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    Home»History»Arts & Culture»Jewelry: आभूषण कोन कोन से होते है?
    Arts & Culture

    Jewelry: आभूषण कोन कोन से होते है?

    By NARESH BHABLAAugust 15, 2020Updated:May 17, 2021No Comments3 Mins Read
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    Jewelry

    Page Contents

    • Jewelry आभूषण
      • सिर , मस्तक, माथे पर पहने जाने वाले आभूषण ( Head Jewelry )
        • कान के आभूषण ( Ear Jewelry )
        • गले के आभूषण ( Throat ornaments Jewelry)
        • ललाट (मस्तक) के आभूषण –
        • नाक के आभूषण –
    • पैर –

    Jewelry आभूषण

    शरीर को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिये स्त्रियों व पुरषों द्वारा आभूषण पहने जाते हैं। आभूषण का शाब्दिक अर्थ होता है गहना व अलंकार।

    सिर , मस्तक, माथे पर पहने जाने वाले आभूषण ( Head Jewelry )

    • टीडी – भलको ,ललाट का आभूषण टिकी , काचर, फीणी , सांकली , तावित
    • गोफण ( Sling ) –  ये बालो में गुथा जाता है
    • गेड़ी ( chap ) – चांद सूरज , चूड़ामन , चूड़ारत्न, तीबगट्टों , तिलक मणि
    • थुड़ी ( Thumb ) –  ये राजघराने में भी प्रचलित रहा है
    • थाळो ( Thalow ) = देवमूर्ति युक्त गले का आभूषण
    • फूलगूधर ( Phulagudhar ) = शीश पर गुथा जाने वाला एक रजत आभूषण विशेष
    • मेमन्द ( memand )= सिर का_आभूषण
    • बोर, बोरलो ( रखड़ी rakhadi )
    • मेंण , मौडियो , मौरमीडली , मांग टीको , मांग फूल
    • सेलड़ो , वेणी के साथ गुथा जाता है
    • सोहली= ललाट पर
    • सिरभोग , शिशफूल ( sheeshaphool )( इसे सेरज के नाम से जाना जाता है )

    Jewelry

    कान के आभूषण ( Ear Jewelry )

    • ओगनियो = कान के ऊपर की लोट में पहना जाने वाला सोने या चाँदी की एक लटकन जैसा होता है। इसे पीपल पतो, पीपलपानो भी कहा जाता है।
    • एरंगपतो , कर्णफूल , कुड़कली , खीटली , छैलकडी , जमेलो
    • झूटणों = कान में पहने जाने वाले इस_आभूषण पर एक लोकगीत भी प्रचलित रहा है
    • झूमणू, झूमर ( Chandelier ) , झूमका कर्ण के_आभूषण विशेष
    • टोटी-झूमर = कान के नीचले भाग में पहने जाने वाला एक_आभूषण विशेष इसे मेघवाल जाति व जाट जाति की महिलाएं अधिक पहनती है
    • टोटी , टोरियो , डरगनियो, तड़कली , पीपलपत्र, पासो , पीपलपान, बाली, लटकन, माकड़ी, सन्दोल , वेडलो , बूसली कुछ अन्य प्रमुख कान के_आभूषण है।

    गले के आभूषण ( Throat ornaments Jewelry)

    • आड़ , कन्ठल , कन्टी , कन्ठसरी , खींवली
    • खुंगाली :- ये गले मे पहनने का सोने या चांदी का_आभूषण है, जो हंसुली की हड्डी के पास रहता है
    • Galapatiyo, Galasankalo, Galahar
    • चम्पाकली , छेड़ियो , झालरों, ( Champakali, Chhedio, Frost ) (ठुसी :- ये वर्तमान में प्रचलित नेकलेस का ही रूप है, बस थोड़ा भारी होता है, नेकलेस से)।
    • तिमणियो :- ये गले का आभूषण विशेष है जो अपने ईष्ट देव के नाम का बनवाया जाता है, मांदलिया का ही एक रूप।
    • तुलसी , दुगदूगी, नक़्क़स, निबौरी , निगोदर, पचमाणियो , पचलडी , पटियो , मंगलसूत्र, माणिक्यमाला , मुक्तमाला, हंसली, हारलियो, हमेल, हांस , होदल , पाट , हाकर , मटर माला, मोहन माला, जालरो , चन्दन हार , जुगावली।

    नोट = गले व छाती पर लटकने वाले आभूषणों को पत्रलता, आमुक्तावली आदि कहते है।

    ललाट (मस्तक) के आभूषण –

    बिन्दी, टीका, टीडीभलको, तिलक, सांकली, दामिनी, ताबित।

    नाक के आभूषण –

    चूनी, चोंप, नथ, लटकन, लूंग, कांटा, फीणी, बाली, बुलाक, बेसरि, बजट्टी, भंवरिया, वारी, खीवण,।

    दांत –चूंप, रखन।

    गला –कंठी, कंठसरी, कंठळ, खुंगाली (हंसली), गलपटिया, आड, चन्द्रहार, चम्पाकली, ठुसी, तुलसी, तिमणिया, मूंठ, मादलिया, मोहनमाल, मंगलसूत्र, निम्बोरी, बजण्डी, हार, हालरो, झालरो, खिंवली, गळपटियौ, छैड़ियो, तगतगई, तांतणियौ, तैड़ियो, थाळौ, बठळ।

    बाजू –अणत, कड़ा, कातरिया, पट, तकमा, ठडा, नवरत्न, बाजूबन्द, भुजबन्द, हारपन, अड़कणी, खांच, बहरखौ।कलाई –

    कंगन, कंकण, कांकणी कंगन, गोखरू, चूड़ियां, हतपान (हथफूल), नोगरी, पुणच/पौंची, गजरो, छैलकड़ो।

    अंगुलियां –अंगूठी, अरसी, दामणा, बींटी, मुरसी।

    अंगुठा –अंगुथळो,कमर –कणकती, कन्दोरो, करधनी, तगड़ी, सटको, कड़तोड़ौ, कणगावलि, मुखळा।

    पैर –

    आंवला, कड़ला, घुंघरू, झांझर, टणका, हनका, तोड़ी, लच्छा, लंगर, पायल (कंकणा/पींजणी/पेजणिया/रमझोळ/शकुन्तला), पायजेब, नेवटी, नूपूर, नंकुम, हीरानामी, अणोटपोल, तेघड़, पादसंकळिका, रोळ, टोडरौ।

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    आभूषण के नाम कान के आभूषण के नाम महिलाओं के सिर के आभूषण राजस्थान के आभूषण राजस्थान में नारी के आभूषण राजस्थानी महिला के आभूषण सिर के आभूषण
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