Golden Classes
    Facebook Twitter Instagram
    Golden Classes
    • Home
    • Sarkari Yojna
    • Subject
      • PHYSICS
      • Psychology
      • Philosophy
      • Geography
        • World Geography
        • Rajasthan Geography
        • India Geography
      • Arts & Culture
      • Science
      • Computer
      • हिंदी Hindi
      • History
        • Rajasthan History
        • Modern History
        • Medieval History
        • Ancient History
      • Political Science
      • Economy
    • Govt Jobs
    • Motivational
    • Web Stories
    • Others
      • Full Form
    Golden Classes
    Home»Philosophy»Rene Descartes-Cartesian System: रेने देकार्ते-कार्टिशियन पद्दति क्या है?
    Philosophy

    Rene Descartes-Cartesian System: रेने देकार्ते-कार्टिशियन पद्दति क्या है?

    By NARESH BHABLAJune 11, 2020Updated:May 22, 2021No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Rene Descartes
    Rene Descartes
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Rene Descartes-Cartesian System

    Page Contents

    • Rene Descartes-Cartesian System (रेने देकार्ते-कार्टिशियन पद्दति)
      • Rene Descartes का प्रसिद्ध कथन
        • देकार्त के अनुसार आत्मा
        • जन्मजात प्रत्यय की परिभाषा
        • बुद्धिवाद
        • देकार्त दर्शन का उद्देश्य
        • देकार्त की रचनाएं
    • Cartisian method ( कार्टिशियन पद्दति )
        • डेकार्ट के चार दार्शनिक नियम 

    Rene Descartes-Cartesian System (रेने देकार्ते-कार्टिशियन पद्दति)

    Rene Descartes फ्रांस के तुरेन शहर के निवासी थे रेने देकार्ते को बुद्धिवाद और आधुनिक दर्शन का जनक कहा जाता है देकार्त के दर्शन में यथार्थ ज्ञान प्राप्ति का माध्यम सुस्पष्टता तथा सुभिन्नता दिखाई देता है

    डेकार्ट बुध्दिवादी, वस्तुवादी, उग्रदैतवादी, सन्देहवादी, ईश्वरवादी, सकल्पस्वत्रंतवादि, अनेकतावादी अन्तक्रियावादी दार्शनिक माना जाता है

    डेकार्ट की प्रणाली को संश्यात्मक प्रणाली के नाम से जाना जाता है  डेकार्ट ने गणित विषय के आधार पर अपने दर्शन का निर्माण किया

    देकार्त यथार्थ ज्ञान प्राप्ति के दो साधन स्वीकार करते हैं

    • प्रतिभान- हमारी आत्मा में अवस्थित सुस्पष्ट तथा सुभिन्न सार्वभौमिक यथार्थ ज्ञान प्रतिभान कहलाता है अर्थात आत्मा में अवस्थित स्वतः सिद्ध ज्ञान
    • निगमन- प्रतिभान को अभिव्यक्त करने का साधन मार्ग निगमन कहलाता है

    रेने देकार्ते की दार्शनिक पद्धति कार्टिशियन पद्धति के नाम से जानी जाती है व इसे संदेह की पद्धति भी कहा जाता है

    कार्टिशियन पद्धति (संदेह पद्धति )में देकार्त चार सुत्रों की सहायता लेता है

    1. लक्षण सूत्र – किसी भी समस्या पर तब तक संदेह करते जाना चाहिए जब तक की संदेह रहीता की प्राप्ति नहीं हो जाती है
    2. विश्लेषण सूत्र- समस्या को छोटे-छोटे सरल भागों में विभाजित करना विश्लेषण सूत्र कहलाता है
    3. संश्लेषण सूत्र- सरल से जटिल की ओर जाना संश्लेषण सूत्र कहलाता है
    4. समाहार सूत्र- समस्या को सिद्धांत से पहले पुनः अवलोकन करना कि कहीं उसका कोई भाग छूट तो नहीं गया है समाहार सूत्र कहलाता है।

