Indian Physical territory
Indian Physical territory (भारत के भौतिक प्रदेश)
भौतिक भूगोल (Indian Physical territory) भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पृथ्वी के भौतिक स्वरूप का अध्ययन किया जाता हैं। यह धरातल पर अलग अलग जगह पायी जाने वाली भौतिक परिघटनाओं के वितरण की व्याख्या व अध्ययन करता हैसाथ ही यह भूविज्ञान, मौसम विज्ञान, जन्तु विज्ञान और रसायन शास्त्र से भी जुड़ा हुआ है। इसकी कई उपशाखाएँ हैं जो विविध भौतिक परिघटनाओं की विवेचना करती हैं।
भौतिक भूगोल से जुड़े विषय और इसकी शाखायें:
खगोलीय भूगोल : यह पार्थिव घटनाओं का अध्ययन करता है, जिसमें मुख्य रूप से पृथ्वी की सतह के साथ-साथ सूर्य, चन्द्रमा और सौरमंडल के ग्रहों को शामिल किया जाता है।
भू-आकृति विज्ञान : यह पृथ्वी के स्थलरूपों काअध्ययन करता है। इसके अन्तर्गत जल, वायु और हिमानी के अपरदनात्मक, परिवहनात्मक और निक्षेपात्मक कार्यों द्वारा स्थलरूपों की उत्पत्ति व विकास शामिल है।
शैल
समुद्र विज्ञान : यह महासागरीय तल की गहराइयों, धाराओं, प्रवाल भित्तियों और महाद्वीपीय विस्थापन आदि से सम्बंधित महासागरीय संघटकों का अध्ययन करता है।
जलवायु विज्ञान : जलवायु विज्ञान वायुमंडलीय दशाओं और सम्बंधित जलवायविक और मौसमी परिघटनाओं का अध्ययन है। इसके अन्तर्गत वायुमंडलीय संघटन, जलवायविक प्रदेशों तथा मौसमों आदि का अध्ययन शामिल है।
- भूकम्प विज्ञान
- ज्वालामुखी
- भूविज्ञान
जैव भूगोल- :
यह स्थान की जैविक घटनाओं के अध्ययन से सम्बंधित है, विशेष तौर पर विविध प्रकार के वनस्पतियों और वन्य जीवों के वितरणों का अध्ययन करता है। जैव भूगोल को पादपया वनस्पति भूगोल, जन्तु भूगोल और मानव पारिस्थितिकी के रूप में उपविभाजित किया जा सकता है।
भारत की भूगर्भिक संरचना की विविधता के उच्चावच तथा भौतिक लक्षणों की विविधता ने जन्म दिया है देश के 10.6% क्षेत्र पर पर्वत 18.5 प्रतिशत क्षेत्र पर पहाड़िया 27.7 प्रतिशत क्षेत्र पर पठार और 43.2 प्रतिशत क्षेत्र पर मैदान है भारत में मुख्यतः 4 बड़ें , मध्यम स्तर के 20 , सूक्ष्म स्तर के 58 भौतिक विभाग है।
- मैदान➖43•2%
- पर्वत➖10•6%
- पहाड़ी ➖18•5%
- पठार➖28•7%
उच्चावच एवं संरचना के आधार पर भारत को 5 भू- आकृतिक विभागों में बांटा जा सकता है।
1 उत्तर का पर्वतीय प्रदेश
2 प्रायद्वीपीय पठार
3 उत्तर भारत का मैदान
4 तटवर्ती मैदान
5 द्वीपीय भाग
Indian Physical territory
1 उत्तर भारत का पर्वतीय क्षेत्र
भारत की उत्तरी सीमा पर विश्व की सबसे ऊंची एवं पूर्व पश्चिम में सबसे बड़ी पर्वतमाला है। यह विश्व की नवीनतम मोड़दार पर्वत श्रेणी है। यह भारत के 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है लंबाई पूर्व से पश्चिम 2.5 हजार किलोमीटर, उत्तर से पश्चिम 160 से 400 किलोमीटर , इस पर्वतमाला की औसत ऊंचाई 6000 मीटर है
इसके उत्तर में तिब्बत का पठार दक्षिण में सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र का मैदान है हिमालय पर्वतमाला सिंधु नदी के मोड़ से प्रारंभ होकर ब्रह्मपुत्र नदी मोड़ तक है इस पर्वतमाला का फैलाव 22 देशांतर रेखाओं के बीच में स्थित है इस पर्वतमाला को चार समानांतर भागों में बंटा है
A ट्रांस हिमालय
B वृहद हिमालय
C लघु या मध्य हिमालय
D शिवालिक हिमालय
