Development Plans प्रमुख विकास परियोजनाएं
Development Plans
क्षेत्रीय एवं जनजाति विकास कार्यक्रम ( Regional and tribal development program )
सूखा संभाव्य (सूखा प्रभावित) क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP)- यह कार्यक्रम 1974 -75 में केंद्र प्रवर्तित स्कीम के रूप में प्रारंभ किया गयाmइसकी वित्तीय व्यवस्था में केंद्र व राज्यों का 75: 25 रखा गया इस कार्यक्रम का उद्देश्य सूखे की संभावना वाले क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में सुधार करना
इसके लिए भूमि व जल के उपलब्ध साधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जाता है ताकि इन क्षेत्रों में अकाल व सूखे के प्रतिकूल प्रभाव कम किए जा सके निम्न कार्यक्रमों पर बल दिया जाता है
- मिट्टी में नमी का संरक्षण करना
- जल संसाधनों का विकास
- वृक्षारोपण करना
1982 -83 में इस कार्यक्रम के दायरे से वे खंड हटा दिए गए जो पहले मरू विकास कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल थे वर्तमान में यह कार्यक्रम 11 जिलों अजमेर ,बांसवाड़ा ,बारा भरतपुर, डूंगरपुर, झालावाड़, करौली ,कोटा ,सवाई माधोपुर, टोंक,व उदयपुर के विभिन्न 32 खंडों में संचालित किया जा रहा है
1995 -96 इस कार्यक्रम के अंतर्गत भरतपुर जिले का डीग अजमेर जिले का भिनाय खंड शामिल करने का प्रस्ताव किया गया था इस कार्यक्रम के अंतर्गत जनजाति जिलों में डूंगरपुर बांसवाड़ा जिले के समस्त खंड शामिल किए गए लेकिन अन्य जिलों से कुछ चुने हुए खंड ही शामिल किए गए हैं DPAP के माध्यम से भू संरक्षण नई संरक्षण सिंचाई विकास वृक्षारोपण के कार्यों पर प्रतिवर्ष धनराशि की जाती है
मरू विकास कार्यक्रम ( Desert Development Programme- DDP )
यह केंद्र चालित स्कीम है और वर्ष 1985 -86 से इसका संपूर्ण व्यय भारत सरकार वहन करने लगी है यह कार्यक्रम 1977 -78 में राष्ट्रीय कृषि आयोग की सिफारिशों के आधार पर चालू किया गया था इसका उद्देश्य मरुस्थल को आगे बढ़ने से रोकना एवं इन क्षेत्रों के लोगों की आर्थिक दशा को सुधारना है
1 अप्रैल 1995 से यह कार्यक्रम निम्न 16 मरू जिलों के 85 खंडों में संचालित किया जा रहा है अजमेर ,जयपुर ,सिरोही, राजसमंद ,उदयपुर, बीकानेर, बाड़मेर ,जोधपुर, जालौर’ नागौर, चुरू, पाली ,गंगानगर, जैसलमेर, सीकर ,झुंझुनू
वर्ष 1995 -96 से यह कार्यक्रम जल ग्रहण क्षेत्र /क्लस्टर /इंडेक्स कैचमेंट आधार पर संचालित किया जा रहा है । और 500 हेक्टेयर के एक माइक्रो जल ग्रहण प्रोजेक्ट पर प्रति हेक्टेयर ₹5000 की लागत आंकी गई है जिसे 4 वर्ष में पूरा करने पर बल दिया गया है इस योजना के अंतर्गत कृषि वानिकी (चारा व चराई साधनों) का विकास
- पशुपालन में भेड़ पालन का विकास
- पशुओं के लिए पेयजल की पूर्ति की व्यवस्था
- लघु सिंचाई (भूजल के विकास सहित)
- ग्रामीण विद्युतीकरण
वर्तमान में काफी वाटर सेट प्रोजेक्ट का कार्य प्रगति पर है (जल ग्रहण परियोजनाएं)
जनजाति क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम ( Tribal Area development program- TADP)
2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में 12 . 4 लाख जनजाति के लोग थे जो राज्य की कुल जनसंख्या का 13.5% अंश था जनजाति के व्यक्तियों को निम्न कार्यक्रमों के माध्यम से लाभान्वित किया जा रहा है
जनजाति उपयोजना
इसके अंतर्गत बांसवाड़ा, डूंगरपुर ,चित्तौड़गढ़, उदयपुर व सिरोही जिलों की 23 पंचायत समिति आती है राज्य की कुल जनजाति खबर 94 . 4 लाख लोगों में से काफी लोग जनजाति उपयोजना क्षेत्र में आते हैं इसमें 4409 गांव शामिल है
