासनिक दक्षता का अभाव।
    • नौकरशाही का शासन।
    • लोकतंत्र विरोधी।
    • विशाल राज्यों के लिए उपयुक्त नहीं।
    • जनता की उदासीनता।
    • स्थानीय स्वशासन की उपेक्षा।

    3. संघात्मक शासन

    इसमें शासन की शक्तियों का केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन पाया जाता है।

    प्रमुख लक्षण- लिखित कठोर एवं सर्वोच्च संविधान शक्तियों का विभाजन और स्वतंत्र न्यायपालिका।

    संघात्मक शासन के गौण लक्षण

    दोहरी नागरिकता ,द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका ,संप्रभुता का दौहरा प्रयोग ।

    गुण

    • राष्ट्रीय एकता एवं स्थानीय स्वायत्तता।
    • केंद्रीयकरण और विकेंद्रीकरण का समन्वय।
    • प्रशासनिक दक्षता।
    • विशाल राज्यों के लिए नितांत अनुपयुक्त।
    • निर्मल राज्यों को शक्तिशाली बनाने की पद्धति।
    • राजनीतिक चेतना।
    • शासन निरंकुश नहीं होता।
    • समय और धन की बचत।
    • अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रतिष्ठा।
    • लोकतांत्रिक शासन के अनुकूल व्यवस्था।

    संघात्मक शासन के दोष

    • कमजोर शासन।
    • देश की एकता को खतरा।
    • संकट काल के समय उपयुक्त नहीं।
    • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर व्यवस्था।
    • राज्यों के अलग होने की आशंका।
    • न्यायपालिका का रूढ़िवादी होना।

    अर्ध संघात्मक व्यवस्था

    ऐसी व्यवस्था जिसमें संघात्मक शासन के साथ-साथ एकात्मक शासन के लक्षणों का भी होना पाया जाता है। जैसे भारत

    4. संसदात्मक शासन प्रणाली

    संसदीय शासन प्रणाली की परिभाषा – संसदात्मक शासन वह शासन प्रणाली है जिसमें कार्यपालिका पर व्यवस्थापिका का नियंत्रण होता है। इस प्रणाली में कार्यपालिका व्यवस्थापिका की एक ऐसी समिति होती है जो उसी में से ली जाती है और उसी के प्रति उत्तरदाई होती है।

    इसके अतिरिक्त क्योंकि इसके अंतर्गत कार्यपालिका की शक्ति एक व्यक्ति मैं निहित न होकर एक समिति में निहित होती है और राज्य का मुख्य कार्यपालक केवल नाममात्र का शासक होता है। संसदीय प्रणाली को उत्तरदाई शासन का प्रकार भी कहते हैं क्योंकि इसके अंतर्गत कार्यपालिका व्यवस्थापिका व जनता के प्रति उसी प्रकार उत्तरदाई होती है जिस प्रकार एक एजेंट अपने मालिक के प्रति अथवा कर्मचारी अपने स्वामी के प्रति उत्तरदाई होता है।

    संसदीय शासन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं-

    1- वास्तविक व नाममात्र कार्यपालिका का भेद – इस शासन में कानूनी रूप से मुख्य कार्यपालक केवल नाम मात्र की कार्यपालिका होती है जब की वास्तविक कार्यपालक कैबिनेट अर्थात मंत्री मंडल होता है। उदाहरण के लिए इंग्लैंड के राजा भारत के राष्ट्रपति नाममात्र कार्यपालिका है व मंत्रिमंडल वास्तविक कार्यपालिका।

    2 – कार्यपालिका व्यवस्थापिका के संबंध में घनिष्ठता – संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका एक दूसरे से पृथक न होकर परस्पर घनिष्ठ रूप से संबंधित होती है। वास्तविक कार्यपालिका की नियुक्ति नाममात्र के कार्यपालक द्वारा व्यवस्थापिका के सदस्य में से की जाती है और वह व्यस्थापिका के प्रति अपने कार्य एवं नीतियों के प्रति उत्तरदाई होती है।

    3 – कार्यपालिका का कार्य कार्यकाल अनिश्चित।

    4 – कार्यपालिका व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई।

    5 – मंत्री परिषद का व्यवस्थापिका के निम्न सदन के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व।

    6 – प्रधानमंत्री का नेतृत्व ( मंत्री परिषद सहित प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालिका )।

    5. अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली

    परिभाषा – अध्यक्षीय शासन पद्धति में कार्यपालिका वैधानिक रूप से व्यवस्थापिका से पृथक होती है। मैं तो वह उसमें से ली जाती है और ना ही उसके प्रति उत्तरदाई होती है। इस शासन प्रणाली में कार्यपालिका प्रमुख नाममात्र का शासक ने होकर वास्तविक शासक होता है अर्थात इसमें वास्तविक और नाममात्र वाला भेद नहीं पाया जाता।

    कार्यपालिका का प्रमुख जो वास्तविक शासक होता है वही संविधान द्वारा कि हुई शासन की संपूर्ण शक्तियों का प्रयोग करता है। इस प्रकार की शासन प्रणाली में भी मुख्य कार्यपालक द्वारा नामित एक मंत्रिपरिषद होती है जो मुख्य कार्यपालक हो उसके कार्यों में सहायता देती है किंतु उसकी व्यक्ति व्यस्थापिका में से लिए हुए नहीं होते हैं

    और वे व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई भी नहीं होते वे सिर्फ मुख्य कार्यपालक के प्रति उत्तरदाई होते हैं। इसके अतिरिक्त मुख्य कार्यपालक का कार्यकाल संविधान द्वारा निश्चित होता है और व्यवस्थापिका से उसका कोई संबंध नहीं होता। मंत्री परिषद के सदस्यों का कार्यकाल मुख्य कार्यपालक की मर्जी पर निर्भर करता है।

    डॉक्टर गार्नर के अनुसार – “अध्यक्षीय शासन वह शासन होता है, जिसमें कार्यपालिका अर्थात राज्य का अध्यक्ष तथा उसके मंत्री संविधानिक रूप से अपनी अवधि के विषय में विधानमंडल से स्वतंत्र होते हैं और अपनी राजनीतिक नीतियों के बारे में भी उसके प्रति उत्तरदाई नहीं होते हैं”।

    अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की विशेषताएं

    1 – इसशासन प्रणाली में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में घनिष्ठ संबंध न होकर दोनों के बीच में पृथक्करण पाया जाता है।
    2 – कार्यपालिका की वास्तविक शक्ति राज्य के अध्यक्ष के पास होती है। इसमें नाममात्र व वास्तविक कार्यपालिका का भेद नहीं पाया जाता।
    3 – इस शासन प्रणाली में कार्यपालिका का कार्यकाल निश्चित होता है।
    4 – मंत्री परिषद के सदस्य मुख्य कार्यपालक के केवल सचिव होते हैं, व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदाई नहीं होकर मुख्य कार्यपालक के प्रति उत्तरदाई होते हैं।

    Types of Government

    अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली अर्ध संघात्मक व्यवस्था एकात्मक शासन लोकतंत्र का अर्थ लिखिए लोकतंत्र का इतिहास लोकतंत्र का महत्व लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत क्या है संघात्मक शासन संघात्मक शासन के दोष संसदात्मक शासन प्रणाली संसदीय शासन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं सरकार का अर्थ सरकार का चयन किस प्रकार होता है सरकार के प्रकार लिखिए सरकार के स्तर
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