1. ट्रांस हिमालय
महान हिमालय के पश्चिमी भाग में तीन श्रेणियां स्थित है यह तीनों श्रेणियां जम्मू कश्मीर में स्थित है
A काराकोरम
B लद्दाख
C जास्कर
ट्रांस हिमालय हिमालय के उत्तर में स्थित है हिमालय से प्राचीन पर्वत है गॉडविन ऑस्टिन/K-2(8611.मी.) काराकोरम श्रेणी की सर्वोच्च चोटी है। जो भारत की सबसे ऊंची चोटी भी है। विश्व की दूसरी उच्चतम पर्वत चोटी है इंदिरा कॉल और काराकोरम दर्रा ट्रांस हिमालय में स्थित है काराकोरम का प्राचीन नाम कृष्णागिरी है काराकोरम यूरेशियाई प्लेट पर स्थित है ट्रांस हिमालय का भाग है
काराकोरम पर्वत के उत्तर में पामीर अघील पर्वत यारकंद नदी दक्षिण में शोक नदी सिंधु नदी स्थित है भारत का सबसे बड़ा ग्लेशियर सियाचिन ग्लेशियर इसी पर्वत श्रंखला में स्थित है काराकोरम दर्रा भारत व चीन के मध्य स्थित है कराकोरम के पश्चिम में स्थित है पर्वत चोटियां
- गेशर ब्रम1
- गेशर ब्रम2
लद्दाख काराकोरम के दक्षिण में तथा जम्मू कश्मीर के पूर्व में स्थित है लद्दाख से सिंधु नदी बहती है लद्दाख भारत का न्यूनतम वर्षा वाला क्षेत्र है सिंधु नदी लद्दाख पर्वत को काटकर आगे बढ़ती है यह नदी इस पर्वत को काटकर बूंजा गार्ज का निर्माण करती है लद्दाख की सबसे ऊंची चोटी राकापोशी है ट्रांस हिमालय वृहत हिमालय से इंडो-सांगपो शचर जोन द्वारा अलग होती है।
2. हिमाद्रि या वृहद हिमालय
जिसे हिमाद्रि भी कहा जाता है हिमालय की सबसे ऊँची श्रेणी है।इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है। विश्व के सभी महत्वपूर्ण शिखर इसी में ही स्थित है।
- एवरेस्ट(नेपाल में)➖8848 मी.
- कंचनजंघा➖8558 मी.
- नंगा पर्वत,नंदा देवी आदि।
इसके क्रोड में आग्नेय शैलें पायी जाती है जो ग्रेनाइट तथा गैब्रो नामक चट्टानों के रूप में हैं। पार्श्वों और शिखरों पर अवसादी शैलों का विस्तार है। कश्मीर की जांस्कर श्रेणी भी इसी का हिस्सा मानी जाती है।
हिमालय की सर्वोच्च चोटियाँ मकालू, कंचनजंघा, एवरेस्ट, अन्नपूर्ण और नामचा बरवा इत्यादि इसी श्रेणी का हिस्सा हैं। यह श्रेणी मुख्य केन्द्रीय क्षेप द्वारा मध्य हिमालय से अलग है। हालांकि पूर्वी नेपाल में हिमालय की तीनों श्रेणियाँ एक दूसरे से सटी हुई हैं।
3. लघु अथवा मध्य हिमालय श्रेणी
यह महान हिमालय के दक्षिण के उसके समानान्तर विस्तृत है। इसकी चौड़ाई 80 से 100 किमी. तक औसत ऊंचाई 1,828 से 3,000 के बीच पायी जाती है। इस श्रेणी में नदियों द्वारा 1,000 मीं. से भी अधिक गहरे खड्डों अथवा गार्जों का निर्माण किया गया है।
यह श्रेणी मुख्यतः छोटी-छोटी पर्वत श्रेणियों जैसे – धौलाधार, नागटीवा, पीरपंजाल, महाभारत तथा मसूरी कासम्मिलित रूप है। इस श्रेणी के निचले भाग में देश के शिमला, मसूरी, नैनीताल, चकराता, रानीखेत, दार्जिलिंग आदि स्थित है।
वृहत तथा लघु हिमालय के बीच विस्तृत घाटियां हैं जिनमें कश्मीर घाटी तथा नेपाल में काठमांडू घाटी प्रसिद्ध है श्रेणी के ढालों पर मिलने वाले छोटे-छोटे घास के मैदानों को जम्मू-कश्मीर में मर्ग (जैसे-सोनमर्ग, गुलमर्ग आदि) तथा उत्तराखण्ड में बुग्याल एवं पयार कहा जाता हे।
4. शिवालिक हिमालय
