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    Home»History»Medieval History»Establishment of Colonial भारत में औपनिवेशिक शासन
    Medieval History

    Establishment of Colonial भारत में औपनिवेशिक शासन

    By NARESH BHABLASeptember 16, 2020No Comments4 Mins Read
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    Page Contents

    • भारत में औपनिवेशिक_शासन
      • औपनिवेशिक_अर्थव्यवस्था
      • भारत के गवर्नर एवं गवर्नर जनरल के अधीन घटनाक्रम
      • लार्ड वारेन हेस्टिंग्स 1772 से 1785
      • लार्ड कार्नवालिस
      • लार्ड वेलेजली
      • लार्ड विलियम बैंटिक
      • चाल्स मेटकाफ
      • लार्ड ऑकलैंड

    भारत में औपनिवेशिक_शासन

    औपनिवेशिक शासन

    औपनिवेशिक_अर्थव्यवस्था

    औपनिवेशिक_अर्थव्यवस्था से तात्पर्य है कि किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था का उपयोग अपने हित के लिए प्रयोग करना। भारत में औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था की शुरुआत 1757 ई0 में प्लासी युद्ध से हुई, जो विभिन्न चरणों में अपने बदलते स्वरूप के साथ स्वतंत्रता प्राप्ति तक चलती रही।

    भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के बारे में सर्वप्रथम दादा भाई नौरोजी ने अपनी पुस्तक ’द पावर्टी एण्ड अन ब्रिटिश रूल इन इण्डिया’ में उल्लेख किया। इनके अलावा रजनी पाम दत्त, कार्ल माक्र्स, रमेश चन्द्र दत्त, वी.के.आर.वी राव आदि ने भी ब्रिटिश औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के बारे में अपने विचार प्रगट किये हैं।

    रजनी पाम दत्त ने अपनी पुस्तक ’इण्डिया टुडे’में ब्रिटिश औपनिवेशिक_अर्थव्यवस्था को तीन चरणों में विभाजित किया है-:

    1. वाणिज्यिक चरण -1757-1813
    2. औद्योगिक मुक्त व्यापार- 1813-1858.
    3. वित्तीय पूंजीवाद -1858 के बाद

    1857 की क्रान्ति के बाद, प्रशानिक व्यवस्था में व्यापार परिवर्तन किया गया था। चूँकि भारत ब्रिटिश प्रशासन के अधीन था, अतः यहाँ ब्रिटिश हितों के अनुकूल नीतियाँ बनायी जा सकती थीं। भारत में कच्चा माल तथा सस्ता श्रम आसानी से उपलब्ध था।

    ब्रिटिश प्रशासन द्वारा पूँजीपति को सस्ता ऋण भी उपलब्ध कराया गया। उपरोक्त परिस्थितियों ने ब्रिटिश पूँजीपतियों को अनेक क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रेरित किया। अब ब्रिटिश पूँजी के अन्तर्गत अनेक उद्योग धन्धों, चाय, काफी नील तथा जूट के बगानों, बैंंकिंग, बीमा आदि क्षेत्र आ गये।

    उपरोक्त चरणों के अध्ययन से पता चलता है कि औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। कृषि, उद्योग, हस्तशिल्प कुटीर उद्योग पर इसके दूरगामी प्रभाव पड़े, जिसे हम निम्नलिखित बिन्दुओं के तहत समझ सकते है-

    व्यापार एवं कुटीर उद्योग पूर्णतया समाप्त होगये जिससे कृषि पर दबाव बढ़ गया। वाणिज्यक फसलें उगाने के कारण देश में दुर्भिक्ष, अकाल आदि आम बात हो गये, जिससे देश में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में धन-जन की हानि हुई।

    ब्रिटिश उद्योगों को प्रोत्साहन तथा भारतीय उद्योग को हतोत्साहित किया गया, जिससे भारत के हस्त-शिल्प एवं परम्परागत कपड़ा उद्योग पूर्णतयः नष्ट हो गये। अंगे्रजों ने भारतीय जुलाहों को इतना कम मूल्य देना आरम्भ कर दिया कि उन्होंने बढि़या कपड़ा बनाना ही बन्द कर दिया।

    भारतीय माल पर अंग्रेजों द्वारा इतना कर लगा दिया जाता जिससे उसकी कीमत बाजारमें दोगुनी हो गई, जिससे बाजार प्रतिस्पर्धा में वे मशीनीउत्पादन का मुकाबला न कर सके।

    भारत के गवर्नर एवं गवर्नर जनरल के अधीन घटनाक्रम

    गवर्नर जनरल 1773 से 18 57 इसी तक भारत में ब्रिटिश शासन का सर्वोच्च अधिकारी। वायसराय 1858 ईस्वी के बाद भारत में ब्रिटिश शासन का सर्वोच्च अधिकारी।

    लार्ड वारेन हेस्टिंग्स 1772 से 1785

     1772 से 1774 तक बंगाल का गवर्नर रहा तथा 1774 से 1785 तक बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल रहा। दस्तक प्रथा पर प्रतिबंध लगाया।पंचवर्षीय भूमि बंदोबस्त किया। इन्होंने देशी रियासतों के प्रति रिंग फेंस की शुरूआत की। इन्हें भारत का पिट तथा पूर्व का चैथम भी कहा जाता है।

    इनके समय में 1773 इसवी में रेगुलेटिंग एक्ट शुरू हुआ। 1774 ईसवी में कोलकाता में सर्वोच्च न्यायालय स्थापित हुआ। 1784 में पिट्स इंडिया एक्ट लागू हुआ।

    लार्ड कार्नवालिस

    न्यायिक क्षेत्र शक्ति के पृथक्करण सिद्धांत को भारत में लागू किया। कार्नवालिस ने अमेरिकन स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश सेना का नेतृत्व किया।भारत में नागरिक सेवा का जनक कहलाता है। 1793 ईस्वी में कार्नवालिस संहिता लागू की। 22 मार्च 1793 ईस्वी में भूमि बंदोबस्त का स्थाई प्रणाली बंगाल में लागू की।

    1805 में गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) में इनकी मृत्यु हुई। दो बार गवर्नर जनरल बनने वाला एकमात्र व्यक्ति था। इससे पहले क्लाइव दो बार बंगाल का गवर्नर बना था न की गवर्नर जनरल।

    लार्ड वेलेजली

    सहायक संधि प्रणाली (1798 ) की शुरुआत की। हैदराबाद के निजाम के साथ प्रथम सहायक संधि की।

    लार्ड विलियम बैंटिक

    राजा राममोहन राय के प्रयासों से 1829 ईस्वी में सती प्रथा को समाप्त किया। भारत का प्रथम गवर्नर जनरल जिसने 1935 ईस्वी में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा को बनाया। ठगी प्रथा की समाप्ति – इस कार्य में कर्नल स्लीमैन ने सहयोग दिया। कन्यावध निषेध किया गया।1885 में लार्ड मैकाले की अध्यक्षता में पहला विधि आयोग गठित हुआ।

    चाल्स मेटकाफ

    समाचार पत्रों का मुक्तिदाता कहा जाता है।

    लार्ड ऑकलैंड

    1829 ईस्वी में कोलकाता में भारत में पहली राजनीतिक संस्था जमीदारों की सभा की स्थापना की गई।

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