    Rene DescartesRene Descartes

    Rene Descartes का प्रसिद्ध कथन

    मैं संदेह करता हूं अतः मैं हूं फ्रांसीसी भाषा में  cogito ergo sum

    देकार्त कार्टिशियन पद्धति से संदेह रहित आत्मा की स्थापना करते हैं जिसे डेकार्ट बुद्धि भी कहता है

    देकार्त के अनुसार आत्मा

    सरल अथवा अविभाज्य है अभौतिक तथा अविस्तारित है चेतन द्रव्य है आत्मा का निवास मस्तिष्क में विद्यमान पीनियल ग्रंथि में है

    देकार्त तीन प्रकार के जन्मजात प्रत्यय स्वीकार करता है :-

    • ईश्वर
    • आत्मा
    • जड़ (जगत)

    जन्मजात प्रत्यय की परिभाषा

    जन्मजात प्रत्यय वह कहलाता है जिसमें कुछ ज्ञान हमारी आत्मा / बुद्धि में जन्म से ही सिद्ध रहता है जिसे सिद्ध करने के लिए बाह्य तथ्यों और अनुभवों की आवश्यकता नहीं होती है

    ईश्वर के अस्तित्व हेतु देकार्त 4 प्रमाण प्रस्तुत करता है:-

    1. सत्तामूलक प्रमाण- उक्त प्रमाण में ईश्वर के प्रत्यक्ष अथवा विचार नहीं ईश्वर का अस्तित्व भी सिद्ध मान लिया जाता है
    2. कारण मुलक युक्ति का प्रमाण- ईश्वर के प्रत्यय का कारण स्वयं ईश्वर को ही स्वीकार किया जाता है
    3. विश्व मुलक प्रमाण- उक्त प्रमाण में ईश्वर को विश्व का रचयिता माना जाता है
    4. उद्देश्य मूलक प्रमाण- उक्त प्रमाण जगत में संगठन संतुलन तथा व्यवस्था का आधार ईश्वर को ही मानता है

    देकार्त द्वेतवादी है जो जगत की उत्पत्ति में 2 मूलभूत स्वतंत्र तत्वों के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं

    1. आत्मा / चित्त
    2. शरीर / अचित

    अर्थात चित्त – अचित्त या जड़ पदार्थ

    मन और शरीर की समस्या के समाधान में देकार्त क्रिया-प्रतिक्रियावाद अथवा अंतः क्रियावाद के सिद्धांत को स्वीकार करता है जिसके अनुसार मस्तिष्क में विद्यमान पीनियल ग्रंथि में हमारी आत्मा निवास करती है और यही से पूरे शरीर से विस्तारित होती है
    परिणामस्वरुप शारीरिक क्रियाएं मन को और मानसिक क्रियाए शरीर को प्रभावित करती हैं

    बुद्धिवाद

    1. इसमें ज्ञान प्राप्ति का साधन हमारी आत्मा अथवा बुद्धि को माना जाता है
    2. इसमें ज्ञान सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है
    3. इसके अंतर्गत ज्ञान को आत्मा के अंतर्गत जन्मजात रुप से स्वीकार किया जाता है
    4. बुद्धिवाद में गणित को आदर्श विषय के रूप में स्वीकार किया जाता है

    देकार्त दर्शन का उद्देश्य

    सार्वभौमिकता, सुस्पष्टता, सुभिन्नता तथा संदेहरहिता की प्राप्ति करना था, देकार्ते जगत, तथ्य, जगत की वस्तुएं, इंद्रिय, शरीर आदि सभी पर संदेह करता है, संदेह के लिए संदेह करना की आवश्यकता होती है, संदेह कर्ता के रूप में जिस तत्व का अस्तित्व सिद्ध होता है वह तत्व मैं अथवा आत्मा कहलाता है

    देकार्त के दर्शन में संदेह की पद्धति संदेह रहित जिस तत्व की स्थापना करती है वह तत्व चेतन द्रव्य के रूप में आत्मा माना जाता है देकार्त के दर्शन में संदेह केवल प्रारंभ है अंत नहीं है संदेह को देकार्त केवल साधन के रुप में अपनाता है इसे साध्य नहीं माना जा सकता