यह हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रेणी है एवं इसको इसे चुरिया श्रेणी या बाह्य हिमालय भी कहा जाता के नाम से भी जाना जाता है। यह हिमालय पर्वत की दक्षिणतम श्रेणी है जो लघु हिमालय के दक्षिण में इसके समानांतर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैली हुई है। इसकी औसत ऊंचाई 900 से 12,00 मीटर तक औसत चौड़ाई 10 से 50 किमी है।
इसका विस्तार पाकिस्तान के पोटवार पठार से पूर्व में कोसी नदी तक है। गोरखपुर के समीप इसे डूंडवा श्रेणी तथा पूर्व की ओर चूरियामूरिया श्रेणी के स्थानीय नाम से भी पुकारा जाता है। यह हिमालय पर्वत का सबसे नवीन भाग है।
लघु तथा वाह्म हिमालय के बीच पायी जाने वाली विस्तृत घाटियों को पश्चिम में ‘दून’ तथा पूर्व में ‘द्वार’ कहा जाता है। देहरादून, केथरीदून तथा पाटलीदून और हरिद्वार इसके प्रमुख उदाहरण है।
हिमालय पर्वत श्रेणियों की दिशा में असम से पूर्व से उत्तर पूर्व हो जाती है। नामचाबरचा के आगे यह श्रेणियाँ दक्षिणी दिशा में मुड़कर पटकोई, नागा, मणिपुर, लुशाई, अराकानयोमा, आदि श्रेणियों के रूप में स्थित हैं जो भारत एवं म्यान्मार के मध्य सीमा बनाती है।
शिवालिक को जम्मू में जम्मू पहाड़ियाँ तथा अरुणाचल प्रदेश में डफला, गिरी, अवोर और मिशमी पहाड़ियों के नाम से भी जाना जाता है। अक्साईचीन, देवसाई, दिषसंग तथा लिंगजीतांग के उच्च तरंगित मैदान इन पर्वतों के निर्माण से पहले ही क्रिटेशश काल में बन चुके थे जो अपरदन धरातल के प्रमाण हैं।
हिमालय के दर्रे➖
- 1 काराकोरम दर्रा
- 2 शिपकीला दर्रा
- 3 नाथूला दर्रा
- 4 बोमडीला दर्रा
विभिन्न नदियों ने हिमालय क्षेत्र को चार प्रमुख प्राकृतिक भगाओ भागों में विभाजित कर रखा है।
1. कश्मीर या पंजाब हिमालय
- सिंधु और सतलज
- पीरपंजाल श्रेणी व जास्कर इसी का भाग है।
2. कुमायूं हिमालय
- सतलज व काली
- नंदा देवी,कामेट,केदारनाथ
3. नेपाल हिमालय
- काली व तिस्ता
- एवरेस्ट,कंचनजंगा, मकालू
4. असम हिमालय
- तीस्ता तथा दिहांग(सांगपो व ब्राह्मपुत्र)
2 प्रायद्वीपीय पठार
भारत का सबसे पुराना भौतिक विभाग, 16 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में विस्तृत, भारत के लगभग 49% भाग पर फैला हुआ है। इसमें तीन प्रकार की स्थलाकृतियां मिलती है।
- 1 पर्वत
- 2 पठार
- 3 भ्रंश घाटी
विंध्याचल पर्वतमाला यह भारत का महान जल विभाजक कहलाता है। सतपुड़ा पर्वतमालाएं यह भ्रंश पर्वत है। पश्चिमी घाट यह एक भ्रंश कगार है,जिसका निर्माण अफ्रीका की प्लेट के अलग होने के कारण हुआ।
1 मालवा के पठार
- मालवा के पठार विस्तार गुजरात,राजस्थान व मध्यप्रदेश
- बेसाल्ट लावा से निर्मित
- काली मिट्टी मिलती है।
- यह कपास व अफीम की खेती हेतु प्रसिद्ध है।
2 बुंदेलखंड का पठार
- विस्तार➖ यूपी एवं मध्य प्रदेश
- नीस चट्टानें मिलती है।
- उत्खात भूमि।
3 बघेलखंड का पठार
- चूना पत्थर की चट्टानों से निर्मित
- विस्तार➖मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़
- यहाँ सीमेंट उद्योग का विकास हुआ।
4 छोटा नागपुर का पठार
- आर्कियन युग की चट्टानें मिलती हैं। जिसके कारण यहां सर्वाधिक खनिज मिलते हैं।
- इसीलिए भारत का खनिजों का अजायबघर कहलाता है।
- इसका विस्तार➖ झारखंड
- लोहा मैगनीज कोयला अभ्रक बॉक्साइट मिलता है।
- छोटा नागपुर पठार को भारत का रूर प्रदेश व सार प्रदेश कहते हैं।
5 दक्कन लावा पठार
- यह महाराष्ट्र राज्य में स्थित है।
- यह त्रिभुजाकार में फैला है।
