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    Home»Science»PHYSICS»Electric Current विद्युत धारा एवं परिपथ क्या है???
    PHYSICS

    Electric Current विद्युत धारा एवं परिपथ क्या है???

    By NARESH BHABLAJune 21, 2020Updated:September 9, 2020No Comments5 Mins Read
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    Page Contents

    • विद्युत धारा एवं परिपथ
      • ओम का नियम ( Om’s Law )
      • धारा ( CURRENT )
        • चुम्बकीय फ्लक्स ( Magnetic flux ) –
      • धारा के प्रकार ( Types of Current  )
      • फ्यूज ( Fuse )
        • फ्यूज के कार्य ( Fuse Work )

    विद्युत धारा एवं परिपथ

    विद्युत धारा

    आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं विद्युत आवेश का मात्रक कूलाम (C) तथा धारा का मात्रक एम्पियर (A) होता है

    I=Q/T

    किसी चालक तार के सिरों पर बैटरी जोड़ने पर चालक तार में मुक्त इलेक्ट्रान गति करते है।(आवेश का प्रवाह होता है।)

    एकांक आवेश को किसी विद्युत परिपथ के एक बिंदु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किए गये कार्य को उन दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर कहते है

    विधुत धारा एक अदिश राशि होती है क्योंकि धाराओं का योग सदिश योग नियम का पालन नहीं करता है। विधुत धारा का SI मात्रक कूलाम/सेकण्ड या एम्पियर होता है। प्रतिरोध का मात्रक ओम होता है ओम नामक वैज्ञानिक ने प्रतिरोध के मात्रक की खोज की थी इसलिए इस का SI मात्रक ओम होता है

    एमीटर से विद्युत धारा की गणना की जाती है जो कि विद्युत परिपथ में श्रेणी क्रम में लगाया जाता है विभवांतर की गणना वोल्टमीटर से की जाती है जो कि विद्युत परिपथ में समांतर क्रम में लगाया जाता है

    एक एम्पियर धारा से तात्प्रर्य है – किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ परिच्छेद से प्रति सेकण्ड 6.25×10` 18 इलेक्ट्रॉन गुजरते है।

    Volt – विद्युत वाहक बल का मात्रक वोल्ट है । यदि 1 ओम से 1 एम्पियर धारा प्रवाहित की जाए तो यह एक एक वोल्ट कहलाता है। ओम के नियम अनुसार 

    वोल्ट = धारा × प्रतिरोध

    Ampere – विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर A है । ओम के नियम अनुसार 

    धारा = वोल्ट/प्रतिरोध

    Watt – विद्युत शक्ति का मात्रक वाट है 1 वाट = 1 जूल प्रति सेकेंड

    शक्ति = वोल्ट × धारा

    HP –  Horse Power यानी अश्व शक्ति

    1 ब्रिटिश HP = 746 वाट
    1 मीट्रिक HP = 735.5 वाट

    Unit –  वैद्युतिक उर्जा की इकाई यूनिट है ।

    1 Unit = 1 किलो वाट घंटा  या 1 यूनिट = 1000 वाट घंटा

    • एक आदर्श अमीटर का प्रतिरोध सुन्न होना चाहिए
    • एक आदर्श वाल्टमीटर का प्रतिरोध अनन्त होना चाहिए
    • प्रतिरोध तार की लंबाई के समानुपाती होता ह अर्थात तार की लंबाई बढ़ेगी तो प्रतिरोध भी बढ़ेगा
    • प्रतिरोध तार की मोटाई अर्थात चेतरफल बढ़ने पर प्रतिरोध कम होगा

    ओम का नियम ( Om’s Law )

    इसके अनुसार, नियत ताप पर विद्युत परिपथ में चालक के दो सिरों के बीच विभवान्तर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता है।

    किसी धातु के एक समान चालक का प्रतिरोध –

    • उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती(समानुपाती) होता है।
    • अनुप्रस्थ काट क्षेत्र के व्युतक्रमानुपाती होता है।
    • पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।

