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    Home»Geography»World Geography»Air Pressure and Wind: वायुदाब तथा पवन संचार
    World Geography

    Air Pressure and Wind: वायुदाब तथा पवन संचार

    By NARESH BHABLAAugust 13, 2020Updated:May 21, 2021No Comments8 Mins Read
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    Air Pressure and Wind

    Page Contents

    • Air Pressure and Wind (वायुदाब तथा पवन संचार )
      • पवन, वायुदाब, कॉरिऑलिस प्रभाव ( Wind, air pressure, coriolis effect )
        • कॉरिऑलिस प्रभाव ( Coriolis effect ) –
        • प्रचलित पवन ( The prevailing wind )
        • मौसमी पवन ( Seasonal Wind )
        • स्थानीय पवन ( Local Wind )
        • सिमूम (Simum )
        • ठंडी हवाएं- प्रवाहित क्षेत्र ( Cool wind and flowing area )
        • कुछ अन्य गर्म हवाएं ( Some other hot winds )
        • पवनो के बारे में कुछ तथ्य
        • फेरल का नियम ( Ferrel law )
        • Air Pressure and Wind important facts
        • आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते है Facebook

    Air Pressure and Wind (वायुदाब तथा पवन संचार )

    मौसम के सभी तत्व ( मेघ, वर्षा, आंधी, तूफान तथा पवन आदि) वायुदाब द्वारा नियंत्रित होते हैं समान ऊंचाई पर स्थित दो स्थानों के बीच वायुदाब के परिवर्तन की दर को वायुदाब प्रवणता कहते हैं। वायु के क्षेतिज गति का मूल कारण वायुदाब प्रवणता है

    विक्षेप बल ( Deflection force ) – पृथ्वी के अक्षीय गति(rotation) के कारण हवाओं की दिशा में विक्षेप हो जाता है। इस कारण परिवर्तनकारी बल को विक्षेप बल या कोरियालिस बल कहते हैं। इस बल के कारण ही उत्तरी गोलार्ध में सभी हवाएं प्रवणता की दिशा की दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्ध में बाई ओर मुड़ जाती है।

    पृथ्वी के धरातल पर क्षेतिज पवनें दाब प्रवणता प्रभाव, घर्षण बल एवं कोरियालिस बल प्रभावों का संयुक्त परिणाम है विषुवत वृत्त के निकट उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं बनते है क्योकि विषुवत वृत्त पर कोरियालिस बल शून्य होता है और अपने समदाब रेखाओं के समकोण पर बहती है। अतः निम्न दाब क्षेत्र और अधिक गहन होने के बजाए पूरित हो जाती है। यही कारण है कि विषुवत वृत्त के निकट उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं बनते हैं।

    पवन, वायुदाब, कॉरिऑलिस प्रभाव ( Wind, air pressure, coriolis effect )

    पवन ( Wind )

    पृथ्वी के धरातल पर वायुदाब में क्षैतिज विषमताओं के कारण हवा उच्च वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर बहती है. क्षैतिज रूप से इस गतिशील हवा को पवन कहते हैं. ऊर्ध्वाधर दिशा में गतिशील हवा को वायुधारा कहते हैं.

    अगर पृथ्वी स्थिर होती और उसका धरातल समतल होता तो पवन उच्च वायुदाब वाले क्षेत्र से सीधे निम्न वायुदाब वाले क्षेत्र की ओर समदाब रेखाओं पर समकोण बनाती हुई चलती. पर वास्तविक स्थिति यह है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूर्णन कर रही है और उसका धरातल समतल नहीं है. पवन कई कारणों से अपनी दिशा में परिवर्तन करती हुई चलती हैं.

    ये कारण हैं- दाब प्रवणता बल, कॉरिऑलिस प्रभाव (Coriolis effect), अभिकेंद्रीय त्वरण और भू-घर्षण.

    कॉरिऑलिस प्रभाव ( Coriolis effect ) –

    पृथ्वी के घूर्णन के कारण पवनें अपनी मूल दिशा में विक्षेपित हो जाती हैं. इसे कॉरिऑलिस बल कहते हैं. इसका नाम फ्रांसीसी वैज्ञानिक के नाम पर पड़ा है. इन्होने सबसे पहले इस बल के प्रभाव का वर्णन 1835 में किया था.

    पवन निम्न प्रकार की होती हैं:

    1. प्रचलित पवन ( The prevailing wind )
    2. मौसमी पवन ( Seasonal Wind )
    3. स्थानीय पवन ( Local Wind )

    प्रचलित पवन ( The prevailing wind )

    पृथ्वी के विस्तृत क्षेत्र पर एक ही दिशा में वर्ष भर चलने वाली पवन को प्रचलित पवन या स्थायी पवन कहते हैं. स्थायी पवनें एक वायु-भार कटिबन्ध से दूसरे वायु-भार कटिबन्ध की ओर नियमित रूप से चला करती हैं. इसके उदाहरण हैं- पछुआ पवन, व्यापारिक पवन और ध्रुवीय पवन.