- भारत की सर्वाधिक काली मिट्टी यहां मिलती है। जिसे स्थानीय भाषा में रेगुर कहते है। यह कपास की खेती के लिए प्रसिद्ध है।
- इसी पठार में नागपुर स्थित है। जो संतरा उत्पादन हेतु प्रसिद्ध है।
- इस पठार को दक्कन ट्रैप भी कहते हैं।
3. तटवर्ती मैदान
1. केरल का तटीय भाग
- पश्चिमी तट का दूसरा सर्वाधिक लंबा व चौड़ा भाग है।
- मुख्य बंदरगाह➖ कोच्चि (पेट्रोलियम आयातक और समुद्री उत्पाद व मसालों का निर्यातक)
- यहां पर भी पेट्रोलियम रिफाइनरी स्थित है।
- केरल के बालू तट में थोरियम के भंडार मिलते है। जो एशिया के सबसे बड़े भंडार हैं।
- लैगून झील/कयाल झील खारे पानी की झील होती है।
- इसका निर्माण तरंगों के अपरदन व निक्षेपण से होता है।
- केरल के तट पर दो लैगून झील हैं।
- 1 वेम्बनाद➖भारत की सबसे बड़ी लैगून झील
- 2 अष्टमुदी
2. पूर्वी तट:-
बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित तटीय मैदान हैं, जो गंगा के डेल्टा से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है। इस तट पर गोदावरी, महानदी, कृष्ण, कावेरी नदियों के कारण बड़े मैदान का निर्माण हुआ हैं।
कोरोमण्डल का तटीय मैदान:-
- तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश का तट हैं।
- तमिलनाडु में इसे तमिल का मैदान व आंध्र प्रदेश में इसे आंध्र तटीय मैदान भी कहते हैं।
- तमिलनाडु में कावेरी नदी के द्वारा तटीय डेल्टा बनाया जाता हैं। जिसे दक्षिण भारत का धान का कटोरा कहते हैं।
- यह तट पश्चिमी तट की तुलना में ज्यादा कटा-फटा हैं।
- आंध्र के तट पर पुलिकट झील स्थित हैं।जो एक लेगुन झील है। यहां लेगुन झीले अधिक पायी जाती हैं।
उत्कल तट/उत्तरी सरकार का तट:-
- उत्तरी सरकार उड़ीसा का एक तट भी हैं।
- उत्कल, उड़ीसा का पुराना नाम भी था।
- यहा चावल व जूट की खेती सर्वाधिक होती हैं।इसमें चील्का झील स्थित हैं।
Indian Physical territory important facts-
- कश्मीर घाटी तथा डल झील किस के बीच अवस्थित है- वृहद हिमालय एवं पीर पंजाल
- करेवा क्या है – हिमनद, गाद, सघन रेत चिकनी मिट्टी और दूसरे पदार्थों का हीमोढ़ पर मोटी परत के रूप में जमाव
- उत्तराखंड के किस भाग में पाताल तोड़ कुए पाए जाते हैं- तराई में
- करेवा के लिए हिमालय का कौन सा भाग प्रसिद्ध है- कश्मीर हिमालय
- केसर (जाफरान)की खेती किस पर की जाती है- करेवा पर
- वैष्णो देवी, अमरनाथ गुफा एवं चरार -ए -शरीफ किस हिमालय में स्थित है- कश्मीर हिमालय
- कश्मीर घाटी के उत्तरी एवं दक्षिणी सीमा किन श्रेणियों द्वारा निर्धारित होती है- क्रमशः जास्कर श्रेणी और पीर पंजाल श्रेणी द्वारा
- काली नदी किसकी सहायक नदी है- घागरा की सहायक
- फूलों की घाटी कहां स्थित है- कुमायूं हिमालय
- लोकतक झील किस नदी घाटी में स्थित है – मणिपुर घाटी
- मोलेसिस बेसिन किस राज्य की संझा है- मणिपुर
- भारत एवं म्यांमार सीमा का निर्धारण कौन सा पर्वत करता है- अराकान योमा
- शेवराय बाड़ा किस राज्य में अवस्थित है- तमिलनाडु
- लद्दाख और तिब्बत के बीच संपर्क संभव हो पाता है- चांगला, इमिला, लनकला तथा तसका ला दर्रो द्वारा
- उत्तराखंड और तिब्बत एवं मानसरोवर से जोड़ने वाले दर्रे का नाम बताइए- माना,मांगशा धुर, मुलीगं ला और नीति दर्रे
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