    धारा ( CURRENT )

    किसी चालक के धनावेश के प्रवाह की दिशा ही धारा की दिशा मानी जाती है। अतः धारा के प्रवाह की दिशा ऋणावेश के प्रवाह की दिशा के विपरीत होती है।

    इसकी दिशा सदैव धन सिरे के ऋण सिरे की ओर होती है इसका मात्रक ‘ऐम्पियर’ होता है आवेशों के प्रवाह में रुकावट को “प्रतिरोध” कहते हैं यह लंबाई, अनुप्रस्थ काट, ताप व पदार्थ पर निर्भर करता है।

    जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है यह धारा का ‘चुंबकीय प्रभाव’ कहलाता है। चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक “वेबर” होता है

    चुम्बकीय फ्लक्स ( Magnetic flux ) –

    किसी चुंबकीय क्षेत्र में रखे पृष्ठ से गुजरने वाली चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या को उस पृष्ठ से संबद्ध “चुम्बकीय फ्लक्स” कहते हैं सर्व प्रथम 1796 में जर्मनी के “अलेक्ज़ेंडर वोल्टा” नामक वैज्ञानिक ने ‘विद्युत सेल’ बनाया था। ओम के नियम का प्रतिपादन सन 1826 में जर्मनी के वैज्ञानिक “डॉ. जार्ज साइम ओम” ने किया था 

    Note :- चालकों में विधुत धारा का प्रवाह मुक्त इलेक्ट्रॉनों के कारण होता है,जबकि अर्द्ध चालकों में विधुत धारा का प्रवाह e- तथा होल के कारण होता है।

    धारा के प्रकार ( Types of Current  )

    1. प्रत्यावर्ती धारा ( Alternating Current )
    2. दिष्ट धारा ( Direct Current )

    प्रत्यावर्ती धारा ( Alternating Current ) – धारा का परिमाण व दिशा दोनों समय के साथ बदलते है। यह केवल उष्मीय प्रभाव दर्शाती है।

    दिष्ट धारा ( Direct Current )- धारा का परिमाण व दिशा दोनों समय के साथ स्थिर रहते है। उष्मीय,रासायनिक,चुम्बकीय प्रभाव दर्शाती है।

    फ्यूज ( Fuse )

    फ्यूज_एक सुरक्षा युक्ति है जो विद्युत परिपथ की ओवरलोड तथा शार्ट सर्किट से सुरक्षा करता है । फ्यूज निम्न गलनांक वाली धातु से बना होता है, ये मुख्यतः तांबा, चांदी, एल्युमीनियम के बने होते हैं ।

    फ्यूज_के प्रकार ( Types of fuse )

    फ्यूज_का चयन मुख्यतः धारा वहन क्षमता और आवश्यकता पर निर्भर करता है । ये मुख्यतः

    • किट कैट फ्यूज
    • HRC फ्यूज
    • कार्टिज फ्यूज 

    फ्यूज के कार्य ( Fuse Work )

    इनका चयन इनकी धारा वहन क्षमता और परिपथ की आवश्यकता पर निर्भर करता है । फ्यूज को परिपथ की शुरुआत में फेज तार के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है । जब शार्ट सर्किट या ओवरलोड आदि के कारण फ्यूज तार में से क्षमता से अधिक धारा प्रवाहित होती है तो फ्यूज तार धारा के उष्मीय प्रभाव के कारण गर्म होकर पिघलकर टूट जाता है ।

    जिससे परिपथ में धारा प्रवाह रुक जाता है और परिपथ को किसी तरह की हानि नहीं होती । इस प्रकार फ्यूज स्वंय टूटकर परिपथ की सुरक्षा करती है । एक बार यदि फ्यूज तार टूट जाता है तो वह दोबारा उपयोग नही किया जा सकता और इसे बदलकर नया फ्यूज उपयोग किया जाता है ।

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