    देकार्त की रचनाएं

    1. डायरेक्शन ऑफ माइंड (बुद्धि के निर्देश)
    2. डिस्कोर्स ऑन मेथड्स
    3. ली मोडे (LE MONDE)
    4. मैडिटेशन ऑफ़ फर्स्ट फिलॉस्फी
    5. दर्शन के मूलभूत सिध्दांत

    Note :- डेकार्ट की दार्शनिक प्रणाली का उल्लेख ” बुध्दि के निर्देश नियम ” मे मिलता है

    Cartisian method ( कार्टिशियन पद्दति )

    दर्शन के क्षेत्र में सर्वप्रथम देकार्ते ने हीं वैज्ञानिक प्रणाली को जन्म दिया देकार्ते के पूर्व दर्शन अंधविश्वास रूढ़िग्रस्त परंपराओं से ग्रसित था दर्शन पर धर्म का आधिपत्य होने से दर्शन का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता जनता की चित्र शक्तियां स्वतंत्र नहीं थी

    देकार्ते ने स्वयं कहा है हम प्लेटो तथास्तु को पढ़कर दर्शन नहीं हो सकते यदि हम स्वतंत्र निर्णय नहीं कर सकते , बेकन के समान देकार्ते ने भी अनुभव किया है कि पुराने ग्रंथियों को हटाकर नए सिरे से दर्शन की न्यू डालनी चाहिए

    गणित में निश्चयात्मक है उसके सिद्धांत निर्माताओं ने संदेश सत्य है, दर्शन का लक्ष्य सत्य की खोज सत्य दो रूप होते हैं स्वयं सिद्ध तथा प्रमाण जनय़, दार्शनिक पद्धति है संध्या की किंतु देकार्ते संदेहवादी नहीं है बुद्धिवादी

    जब तक किसी बात को मैं जान ले तब तक हमें उसे सत्य स्वीकार नहीं करना चाहिए  व्यवहार के संबंध में देकार्ते ने निम्न नियमों को बताया है

    1- स्वदेश और धर्म के नियमों को परंपराओं द्वारा प्रचलित मध्यमार्ग को अपनाना
    2 एक

    डेकार्ट के चार दार्शनिक नियम 

    1 किसी चीज को तब तक सत्य नही मानना चाहिए जब तक उनका स्पष्ट एव परिस्षिट ज्ञान न हो जाय
    2 समस्या का सरलतम टुकडो मे विश्लेषण करना चाहिए
    3 सबसे पहले समस्या के सरल एव मूल तत्वो को ध्यान करते हुए आगे बढना चाहिए
    4 निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सर्वांगीण एव परीक्षण आवश्यक है

    डेकार्ट के चार दार्शनिक नियम देकार्त का द्वैतवाद देकार्त का संदेह पद्धति मैं सोचता हूँ इसलिए मैं हूँ रेने देकार्त का जीवन परिचय रेने देकार्त दर्शन संदेह का डेसकार्टेस विधि
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    महात्मा गांधी का दर्शन | गांधी दर्शन की प्रासंगिकता – दार्शनिक विचार

    February 19, 2022

    स्वामी विवेकानंद का दर्शन | दार्शनिक विचार

    February 15, 2022
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    Popular Post
    हिंदी Hindi

    हिंदी भाषा के विविध रूप | भाषा के भेद और प्रकार

    By NARESH BHABLAFebruary 8, 2022

    हिंदी भाषा के विविध रूप – भाषा का सर्जनात्मक आचरण के समानान्तर जीवन के विभिन्न…

    Relationship सामाजिक अध्ययन का अन्य विषयो संबंध

    July 2, 2020

    Public Policy: भारत की लोकनीति क्या है?

    August 29, 2020

    chemistry formulas in Hindi | रासायनिक सूत्र की लिस्ट

    January 31, 2022

    E-commerce ई-कॉमर्स क्या है व इसके कार्य???

    July 19, 2020
    Facebook Twitter Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    Copyright © 2023-24 goldenclasses.com All Rights Reserved
    All Logos & Trademark Belongs To Their Respective Owners.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.