जनजाति उपयोजना 1974- 75 से आरंभ की गई मुख्य कार्यक्रम इस प्रकार है सिंचाई ,विद्युत ,फल विकास, बेर बेडिंग, डीजल पंपिंग से सामुदायिक सिंचाई, बीज व उर्वरक वितरण ,फार्म वानिकी आदि
जनजाति के व्यक्तियों के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है विद्यार्थियों को स्टाइपेंड भी दिया जाता है भविष्य में छात्रावास के निर्माण पर विशेष बल दिया जाएगा
1999 -2000 से राज्य में जनजाति विकास की महाराष्ट्र प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया गया था प्रारंभ में 13 विभागों की राज्य योजना मद की 8% राशि का एक जनजाति विकास कोष बनाया गया
2013 -14 के बजट में अनुसूचित जनजाति छात्रावास आश्रम छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों में रह रहे छात्रों का मैस भत्ता1750 रुपए मासिक किया गया था
परिवर्तित क्षेत्र विकास दृष्टिकोण MADA
इसमें 13 जिलों के 2939 गांव में 44 समूहों के जनजाति के लोग शामिल है अलवर धौलपुर भीलवाड़ा बूंदी चित्तौड़गढ़ उदयपुर झालावाड़ कोटा पाली सवाई माधोपुर सिरोही टोंक जयपुर इस कार्यक्रम के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्राप्त होती है
यह कार्यक्रम 1978 -79 से प्रारंभ किया गया है इसमें व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने वाली स्कीम में शामिल की गई है माडा में शैक्षणिक विकास पर भी ध्यान दिया जाता है
सहरिया विकास कार्यक्रम ( Sahria Development Program )
1977 से आरंभ किया गया इसमें बारा जिले की शाहाबाद व किशनगंज पंचायत समितियों के 50000 लोग शामिल है जो 435 गांव में फैले हुए हैं कार्यक्रम के लिए केंद्रीय सहायता मिलती है राज्य की योजना में भी इसके लिए प्रावधान किया जाता है
कृषि पशुपालन कुटीर उद्योग वानिकी शिक्षा पोषण पेयजल ग्रामीण विकास आदि पर धनराशि दी जाती है 2011 में सहरिया परिवार के बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय का निर्माण करवाने और 50 नए मां बाडी शिक्षा केंद्र स्थापित करने का कार्यक्रम प्रस्तावित किया गया
एक ITI की स्थापना करने महिलाओं के स्वयं सहायता समूह को ब्याज अनुदान देने रीको द्वारा कृषि प्रसंस्करण, विशेष उत्पादों के लिए एक नया औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने पर बल दिया गया था
वर्ष 2011 में उदयपुर जिले की कथोड़ी जनजाति के लिए 200 आवासीय भवनों के निर्माण की योजना प्रारंभ की गई थी, कथोड़ी बस्तियों में मां बाड़ी केंद्र स्थापित करना प्रस्तावित है
जनजाति युवाओं को स्वरोजगार हेतु ₹10000 का अनुदान दिया गया, राजीव गांधी ट्राइबल विश्वविद्यालय उदयपुर में स्थापित किया जाएगा
मानगढ़ धाम में शहीद स्मारक बनाया जाएगा, कृषकों को ट्राइबल सब प्लान के तहत उन्नत बीज उर्वरक आरक्षण हेतु दवाइयां उपलब्ध करवाई जाएगी इस कार्यक्रम पर ₹27 करोड़ के व्यय का अनुमान है
बिखरी जनजाति के लिए विकास कार्यक्रम
यह 1979 से प्रारंभ किया गया था इसका संचालन जनजाति क्षेत्र विकास विभाग द्वारा किया जाता है विभिन्न जिलों में इसकी संख्या 14. 3लाख आंकी गई है इसके लिए शिक्षा स्वास्थ्य आवास हॉस्टल विशेषतया लड़कियों के लिए निशुल्क पोशाके पुस्तकें छात्रवृत्ति परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना आदि कार्य किए जाते हैं
पेंशन योजनाएं ( Pension plans )
