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    Home»History»Rajasthan History»राज में 1857 की क्रांति 1857 Revolution in Rajasthan
    Rajasthan History

    राज में 1857 की क्रांति 1857 Revolution in Rajasthan

    By NARESH BHABLAAugust 12, 2020Updated:August 12, 2020No Comments15 Mins Read
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    Page Contents

      • 1857 के विद्रोह के संदर्भ में विभिन्न मत ( Different views in reference to the revolt of 1857 )
      • क्रान्ति के प्रमुख कारण ( Reason of 1857 Revolution )
      • राजस्थान में क्रांति के समय पॉलिटिकल एजेंट
      • राजस्थान में क्रांति के समय राजपूत शासक 
      • सैनिक छावनियां
      • राजस्थान में क्रांति का प्रारंभ
      • 1. नसीराबाद में विद्रोह
      • 3. धौलपुर में विद्रोह
      • 4. टोंक में विद्रोह
      • 5. आउवा 
    • 1857 Revolution in Rajasthan ( राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह )
      • 1857 Revolution in Rajasthan
    • राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह
      • 1857 के विद्रोह के संदर्भ में विभिन्न मत
      • क्रान्ति के प्रमुख कारण
      • राजस्थान में क्रांति के समय पॉलिटिकल एजेंट
      • राजस्थान में क्रांति के समय राजपूत शासक
      • सैनिक छावनियां
      • राजस्थान में क्रांति का प्रारंभ ( Revolution in Rajasthan )
      • 1. नसीराबाद में विद्रोह ( Rebellion in Nasirabad )
      • 3. धौलपुर में विद्रोह
      • 4. टोंक में विद्रोह
      • 5. आउवा 
      • 6. एरिनपुरा
      • 7. कोटा
      • 1857 की क्रान्ति की असफलता के कारण ( 1857 Revolution failure Reason )
      • राजपूताना  में 1857 की क्रांति के परिणाम  ( 1857 revolution results in Rajputana )
      • 1857 Revolution Question

    1857 के विद्रोह के संदर्भ में विभिन्न मत ( Different views in reference to the revolt of 1857 )

    • डॉ रामविलास शर्मा- यह स्वतंत्रता संग्राम था डॉ
    • रामविलास शर्मा– यह जनक्रांति थी
    • डिजरायली बेंजामिन डिजरैली– यह राष्ट्रीय विद्रोह था
    • वी डी सावरकर-  यह स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी (पुस्तक द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस)
    • एस.एन. सेन- यह विद्रोह राष्ट्रीयता के अभाव में स्वतंत्रता संग्राम था
    • सर जॉन लॉरेंस, के. मैलेसन, ट्रैविलियन,सीले- 1857 की क्रांति एक सिपाही विद्रोह था ( इस विचार से भारतीय समकालीन लेखक मुंशी जीवनलाल दुर्गादास बंदोपाध्याय सैयद अहमद खां भी सहमत है )
    • जवाहरलाल नेहरु- यह विद्रोह मुख्यतः सामंतशाही विद्रोह था
    • सर जेम्स आउट्रम और डब्लयू टेलर- यह विद्रोह हिंदू-मुस्लिम का परिणाम था

    क्रान्ति के प्रमुख कारण ( Reason of 1857 Revolution )

    • देषी रियासतों के राजा मराठा व पिण्डारियों से छुटकारा पाना चाहते थे।
    • लार्ड डलहौजी की राज्य विलयकीनितिया।
    • चर्बी लगे कारतुस का प्रयोग (एनफील्ड)

    1857 के विद्रोह का प्रारंभ 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी (पश्चिम बंगाल) की 34वीं नेटिव इन्फेंट्री के सिपाही मंगल पांडे के विद्रोह के साथ हुआ किंतु संगठित क्रांति 10 मई 1857 को मेरठ ( उत्तर प्रदेश ) छावनी से प्रारंभ हुई थी

    1857 की क्रांति का तत्कालीन कारण चर्बी वाले कारतूस माने जाते हैं ,जिनका प्रयोग एनफील्ड राइफल में किया जाता था 1857 की क्रांति के समय राजपूताना उत्तरी पश्चिमी सीमांत प्रांत के प्रशासनिक नियंत्रण में था जिसका मुख्यालय आगरा में था इस प्रांत का लेफ्टिनेंट गवर्नर कोलविन था

    अजमेर- मेरवाड़ा का प्रशासन कर्नल डिक्सन के हाथों में था क्रांति के समय राजपुताना का ए.जी.जी जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस था जिस का मुख्यालय माउंट आबू में स्थित था अजमेर राजपूताना की प्रशासनिक राजधानी था और अजमेर में ही अंग्रेजों का खजाना और शस्त्रागार स्थित था 

    अजमेर की रक्षा की जिम्मेदारी 15नेटिव इन्फैंट्री बटालियन के स्थान पर ब्यावर से बुलाई गई, लेफ्टिनेंट कारनेल के नेतृत्व वाली रेजिमेंट को दे दी गई मेरठ विद्रोह की खबर 19 मई 1857 को माउंट आबू पहुंची

    इस क्रांति का प्रतीक चिह्न रोटी और कमल का फूल था

    राजस्थान में क्रांति के समय पॉलिटिकल एजेंट

    1. कोटा रियासत में-मेजर बर्टन
    2. जोधपुर रियासत में-मेक मैसन
    3. भरतपुर रियासत में- मोरिशन
    4. जयपुर रियासत में-ईडन
    5. उदयपुर रियासत में-शावर्स और
    6. सिरोही रियासत में-जे.डी.हॉल थे