    (a) पछुआ पवन ( Pachua wind )

    दोनों गोलार्द्धो में उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधो से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब कटिबंधों की ओर चलने वाली स्थायी हवा को, इनकी पश्चिम दिशा के कारण पछुआ पवन कहते हैं. पछुआ पवन का सर्वश्रेष्ठ विकास 40 डिग्री से 65 डिग्री दक्षिण अक्षांशों के मध्य पाया जाता है. यहां के इन अक्षाशों को गरजता चालीसा, प्रचण्ड पचासा और चीखता साठा कहा जाता है. ये सभी नाम नाविकों के दिए हुए हैं.?

    (b) व्यापारिक पवन ( Commercial wind )

    लगभग 30 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के क्षेत्रों या उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंधो से भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब कटिबंधों की ओर दोनों गोलार्द्धों में वर्ष भर निरंतर प्रवाहित होने वाले पवन को व्यापारिक पवन कहा जाता है.

    (c) ध्रुवीय पवन ( Polar wind )

    ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियों से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियों की ओर प्रवाहित पवन को ध्रुवीय पवन के नाम से जाना जाता है. उत्तरी गोलार्द्ध में इसकी दिशा उत्तर- पूर्व से दक्षिण- पश्चिम की ओर वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण- पूर्व से उत्तर- पश्चिम की ओर है.?

    मौसमी पवन ( Seasonal Wind )

    मौसम या समय के परिवर्तन के साथ जिन पवनों की दिशा बदल जाती है उन्हें मौसमी पवन कहा जाता है. जैसे- मॉनसूनी पवन, स्थल समीर और समुद्री समीर.

    स्थानीय पवन ( Local Wind )

    गर्म हवाएं एवं प्रवाह क्षेत्र ( Hot air and flow area )

    चिनुक ( Chinuk ) –  यह संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में रॉकी पर्वत श्रेणी के पूर्वी ढाल के साथ चलने वाला गर्म या शुष्क पवन है. यह पवन रॉकी पर्वत के पूर्व के पशुपालकों के लिए बड़ा ही लाभदायक है.

    फॉन ( Phon ) –  यह आल्पस पर्वत के उत्तरी ढाल से नीचे उतरने वाली गर्म और शुष्क हवा है. इसका सर्वाधिक प्रभाव स्विट्जरलैंड में होता है. इसके प्रभाव से अंगूर जल्दी पक जाते हैं.

     हरमट्टन ( Harampton ) – यह सहारा रेगिस्तान में उत्तर- पूरब दिशा में चलने वाली गर्म और शुष्क हवा है. यह पवन सहारा से गिनी तट की ओर बहती है.

    सिरॉको ( Siraco ) – यह सहारा मरुस्थल से भूमध्य सागर की ओर बहने वाली गर्म हवा है. इसके अन्य स्थानीय नाम भी हैं. जैसे- मिस्र में इसे खमसिन, लीबिया में गिबिली, ट्यूनिशिया में चिली, मैड्रिया में लेस्ट, इटली में सिरॉको और स्पेन में लेबेक कहते हैं.

    सिमूम (Simum )

    – यह अरब रेगिस्तान में बहने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

    ब्लैक रोलर (Black roller )-  यह उत्तरी अमेरिका के विशाल मैदान में दक्षिणी- पश्चिमी या उत्तरी पश्चिमी में तेज धूल भरी चलने वाली आंधी है.

    ब्रिक फील्डर ( Brick Fielder )- यह ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत में चलने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

    नारवेस्टर ( Narvester )– यह न्यूजीलैंड में उच्च पर्वतों से उतरने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

    शामल ( Shamal )- यह इराक और फारस का खाड़ी में चलने वाली गर्म और शुष्क हवा है.

    साण्टा आना – यह दक्षिणी कैलीफोर्निया में साण्टा आना घाटी से चलने वाली गर्म और शुष्क भरी धूल आंधी है.

    कोयमबैंग( Coimbang ) –  यह जावा इण्डोनेशिया में बहने वाली गर्म हवा है. यह तम्बाकू की खेती को काफी नुकसान पहुंचाती है.

    जेट-प्रवाह (Jet Streams) –  क्षोभमंडल की ऊपरी परत में बहुत तीव्र गति से चलने वाले संकरे, नलिकाकार और विसर्पी पवन प्रवाह को जेट- प्रवाह कहते हैं. यह 6 से 12 किमी की ऊंचाई पर पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होता है. यह दोनों गोलार्द्धों में पाया जाता है.