राजस्थान की राज्य सरकार ने प्रदेश के वरिष्ठ नागरिको के लिए मुख्यमंत्री पेंशन योजना (Chief Minister Pensions Scheme) की शुरुआत की है | यह योजना सभी वर्ग आयु के व्यक्ति के लिए शुरू की गई है |
इस योजना को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है | सरकार द्वारा योजना को जारी करने का उद्देश्य यह है “सबका रखा ध्यान, किया सबका सम्मान, राजस्थान सरकार कि यही पहचान” |
इन पेंशन योजना में पेंशन को बढ़ा दिया गया है | इस योजना को राज्य में 1 जुलाई, 2017 से लागू किया गया |
राजस्थान में जारी विभिन्न पेंशन योजना :-
- मुख्यमंत्री एकल नारी सम्मान पेंशन योजना ( Chief Minister Ekal Nari Samman Pension Scheme)
- मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन सम्मान पेंशन योजना ( Chief Minister Special Salvation Pensions Scheme )
- मुख्यमंत्री वृद्धजन सम्मान पेंशन योजना ( Chief Minister’s Old Age Honor Pension Scheme )
मुख्यमंत्री एकल नारी सम्मान पेंशन योजना ( Chief Minister Ekal Nari Samman Pension Scheme):-
यह पेंशन योजना राजस्थान सरकार ने राज्य की विधवा, परित्यक्त एवं तलाकशुदा पेंशनर्स को लाभ देने के लिए शुरु की | इस योजना में सभी को आयुवर्ग अनुसार लाभ दिया जाएगा | इस योजना में चयनित लोगो को आयु के मुताबिक दो दो वर्गों में बांटा गया है |
आयु पेंशन प्रति माह पेंशन में बढ़ोत्तरी
- 60 वर्ष से अधिक आयु और 75 से कम आयु 500 रुपये 1000 रुपये
- 75 वर्ष या अधिक 750 रुपये 1500 रुपये
मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन सम्मान पेंशन योजना ( Chief Minister Special Salvation Pensions Scheme ) :
यह योजना सरकार में जन्म से 75 वर्ष आयु तक के लोगो के लिए शुरू की है | इस योजना में जन्म से 8 वर्ष तक की आयु वाले बच्चो के लिए पेंशन शुरू की है | आयु पेंशन प्रति माह पेंशन में बढ़ोत्तरी
- 8 से 75 वर्ष आयु 500 रुपये 750 रुपये
- जन्म से 8 वर्ष तक 250 रुपये 750 रुपये
मुख्यमंत्री वृद्धजन सम्मान पेंशन योजना( Chief Minister’s Old Age Honor Pension Scheme ) :
सरकार ने यह पेंशन योजना केवल वरिष्ठ नागरिको के लिए शुरू की गई है | यह योजना में 75 वर्ष के बुज़ुर्गो के लिए है |आयु पेंशन प्रति माह
- 75 वर्ष से कम 500 रुपये
- 75 वर्ष से अधिक आयु 750 रुपये
ग्रामीण व नगरीय विकास योजनाएं ( Rural and Urban Development Schemes)
भौगोलिक एवं प्राकृतिक भू-भाग को समाज वैज्ञानिकों ने विविध आधारों पर बाँटा हैं-: महाद्वीप एवं महादेशीय आधार पर वर्गीकरण, राष्ट्र-राज्यों के आधार पर वर्गीकरण, सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों के आधार पर वर्गीकरण, इत्यादि।
समाज ऐतिहासिक विकास की प्रक्रिया को आधार बनाकर विश्व के भू-भागों को दो श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है ग्रामीण क्षेत्र एवं नगरीय क्षेत्र। नगर, नगरीयता एवं नगरीकरण की अवधारणा आज वैष्विक स्तर पर दुनिया की लगभग आधी आबादी नगरीय क्षेत्रों में निवास कर रही है।
लेकिन विश्व के नगरीय रुपान्रतण का प्रतिमान अलग-अलग राष्ट्रों में समरुपीय नहीं है। एक ओर जहाँ विकसित देश- अमेरिका, यूरोप की भाँति लैटिन अमरीका एवं कैरिबियन द्वीप समूह में लगभग तीन चौथार्इ आबादी नगरीय क्षेत्रों में रह रही है।
वहीं दूसरी ओर भारत, चीन, इंडोनेशिया एवं अफ्रीका में लगभग दो-तिहार्इ आबादी अभी ग्रामीण क्षेत्रों में ही रह रही है। अरब राष्ट्रों की लगभग आधी आबादी ग्रामीण एवं शेष आधी नगरीय आबादी का प्रतिमान अलग-अलग क्षेत्रोंमें भिन्न-भिन्न है।
