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    Home»Economy»भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: Foreign Direct Investment
    Economy

    भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: Foreign Direct Investment

    By NARESH BHABLAJuly 13, 2020Updated:June 14, 2021No Comments3 Mins Read
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    भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

    Page Contents

    • भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
      • Types of FDI
        • एफडीआई के फायदे (Benefits of FDI)
        • देश में एफडीआई संबंधी नियम कानून (FDI rules in the country)
        • एफडीआई और एफआईआई निवेश में अंतर (Difference in FDI and FII investment)

    भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

    सामान्य शब्दों में किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई कहलाता है। ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है।

    आमतौर पर माना यह जाता है कि किसी निवेश को FDI का दर्जा दिलाने के लिए कम-से-कम कंपनी में विदेशी निवेशक को 10 फीसदी शेयर खरीदना पड़ता है। इसके साथ उसे निवेश वाली कंपनी में मताधिकार भी हासिल करना पड़ता है।

    Types of FDI

    FDI दो तरह के हो सकते हैं-

    • Inward ( इनवार्ड ) और
    • Outward ( आउटवार्ड )

    Inward FDI – में विदेशी निवेशक भारत में कंपनी शुरू कर यहां के बाजार में प्रवेश कर सकता है। इसके लिए वह किसी भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम बना सकता है या पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी यानी सब्सिडियरी शुरू कर सकता है। अगर वह ऐसा नहीं करना चाहता तो यहां इकाई का विदेशी कंपनी का दर्जा बरकरार रखते हुए भारत में संपर्क, परियोजना या शाखा कार्यालय खोल सकता है।

    आमतौर पर यह भी उम्मीद की जाती है कि FDI निवेशक का दीर्घावधि निवेश होगा। इसमें उनका वित्त के अलावा दूसरी तरह का भी योगदान होगा।

    एफडीआई के फायदे (Benefits of FDI)

    • एफडीआई से विदेशी निवेशक और निवेश हासिल करने वाला देश, दोनों को फायदा होता है।
    • निवेशक को यह नए बाजार में प्रवेश करने और मुनाफा कमाने का मौका देता है।
    • विदेशी निवेशकों को टैक्स छूट, आसान नियमों, लोन पर कम ब्याज दरों और बहुत सी बातों से लुभाया जाता है।
    • एफडीआई से घरेलू अर्थव्यवस्था में नई पूंजी, नई प्रौद्योगिकी आती है और रोजगार के मौके बढ़ते हैं और इस तरह के बहुत से फायदे होते हैं।

    देश में एफडीआई संबंधी नियम कानून (FDI rules in the country)

    • सरकार ने एफडीआई के लिए सेक्टर विशेष और कारोबारी गतिविधियों की प्रकृति के हिसाब से नियम बनाए हुए हैं। उदाहरण के लिए, हीरे और बहुमूल्य पत्थरों के उत्खनन (माइनिंग) में एफडीआई के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
    • इसमें रिजर्व बैंक को निवेश की रकम हासिल होने के 30 दिन के भीतर एक अधिसूचना भेजनी पड़ती है। इसके साथ ही संबंधित दस्तावेज विदेशी निवेशक को शेयर जारी किए जाने के 30 दिन के भीतर सौंपना पड़ता है।
    • प्रसारण जैसे क्षेत्र में एफडीआई के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी लेनी पड़ती है।
    • कुछ खास क्षेत्रों में विदेशी निवेश की ऊपरी सीमा को लेकर भी कुछ नियम लागू हैं। निवेश के ये नियम एफडीआई और एफआईआई दोनों पर लागू होते हैं।

    एफडीआई और एफआईआई निवेश में अंतर (Difference in FDI and FII investment)

    • FDI में किसी विदेशी कंपनी द्वारा देश में प्रत्यक्ष निवेश होता है जबकि FII यानी विदेशी संस्थागत निवेशक शेयरों, म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं।
    • FII पार्टिसिपेटरी नोट, सरकारी प्रतिभूतियों, कमर्शियल पेपर वगैरह को निवेश माध्यम बनाते हैं।
    • ज्यादातर FDI की प्रकृति स्थायी होती है लेकिन बाजार में उथल-पुथल की स्थिति बनने पर FII जल्दी से बिकवाली कर निकल जाते हैं

    भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
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