Close Menu
Golden Classes
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Golden Classes
    • Home
    • Sarkari Yojna
    • Subject
      • PHYSICS
      • Psychology
      • Philosophy
      • Geography
        • World Geography
        • Rajasthan Geography
        • India Geography
      • Arts & Culture
      • Science
      • Computer
      • हिंदी Hindi
      • History
        • Rajasthan History
        • Modern History
        • Medieval History
        • Ancient History
      • Political Science
      • Economy
    • Govt Jobs
    • Motivational
    • Web Stories
    • Others
      • Full Form
    Golden Classes
    Home»Philosophy»Buddhist Darshan: बौद्ध दर्शन क्या है जाने?
    Philosophy

    Buddhist Darshan: बौद्ध दर्शन क्या है जाने?

    By NARESH BHABLAJune 17, 2020Updated:May 22, 2021No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Buddhist Darshan
    Buddhist Darshan
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Buddhist Darshan

    Page Contents

    • Buddhist Darshan (बौद्ध दर्शन)
        • बुद्ध के जीवन से सबंधित बौद्व धर्म के प्रतीक
        • बौद्ध धर्म के पतन के कारण

    Buddhist Darshan (बौद्ध दर्शन)

    छठी शताब्दी ईसा पूर्व के उत्तरार्ध में अनेक धार्मिक संप्रदायों का उदभव हुआ | इन सभी धार्मिक संप्रदायों के उदभव का कारण पुरानी रुढ़िवादी धार्मिक व्यवस्था थी | इस काल में लगभग 62 संप्रदायों का उदय हुआ था जिनमें सबसे महत्वपूर्ण बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म थे |

    अन्य धार्मिक संप्रदाय जैसे एक अक्रियावाद (पूरण कश्यप), भौतिकवादी ( अजीत केशकंबली), अनिश्चय वादी ( संजय वेलट्ठिपुत्त), नियतिवादी ( मक्खलि गोशाल ) आदि प्रमुख थे |

    बौद्ध धर्म के संस्थापक “गौतम बुद्ध” थे l इन्हे एशिया का ज्योति पुज्ज(Light Of Asia) कहा जाता है l बुद्ध का वास्तविक नाम सिद्धार्थ था शाक्य कुल के क्षत्रिय थे | गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पुर्व में कपिलवस्तु के “लुम्बिनी” नामक स्थान पर हुआ था l

    इनके पिता शुद्वाेधन शाक्य गण के मुखिया थे l  इनकी माता मायादेवी की मृत्यु इनके जन्म के सातवे दिन ही हो गई थी l इनका लालन-पालन इनकी सौतेली माँ प्रजापति गौतमी ने किया था l

    Buddhist Darshan

    इनके बचपन का नाम सिद्वार्थ था l गौतम बुद्व का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ l इनके पुत्र का नाम “राहुल” था l 29 वर्ष की आयु में बुद्ध ने अपना घर छोड़ दिया था यह घटना महाभिनिष्क्रमण कहलाती है

    घर छोड़ने के पश्चात बुद्ध सर्वप्रथम सांख्य दर्शन के प्रणेता अलार कलाम के आश्रम में गए परंतु वहां से उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई | उसके पश्चात उन्होंने ब्राह्मण कौंडिल्य और चार अन्य उपासकों के साथ ज्ञान की प्राप्ति के लिए घोर तपस्या आरंभ की परंतु वहां भी उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई |

    इसके पश्चात उन्होंने बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे जीवन से संबंधित समस्याओं के बारे में चिंतन करना शुरु किया |

    उनके इस चिंतन के 8 दिन पश्चात जब 35 वर्ष की आयु के थे वैशाली पूर्णिमा की रात्रि को निरंजना नदी के किनारे उन्हें सच्चे ज्ञान ( संबोधि ) की प्राप्ति हुई और वह “बुद्ध” कहलाए | गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में पांच ब्राह्मणों को दिया था अतः बुद्ध के आरंभिक शिष्य ब्राह्मण थे |

    बुद्ध का यह पहला उपदेश ही धर्म चक्र प्रवर्तन कहलाता है |

    गौतम बुद्ध ने श्रावस्ती नामक स्थान पर सबसे ज्यादा उपदेश दिए थे  उनके प्रिय शिष्य आनंद के कहने पर ही गौतम बुद्ध ने अपनी माता प्रजापति गौतमी को संघ में प्रवेश दिया था प्रजापति गौतमी पहली महिला थी जिनको संघ में प्रवेश दिया था |

    गौतम बुद्ध की 80 वर्ष की आयु ( 483 ईसा पूर्व) में कुशीनगर में मृत्यु हो गई थी |

    सिद्वार्थ जब कपिलवस्तु की सैर पर निकले तो उन्होंने निम्न चार दृश्यो को क्रमश: देखा- 

    (i) बूढ़ा व्यक्ति
    (ii) एक बीमार व्यक्ति
    (iii) शव
    (iv) एक सन्यासी

    बुद्ध के जीवन से सबंधित बौद्व धर्म के प्रतीक

              घटना              प्रतीक

    • जन्म                कलम एंव सांड
    • गृहत्याग          घोडा
    • ज्ञान                 पीपल (बोधि व्रक्ष)
    • निर्वाण             पद-चिन्ह
    • मृत्यु                 स्तूप

    बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं में चार आर्य सत्य नामक सकारात्मक विचार रखे थे |

    1. प्रतीत्यसमुत्पाद – कारणता सिद्धांत
    2. अनित्यवाद – दुनिया में कोई भी वस्तु नित्य नहीं है |
    3. क्षणिकवाद – हर क्षण दुनिया परिवर्तनशील है |
    4. निर्वाण – मोक्ष को निर्वाण कहा गया है |