नगर : ‘नगरीय क्षेत्र‘ या ‘नगर’ कया है? इस शब्द का प्रयोग दो अर्थ में होता है-जन सांख्यिकीय रुप में और समाजशास्त्रीय रुप में। पहले अर्थ में जनसंख्या के आकार, जनसंख्या की सघनता, और दूसरे अर्थ में विशमता, अवैयक्तिकता, अन्योन्याश्रय, और जीवन की गुणवत्ता पर ध्यान केन्द्रित रहता है। जर्मन समाजशास्त्री टोनीज (1957) ने ग्रामीण और नगरीय समुदायों में भिन्नता सामाजिक संबंधो और मूल्यों के द्वारा बतार्इ है।
ग्रामीण –
गेमिनषेफ्ट समुदाय वह है जिसमें सामाजिक बन्धन कुटुम्ब और मित्रता के निकट के व्यक्तिगत बंधनोंपर आघारित होते हैं और परम्परा, सामंजस्य और अनौपचारिकता पर बल दिया जाता है जबकि नगरीय गैसिलशेफ्ट समाज में अवैयक्तिक और द्वितीयक संबंध-प्रधान होते हैं और व्यक्तियों में विचारों का आदान-प्रदान औपचारिक, अनुबन्धित और विशेष कार्य या नौकरी जो वे करते हैं
उन पर आधारित होते हैं। गैसिलशेफ्ट समाज में उपयोगतावादी लक्ष्यों और सामाजिक संबंधों के प्रतिस्पर्द्धा के स्वरुपपर बल दिया जाता है।
मैक्स वेबर (1961:381) और जार्ज सिमल (1950) जैसे अन्य समाजषास्त्रियों ने नगरीय वातावरण में सघन आवासीय परिस्थितियों, परिवर्तन में तेजी, और अवैयक्तिक अन्त:क्रिया पर बल दिया है।
लुर्इस वर्थ ने कहा है कि समाजशास्त्रीय उद्देश्यों के लिये एक नगर की यह कह कर परिभाषा की जा सकती है कि वह सामाजिक रुप से पंचमेल/विशमरुप व्यक्तियों की अपेक्षाकृत बड़ी, सघन, और अस्थार्इ बस्ती है। रुथ ग्लास (1956) जैसे विद्वानों ने नगर को जिन कारकों द्वारा परिभाशित किया है
वे हैं जनसंख्या का आकार, जनसंख्या की सघनता, प्रमुख आर्थिक व्यवस्था, प्रशासन की सामान्य रचना, और कुछ सामाजिक विशेषतायें।भारत में ‘कस्बे’ की जनगणना की परिभाषा1950-51 तक लगभग एक ही रही, परन्तु 1961 में एक नर्इ परिभाषा अपनार्इ गर्इ।
1951 तक, ‘कस्बे’ में सम्मिलित थे:
- मकानों का संग्रह जिनमें कम सेकम 5000 व्यक्ति स्थार्इ रुप से निवास करते हैं
- प्रत्येक म्युनिसिपेलिटि/ कार्पोरेषन/किसी भी आकार का अधिसूचित क्षेत्र,
- सब सिविल लाइनें जो म्यूनिसिपल इकार्इयों में सम्मिलित नहीं हैं।
इस प्रकार कस्बे की परिभाषा में प्रमुख फोकस जनसंख्या के आकार पर न होकर प्रशासनिक व्यवस्था पर अधिक था। 1961 में किसी स्थान को कस्बा कहने के लिये कुछ मापदण्ड लगाये गये।ये थे:
- कम से कम 5000 की जनसंख्या
- 1000 व्यक्ति प्रति वर्ग मील से कम की सघनता नहीं
- उसकी कार्यरत जनसंख्या का तीन-चौथार्इ गैर-कृषिक गतिविधियों में होनी चाहिये
- उस स्थान की कुछ अपनी विशेषतायें होनी चाहिये और यातायात और संचार, बैंकें, स्कूलों, बाज़ारों, मनोरंजन केन्द्रों, अस्पतालों, बिजली, और अखबारों आदि की नागरिक सुख सुविधायें होनी चाहिये।
परिभाषा में इस परिवर्तन के फलस्वरुप 812 क्षेत्र (44 लाख व्यक्तियों के) जो 1951 की जनगणना में कस्बे घोषित किये गये थे उन्हें 1961 की जनगणना में कस्बा नहीं माना गया।
1961 का आधार 1971, 1981, 1991 की जनगणनाओं में भी कस्बे की परिभाषा करते समय अपनाया गया अब जनसांख्यिकीय रुप में उन क्षेत्रों को जिनकी जनसंख्या 5000 और 20000 के बीच है छोटा कस्बा माना जाता है, जिनकी 20000 और 50000 के बीच है उन्हे बड़ा कस्बा माना जाता है।
जिनकी जनसंख्या 50000 और एक लाख के बीच है, उन्हें शहर कहा जाता है, जिनकीएक लाख और 10 लाख के बीच उन्हे बड़ा “शहर कहा जाता है,