    • खसमिन:- मिस्र के उत्तरी भाग
    • बर्ग:-पश्चिम अफ्रीका
    • जोंड़ा:- ऍंडीज के मैदानी भाग
    • सैंटाएना :-कैलिफोर्निया
    • हबूब:- उत्तरी सूडान

    ठंडी हवाएं- प्रवाहित क्षेत्र ( Cool wind and flowing area )

    • मिस्ट्रल :-फ्रांस एवं रोन घाटी
    • बोरा:- एड्रियाटिक सागर
    • बुरान:- रूस मध्य एशिया
    • नार्दर:- U.S.A.
    • ब्लिजर्ड :-ध्रुवीय क्षेत्र
    • लेवेंटर:- स्पेन
    • बाइस:- फ़्रांस
    • पुर्गा:- रूसी टुंड्रा प्रदेश
    • पेम्पेरों:- अर्जेंटीना, चीली एवं उरुग्वे
    • ग्रेगाले:- भूमध्यसागरीय मध्यवर्ती क्षेत्र
    • जूरन:- जूरा पर्वत (स्विट्ज़रलैंड)
    • पापागायो:- मेक्सिको तट
    • दक्षिणी बर्स्टर:- न्यू साउथ वेल्स (ऑस्ट्रेलिया)
    • पोन्नत:- कोर्सिका तट फ्रांस

    कुछ अन्य गर्म हवाएं ( Some other hot winds )

              नाम           स्थान

    • ट्रैमोण्टेन = मध्य यूरोप
    • अयाला = फ्रांस
    • वर्गस = दक्षिण अफ्रीका
    • सुखोवे = रूस और कजाखस्तान
    • बाग्यो = फिलीपींस द्वीप- समूह
    • गारिच = दक्षिण पूर्वी ईरान
    • लू = उत्तर भारत
    • सोलैनो = दक्षिण पूर्वी स्पेन
    • सामून = ईरान

    पवनो के बारे में कुछ तथ्य

    1 फोहन- यूरोप के आल्प्स पर्वत से गर्म हवा
    ट्रिक फोन आसी

    2 हरमट्टन- उत्तरी अफ्रीका के गिन्नी की खाड़ी में गर्म हवा इसे डॉक्टर भी कहते है
    ट्रिक हरफुल डॉक्टर

    3 मिस्ट्रल- फ्रांस में चलने वाली ठंडी पवन
    ट्रिक मिस्टर फ्रांस

    फेरल का नियम ( Ferrel law )

    पवन सदा उच्च दाब से निम्न दाब की तरफ चलती है लेकिन पृथ्वी के घूर्णन से उत्पन्न कॅरिआलिस बल के कारण ये पवन सीधी नही चलती बल्कि उत्तरी गोलार्ध में पवन अपने दाहिनी तरफ व दक्षिणी गोलार्ध में पवन अपने बायीं तरफ विक्षेपित हो जाती है यह नियम फ्रांसीसी वैज्ञानिक फेरल ने दिया था।

    Air Pressure and Wind important facts

    • कैटाबेटिक(अवरोही) पवन – उच्च पठारों एवं हिम क्षेत्रों से घाटी में बहने वाली ठंडी वायु को अवरोही पढ़ने कहते हैं।
    • दक्षिणी दोलन –  पश्चिमी तथा पूर्वी प्रशांत महासागर में वायुदाब की स्थितियों में बदलाव को ही दक्षिणी दोलन कहा जाता है।
    • मौसम विज्ञान में जेट स्ट्रीम हवाओं की खोज एक नवीन युग के प्रादुर्भाव का घोतक है-?
    • जेट स्ट्रीम की खोज – द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी बमवर्षक बी- 29 युद्धक विमानों द्वारा जापान की ओर उड़ान भरते समय शोभमंडल में।
    • जेट धाराओं का सर्वाधिक औसत वेग – धरातल पर स्थित उपोxxष्णकटिबंधीय क्षेत्र के ऊपर होता है।
    • व्यापारीक तथा पछुआ हवाओं के बीच विभाजन का कार्य – अश्व अक्षांश या उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटियां
    • पूरवा हवाओं की दिशा – उत्तरी गोलार्ध में उत्तरी पूर्व तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणी पूर्व
    • दक्षिणी गोलार्ध मेक इन हवाओं को गरजती चालीसा, भयंकर पचासा एवं चीखता साठा की उपमा दी गई है- पछुआ पवन को
    • शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति – पछुवा पवन के ध्रुवीय वाताग्र पर
    • 24 घंटे के अंदर दो बार दिशा परिवर्तित करने वाले मानसून हवाओं को संज्ञा दी – स्थलीय तथा सागरीय समीर।
    • सागरीय समीर सर्वाधिक समय सक्रिय रहता है-  1:00 से 2:00 बजे अपराहन
    • वायुदाब का सर्वप्रथम अध्ययन किया- आटोपन गेरिक ने
    • सर्वाधिक वायुदाब– साइबेरिया के इर्कुटास्क
    • न्यूनतम वायुदाब – मारियाना द्वीप के पश्चिम में
    • वायुदाब घटने की सामान्य दर – 10 मी की ऊंचाई पर 1 MB
    • वायुमंडलीय दाब को दर्शाया जाता है  – समदाब रेखाओ(आइसोबार) द्वारा

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    Air Pressure and Wind

    कॉरिऑलिस प्रभाव गर्म हवाएं ठंडी हवा जो भूमि से समुद्र की ओर चलती है उसे क्या कहते हैं ठंडी हवाएं- प्रवाहित क्षेत्र निम्न वायुदाब पेटी क्या है फेरल का नियम लिखिए वायुदाब के उदाहरण वायुदाब मापने की इकाई वायुदाब सबसे कम होता है सिमूम स्थानीय पवन
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