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    Home»Political Science»Federal Judiciary: संघीय न्यायपालिका & राज्य न्यायपालिका
    Political Science

    Federal Judiciary: संघीय न्यायपालिका & राज्य न्यायपालिका

    By NARESH BHABLASeptember 3, 2020Updated:May 21, 2021No Comments4 Mins Read
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    Federal Judiciary

    Page Contents

    • Federal Judiciary (संघीय न्यायपालिका)
      • Federal Judiciary and State Judiciary ( संघीय न्यायपालिका & राज्य न्यायपालिका )
        • संघीय न्यापालिका ( Federal Judiciary  )
        • सर्वोच्च न्यायालय ( Supreme Court )
        • संगठन

    Federal Judiciary (संघीय न्यायपालिका)

    Federal Judiciary and State Judiciary ( संघीय न्यायपालिका & राज्य न्यायपालिका )

    संघीय न्यापालिका ( Federal Judiciary  )

    न्यायपालिका सरकार का महत्वपूर्ण अंग है। सरकार का स्वरूप चाहे कोई भी हो, न्यायपालिका की व्यवस्था किसी-न-किसी रूप में अवश्य की जाती है। संघीय शासन प्रणाली में स्वतंत्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका का होना अनिवार्य है

    क्योंकि शक्तियों के विभाजन के कारण संघ तथा राज्यों में प्रायः विवाद उत्पन्न होते रहते हैं। इन विवादों का निपटारा करने तथा संविधान की व्याख्या करने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है।

    भारत में संघीय शासन प्रणाली की व्यवस्था होने के कारण संविधान के अंतर्गत स्वतंत्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। भारत में संघात्मक शासन प्रणाली है परंतु संघात्मक सिद्धांतों के अनुसार केंद्र तथा राज्यों में पृथक्-पृथक् न्याय प्रबंध नहीं है बल्कि एकात्मक न्याय प्रणाली की व्यवस्था की गई है।

    राज्यों में उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालय हैं (अनुच्छेद-233-237)। राज्यों के अधीनस्थ न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध उच्च न्यायालयों में अपील की जातीहै और उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।

    सर्वोच्च न्यायालय ( Supreme Court )

    उच्चतम न्यायालय देश का सर्वोच्च न्यायालय है। इसके द्वारा दिये गये निर्णय अंतिम होते है तथा इन निर्णयों के विरुद्ध किसी और न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती है।

    संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक के अनुच्छेदों का संबंध सर्वोच्च न्यायालय से है। संविधान के अनुच्छेद 124(1) में सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है।

    1950 से 1973 तक व्यवहार मे यह था कि उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठतम न्यायाधीश को बतौर मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता था। इस व्यवस्था का 1973 में तब हनन हुआ जब ए. एन.राय को तीन वरिष्ठतम न्यायाधीश से ऊपर भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया।
    दोबारा 1977 में एम.यू.बेग को वरिष्ठतम व्यक्ति के ऊपर बतौर मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया।

    सरकार के इस निर्णय की स्वतंत्रता को उच्चतम न्यायालय ने दूसरे न्यायाधीश मामले 1993 में कम किया। इसमें उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को ही भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाना चाहिए

    संगठन

    भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(1) के अनुसार प्रारम्भ में सर्वोच्च न्यायालय के लिएएक मुख्य न्यायाधीश तथा सात अन्य न्यायाधीश निश्चित किये गये थे परंतु इसी अनुच्छेद में संसद को न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने की शक्ति प्रदान की गई है।

    उच्चतम न्यायालय संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के व्यवहार एवं आचरण की जांच करता है उस संदर्भ में जिसे राष्ट्रपति द्वारा निर्मित किया गया है यदि यह उन्हें दुर्व्यवहार का दोषी पाते हैं तो राष्ट्रपति से उनको हटाने की सिफारिश कर सकता है उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई सलाह को मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य है

    उच्चतम न्यायालय के पास न्यायालय की अवमानना पर दंडित करने का अधिकार है इसमें 6 वर्ष के लिए सामान्य जेल या ₹2000 तक अर्थदंड या दोनों शामिल है 1991 में उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी कि दंड देने की शक्ति ना केवल उच्चतम न्यायालय में नहीं थे बल्कि ऐसा ही अधिकार उच्च न्यायालयों अधीनस्थ न्यायालयों पंचाटों को भी प्राप्त है

    संविधान में उच्चतम न्यायालय के विपरीत प्रख्यात न्यायविदों को उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं है

    अनुच्छेद124 उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन

    अनुच्छेद 125 न्यायाधीशों के वेतन आदि

    अनुच्छेद 126 कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति की नियुक्ति

    अनुच्छेद 127 तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति

    अनुच्छेद 128 उच्चतम न्यायालय की बैठकों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति

    अनुच्छेद 129 उच्चतम न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना

    अनुच्छेद 130 उच्चतम न्यायालय का स्थान

    अनुच्छेद 131 उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता131क[निरसन]

    अनुच्छेद 132 कुछ मामलों में उच्च न्यायालयों से अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता

    अनुच्छेद 133 उच्च न्यायालयों में सिविल विषयों सेसंबंधित अपीलों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता

    अनुच्छेद 134 दांडिक विषयों में उच्चतम न्यायालय की अपीली अधिकारिता

    अनुच्छेद 134क उच्चतम न्यायालय में अपील के लिए प्रमाण पत्र

    अनुच्छेद 135 विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना

    अनुच्छेद 136 अपील के लिए उच्चतम न्यायालय की विशेष इजाजत

    अनुच्छेद 137 निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालयों द्वारा पुनर्विलोकन

    ?अनुच्छेद 138 उच्चतम न्यायालय की अधिकारिता की वृद्धि

    ?अनुच्छेद 139 कुछ रिट निकालने की शक्तियों का उच्चतम न्यायालय को प्रदत्त किया जाना

    ?अनुच्छेद 139क कुछ मामलों का अंतरण

    ?अनुच्छेद 140 उच्चतम न्यायालय की आनुषंगिक शक्तिया

    ?अनुच्छेद 141 उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होना

    ?अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश

    ?अनुच्छेद 143 उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति

    ?अनुच्छेद 144 सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय144क[निरसन]

    ?अनुच्छेद 145 न्यायालय के नियम आदि

    ?अनुच्छेद 146 उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और सेवक तथा व्यय

    ?अनुच्छेद 147 निर्वाचन आदि

    न्यायपालिका की कोई पांच शक्तियों का वर्णन कीजिए न्यायपालिका की विशेषता न्यायपालिका की स्वतंत्रता क्या है न्यायपालिका से आपका क्या अभिप्राय है भारत में न्यायपालिका के संगठन का वर्णन करें भारतीय न्यायपालिका स्वतंत्र न्यायपालिका का क्या महत्व है स्वतंत्र न्यायपालिका क्या है
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