नगरीयता: लुर्इस वर्थ (1938:49) ने नगरीयता की चार विशेषतायें बतलार्इ हैं:
- स्थायित्व: एक नगर निवासी अपने परिचितों को भूलता रहता है और नये व्यक्तियों से संबन्ध बनाता रहता है। उसके पड़ोसियों से एवं क्लब आदि जैसे समूहों के सदस्यों से अधिक मैत्रीपूर्ण संबन्ध नहीं होते इसलिये उनके चले जाने से उसे कोर्इ चिन्ता नहीं होती
- सतहीपन: एक नागरिक कुछ ही व्यक्तियों से बातचीत करता है और उनसे भी उसके संबन्ध अवैयक्तिक और अनौपचारिक होते हैं।
ग्रामीण विकास कार्यक्रम एवं उनका श्रेणीगत विभाजन कार्य क्रम लागू वर्ष:-
प्रथम पंचवर्षीय योजना ( First five year plan )
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम 1952.
- राष्ट्रीय विस्तार सेवा1953
द्वितीय पंचवर्षीय योजना ( Second Five Year Plan ):-
- खादी एवं ग्राम उद्योग आयोग 1957
- बहुद्देशीय जनजातीय विकास प्रखण्ड 1959
- पंचायती राज संस्था 1959
- पैकेज कार्यक्रम 1960
- गहन कृषि विकास कार्यक्रम 1960
तृतीय पंचवर्षीय योजना ( Third Five Year Plan )
- व्यावहारिक पोशाहार कार्यक्रम 1960
- गहन चौपाया पशु विकास कार्यक्रम 1964
- गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम 1964
- उन्नत बीज किस्म योजना 1966
- राष्ट्रीय प्रदर्शन कार्यक्रम 1966 वार्शिक योजना
- कृषक प्रशिक्षण एवं शिक्षा कार्यक्रम 1966
- कुँआ निर्माण योजना 1966
- वाणिज्यिक अनाज विशेष कार्यक्रम 1966
- ग्रामीण कार्य योजना 1967
- अनेक फसल योजना 1967
- जनजातीय विकास कार्यक्रम 1968
- ग्रामीण जनषक्ति कार्यक्रम 1969
- महिला एवं विद्यालय पूर्व शिक्षण हेतु समन्वित योजना 1969
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना ( fourth five year plan ):
- ग्रामीण नियोजन हेतु कार्यक्रम 1971
- लघु कृशक विकास एजेन्सी 1971
- सीमान्त कृषक एवं भूमिहीन मजदूर परियोजना एजेन्सी 1971
- जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1972
- जनजातीय विकास पायलट परियोजना 1972
- पायलट गहन ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम 1972
- न्यूनतम आवष्यक कार्यक्रम 1972
- सूखा उन्मुख क्षेत्र कार्यक्रम 1973
- कमाण्ड क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1974
पंचम पंचवर्षीय योजना ( 5th Five Year Plan):
- समन्वित बाल विकास सेवा 1975
- पर्वतीय क्षेत्र विकास एजेन्सी 1975
- बीस सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम 1975
- विशेष पशु समूह उत्पादन कार्यक्रम 1975
- जिला ग्रामीण विकास एजेन्सी 1976
- कार्य हेतु अन्य येाजना 1977
- मरुस्थल क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1977
- सम्पूर्ण ग्राम विकास योजना 1979
- ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम 1979
षष्ठम पंचवर्षीय योजना (Sixth Five Year Plan):
- समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम1980
- राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम1980
- ग्रामीण महिला एवं शिशु विकास कार्यक्रम 1983
- ग्रामीण भूमिहीन नियोजन प्रतिभू कार्यक्रम 1983
- इन्दिरा आवास योजना1985
सप्तम पंचवर्षीय योजना ( Seventh year plan )
- मातृत्व एवं षिषु स्वास्थ्य कार्यक्रम1985
- सार्वभौमिक टीकारण कार्यक्रम
राजस्थान सरकार की सभी महत्वपूर्ण योजना ( All important plans of Rajasthan government )
- देवनारायण गुरुकुल योजना – एससीएसटी व विशेष पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के निजी विद्यालय में पढ़ने के लिए