    बुद्ध के अनुसार मानव जीवन दुखों से परिपूर्ण है उनके समाधान के लिए बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग को सबसे उपयुक्त बताया है |

    अष्टांगिक मार्ग में 8 बातें समाहित हैं |

    1.सम्यक दृष्टि, 2.सम्यक संकल्प, 3.सम्यक वाणी, 4.सम्यक कर्म, 5.सम्यक आजीव, 6.सम्यक व्यायाम, 7.सम्यक स्मृति, 8.सम्यक समाधि

    बौद्ध धर्म में चार बौद्ध संगीतियां आयोजित की गई थी |
    समय             राजा      स्थान     अध्यक्ष       उद्देश्य
    483 B.C. अजातशत्रु राजगृह महाकस्य्प सुत्तपिटक व विनयपिटक का संकलन किया गया
    383 B.C. कालाशोक वैशाली सर्वकायी (सावरमीर) अनुशासन को लेकर मतभेद के समाधान के लिए बौद्ध धर्म स्थविर व महासंधिक दो भागों में बँट गया
    252 B.C. अशोक पाटलिपुत्र मोग्लिपुत्ततिस्स तीसरा व अंतिम पिटक अभिधम्मपिटक जोड़ा गया
    प्रथम शताब्दी अशोक कुण्डलवन (कश्मीर ) वसुमित्र बौद्ध धर्म का दो सम्प्रदायों में विभाजन – हीनयान व महायान

    सुत्तपिटक में भगवान बुद्ध के उपदेश है | विनयपिटक में बौद्ध भिक्षुओं की आचार संहिता है | अभिधम्मपिटक में बौद्ध दर्शन है |

    हीनयान महायान
    ⬇⬇⬇⬇⬇⬇
    संकीर्ण विचारधारा ( रूढ़िवादी) सुधारवादी विचारधारा
    बुद्ध के मूल उपदेशों को मानते हैं |
    बुद्ध के मूल उद्देश्यों में कई सुधार किए|
    यह पाली भाषा में उपदेश देते थे | कालांतर में संस्कृत को अपना लिया था|
    इनका परमपद अर्हत कहलाता है | इनका परमपद बोधिसत्व कहलाता है |

    बोधिसत्व – निर्वाण के योग्य हो जाएं लेकिन निर्वाण को स्वीकार नहीं करें |

    बौद्ध ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करते|

    आत्मा को अमर नहीं मानते|

    बौद्ध पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं|

    बौद्ध धर्म के पतन के कारण

    ईशा की बारहवीं शताब्दी तक बौद्ध धर्म भारत से लुप्त हो चुका था | शुरुआत में जिन अनुष्ठानों एवं विधानों का बौद्ध धर्म ने विरोध किया था कालांतर में उन्हीं को अपना लिया। बौद्ध धर्म की चुनौतियों का सामना करने के लिए ब्राह्मणों ने अपने धर्म में सुधार किया दूसरी और बौद्ध धर्म का पतन होता गया | उन्होंने आम जनता की भाषा पाली को त्याग दिया था और पंडितों की भाषा संस्कृत को अपनाया |

    ईसा की पहली सदी से बौद्धों ने मूर्ति पूजा शुरू कर दी थी तथा उन्हें भारी मात्रा में दान मिलने लगा | सातवीं सदी तक बौद्ध विहार दुराचारों का केंद्र बन गया था |

    ब्राह्मण शासक पुष्यमित्र शुंग तथा हूण शासक शैव मिहिरकुल ने बड़ी संख्या में बौद्धों की हत्या करवाई | गौड़ शासक शशांक (शिव उपासक) ने बोधगया के बोधि वृक्ष को काट डाला था जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था |

    इस प्रकार 12 वीं शताब्दी तक बौद्ध धर्म भारत से लगभग विलुप्त हो चुका था।

    Buddhist Darshan, Buddhist Darshan, Buddhist Darshan, Buddhist Darshan

    बौद्ध दर्शन बौद्ध दर्शन अनात्मवाद बौद्ध दर्शन और शिक्षा बौद्ध दर्शन का आत्मवाद क्या है बौद्ध दर्शन के अनुसार दुःख का मूल कारण क्या है बौद्ध दर्शन क्या है बौद्ध दर्शन में चार आर्य सत्य की अवधारणा का वर्णन कीजिए बौद्ध दर्शन में ध्यान बौद्ध दर्शन में प्रमाण बौद्ध धर्म के सिद्धांत क्या है बौद्ध धर्म क्या है बौद्ध धर्म दर्शन
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    महात्मा गांधी का दर्शन | गांधी दर्शन की प्रासंगिकता – दार्शनिक विचार

    February 19, 2022

    स्वामी विवेकानंद का दर्शन | दार्शनिक विचार

    February 15, 2022
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    Popular Post
    हिंदी Hindi

    हिंदी भाषा का विकास और उत्पत्ति कैसे हुई | हिंदी भाषा का इतिहास

    By NARESH BHABLANovember 1, 2023

    हिंदी भाषा का विकास और उत्पत्ति कैसे हुई व हिंदी भाषा का इतिहास की संपूर्ण…

    हिंदी भाषा के विविध रूप | भाषा के भेद और प्रकार

    November 14, 2023

    इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र [ IGNCA ] I Indira Gandhi Rashtriya Kala Kendra

    November 1, 2023

    Avart Sarni In Hindi – आवर्त सारणी कैसे याद करें

    November 5, 2023

    Chemistry Formula in Hindi | रासायनिक सूत्र की लिस्ट

    November 4, 2023
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    Copyright © 2023-24 goldenclasses.com All Rights Reserved
    All Logos & Trademark Belongs To Their Respective Owners.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.