- मुख्यमंत्री शहरी जन कल्याण योजना – शहरी क्षेत्रों में घरो का निर्माण
- प्रथम गौ सखी गौ पुत्री योजना – गोसेवा गोरक्षा से महिला वर्ग को जोड़ने के लिए
- श्रमिक कार्ड योजना – श्रमिकों को कार्ड बनाने के लिए
- दक्षता विकास प्रशिक्षण योजना – अनुसूचित जाति के बीपीएल परिवार के लिए
- वरिष्ठ उपाध्याय योजना – महिलाओं की शिक्षा में सुधार के लिए
- छात्रवृति योजना – जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए
- छात्रगृह किराया योजना – राजकीय महाविद्यालय, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं करने के लिए
- मोटरयान प्रदूषण जांच केन्द्र योजना – वाहनों की प्रदूषण जांच नहीं कराने पर विभाग ने पैनल्टी वसूलने के लिए
- मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति योजना – स्कूली छात्राओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए
- उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना – विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए
- भामाशाह रोजगार सृजन योजना – बेरोजगार नवयुवकों, महिलाओं अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोगों के लिए
- दिशारी योजना – विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने और क्षमता संवर्धन के लिए
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना – बुज़ुर्गो के लिए
- देवनारायण छात्रा स्कूटी वितरण योजना – 12वीं कक्षा की अनुसूचित जाति/ जनजाति व विशेष पिछड़ा वर्ग की छात्राओं के लिए
- वृद्धावस्था पेंशन योजना – बुज़ुर्गो आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए
- विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना – विद्यार्थियों को दुर्घटना में मृत्यु एवं शारीरिक क्षति होने पर माता- पिता व अभिभाव को बीमा राशि उपलब्ध
- मुख्यमंत्री हमारी बेटी योजना – मेधावी विद्यार्थियों को फ्री शिक्षा का लाभ प्रदान करने के लिए
- श्रमिक योजना – श्रमिकों के बच्चों को छात्रवृति प्रदान करने के लिए
- पं. दीनदयाल उपाध्याय विशेष योग्यजन पंजीयन अभियान – प्रत्येक विशेष योग्यजन को निःशुल्क ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के लिए
- मुख्यमंत्री विद्यादान कोष योजना राजस्थान – विद्या के लिए अधिक से अधिक राशि दान करने के लिए
- निःशुल्क स्कूटी वितरण योजना – अनुसूचित जनजाति के छात्राओं के लिए निःशुल्क स्कूटी प्रदान करने के लिए
- सोलर पम्प कृषि कनेक्शन योजना – किसानों को पर्याप्त बिजली प्रदान करने के लिए
- मुख्यमंत्री विद्यादान कोष योजना – स्कूलों में भामाशाह द्वारा दान के लिए जागरूकता अभियान
- सहकार जीवन सुरक्षा बीमा योजना – 79 वर्ष तक के किसानो के लिए
- शिक्षा स्वरोजगार लोन योजना – अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति सहित स्वच्छकार वर्ग को स्वरोजगार के लिए
- राजस्थान में मासिक नाट्य प्रदर्शन योजना – प्रति माह चतुर्थ शनिवार और रविवार को नाटक का नियमित रूप से प्रदर्शन करने के लिए
- ई-ग्राम डिजिटल योजना – इनेबल्ड सेवाओं को आसान और उपयोगी बनाने के लिए
- मुख्यमंत्री पेंशन योजना – सभी वर्ग आयु के व्यक्ति के लिए
- ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना – विद्यार्थियों को आर्थिक रूप से सहायता कर शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए
- एमनेस्टी योजना – घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए
- उद्योग रत्न प्रोत्साहन योजना – सर्वश्रेष्ठ बुनकर एवं हस्तशिल्पियों को पुरस्कृत करने के लिए
- सहयोग उपहार योजना – बीपीएल श्रेणी के परिवारों की बेटी की शादी के लिए
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना – राज्य के नागरिकों के लिए
- डोर-टू-डोर योजना – कचरा संग्रह करने के लिए
- आपणां टाबर निःशुल्क योजना – शिक्षित बेरोज़गारो के लिए निःशुल्क शिक्षा देने के लिए
- मुख्यमंत्री निःशुल्क कोचिंग योजना – मेधावी छात्रों के लिए मुफ्त कोचिंग
- उपहार योजना – विधवा महिलाओ पुत्री की शादी के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए
- स्वदेश दर्शन योजना – देश प्रमुख धार्मिक स्थलों पर यात्रा के लिए
- साइकिल साझा योजना – छुट्टियां मनाने आए पर्यटकों को मुफ्त ने साइकिल प्रदान करने के लिए
- भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना – सम्बन्धी सुविधाएं फ्री प्रदान करने के लिए
- दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना – वरिष्ठ नागरिकों के लिए
- आम आदमी बीमा योजना – परिवार के सदस्यो की मदद के लिए
- मुख्यमंत्री जन आवास योजना – गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए सस्ते घरों का वितरण
- स्मार्ट सिटी योजना – आना सागर झील को आकर्षिक बनाने के लिए
- स्वेच्छिक भार वृद्धि घोषणा योजना – किसानों को कृषि करने के लिए
- बीपीएल परिवार छात्रवृत्ति योजना – 10वीं और 12वीं के मेधावी छात्रों को वित्तिय सहायता प्रदान करने के लिए
- कन्या शादी सहयोग योजना – गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी में मदद करने के लिए
- मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना – युवाओ में कौशल विकसित करने के लिए
- निःशुल्क कोचिंग कक्षाएँ योजना – 12वी बोर्ड विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों के लिए
- राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम – किशोर स्वास्थ से सम्बंधित चिकित्सा परामर्श के लिए
- सरस सुरक्षा कवच बीमा योजना – दुग्ध उत्पादकों को बीमा लाभ देने के लिए
- क्लिक योजना – शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए
- अन्नपूर्णा रसोई योजना – कम व सस्ती दरों पर खाना उपलब्ध करने के लिए
- अकृषि उद्यम ऋण योजना – फर्नीचर एवं फिक्सचर तथा कार्यशील पुंजि हेतु ऋण सुविधा करने के लिए
- अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय स्कॉलरशिप योजना – अनुसूचित जाति वर्ग के प्रतिभावान विधार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए
- भामाशाह सृजन योजना – बेरोज़गारो को लोन प्रदान करने के लिए
- किस्मत योजना – किसानों को समृद्ध और उन्नत बनाने के लिए
- शुभ शक्ति योजना – श्रमिकों के हितों की रक्षा और अविवाहित महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए
- लैपटॉप वितरण योजना – मेधावी छात्रों को निशुल्क लैपटॉप वितरण करने के लिए
- मुख्यमंत्री राजश्री योजना – शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने हेतु एवं बालिका के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए
- मुख्यमंत्री जनजाति जलधारा योजना – जनजाति क्षेत्रों में कृषकों को ऋण उपलब्ध करने के लिए
- मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना – पेंशनर्स को नि:शुल्क दवाइयाँ वितरण करने के लिए
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