    राजस्थान में क्रांति के समय राजपूत शासक 

    • कोटा रियासत में-राम सिंह
    • जोधपुर रियासत में-तख्तसिंह
    • भरतपुर रियासत में-जसवंत सिंह
    • उदयपुर रियासत में-स्वरूप सिंह
    • जयपुर रियासत में-रामसिंह द्वितीय
    • सिरोही रियासत में-शिव सिंह
    • धौलपुर रियासत में-भगवंत सिंह
    • बीकानेर रियासत में-सरदार सिंह
    • करौली रियासत में- मदनपाल
    • टोंक रियासत में-नवाब वजीरूद्दौला
    • बूंदी रियासत में-राम सिंह
    • अलवर रियासत में-विनय सिंह
    • जैसलमेर रियासत में- रणजीत सिंह
    • झालावाड रियासत में-पृथ्वी सिंह
    • प्रतापगढ़ रियासत में-दलपत सिंह
    • बांसवाड़ा रियासत में- लक्ष्मण सिंह और
    • डूंगरपुर रियासत में-उदयसिंह थे

    राजस्थान में क्रांति के समय 6 सैनिक छावनियां थी जिनमें से खेरवाड़ा (उदयपुर) और ब्यावर (अजमेर )सैनिकों ने विद्रोह में भाग नहीं लिया था

    सैनिक छावनियां

    1. नसीराबाद (अजमेर)
    2. नीमच (मध्य प्रदेश)
    3. एरिनपुरा (पाली)
    4. देवली (टोंक)
    5. ब्यावर (अजमेर)
    6. खेरवाड़ा (उदयपुर)

    NOTE – खैरवाड़ा व ब्यावर सैनिक छावनीयों ने इस सैनिक विद्रोह में भाग नहीं लिया।

    राजस्थान में क्रांति का प्रारंभ

    राजस्थान में क्रांति के प्रारंभ होने का मुख्य कारण ए.जी.जी. जार्ज पैट्रिक लॉरेंस द्वारा भारतीय सैनिकों में अविश्वास प्रकट करना माना जाता है राजस्थान में 1857 की क्रांति के समय छ:रियासतों कोटा, झालावाड,टोंक,बांसवाड़ा, धौलपुर ,भरतपुर पर विद्रोहियों कर अधिकार हो गया था

    बूंदी के महाराव राम सिंह के अतिरिक्त राजपूताना के अन्य सभी शासकों ने विद्रोह के दमन के लिए अंग्रेजों को पूर्ण सहयोग प्रदान किया था बीकानेर के सरदार सिंह राजस्थान के एकमात्र शासक थे जो विद्रोह को दबाने के लिए पंजाब तक सेना लेकर गए थे कवि सूर्य मल मिश्रण ने 1857 की क्रांति को एक स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी है

    1. नसीराबाद में विद्रोह

    राजस्थान में 1857 की क्रांति का प्रारंभ 28 मई 1857 को अजमेर की नसीराबाद छावनी से हुआ था नसीराबाद में 15वी नेटिव इन्फेंट्री बटालियन के सैनिकों ने अपने ऊपर किए गए अविश्वास के कारण विद्रोह कर दिया था इन सैनिकों ने अंग्रेज अधिकारियों न्यूबरी ,के. वेनी, और के. स्पोर्टिसवुड की हत्या कर दी और 18 जून को दिल्ली विद्रोह में शामिल हो गए यहां की क्रांति का नायक बख्तावर सिंह था

    2. नीमच में विद्रोह 

    ( 3 जून 1857 ) नीमच में सैनिकों ने हिरा सिंह और मोहम्मद अली बेग के नेतृत्व में विद्रोह किया यहां एबॉट नामक ब्रिटिश अधिकारी नियुक्त था क्रांतिकारियों से भयभीत अंग्रेजों ने मेवाड़ में शरण ली ,जहां पर डूंगला नामक गांव के किसान रुगाराम ने अंग्रेजो को शरण दी कोटा बूंदी और मेवाड़ की सैनिक सहायता से कैप्टन शावर्स ने 6 जून को नीमच में विद्रोह का दमन कर दिया

    3. धौलपुर में विद्रोह

    धौलपुर में क्रांतिकारियों ने रामचंद्र, देवा गुर्जर और हीरा लाल के नेतृत्व में विद्रोह किया था धौलपुर में ही देवा गुर्जर के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने इरादत नगर की तहसील और सरकारी खजाने को लूट लिया था धौलपुर नरेश भगवन्त सिंह की प्रार्थना पर पटियाला नरेश की सिक्ख सेना ने आकर धोलपुर को क्रांतिकारियों के प्रभाव से मुक्त करवाया था

    4. टोंक में विद्रोह

    राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासतों का नवाब वजीरूद्दौला अंग्रेजों का सहयोगी था ,किंतु नवाब के मामा मीर आलम खां के नेतृत्व में सैनिकों ने विद्रोह कर टोंक पर कब्जा कर लिया मोहम्मद मुजीब के नाटक आजमाइश के अनुसार टोंक के विद्रोह में महिलाओं ने भी भाग लिया था

    5. आउवा 

    आउवा(पाली) – जोधपुर रियासत का एक ठिकाना था। इसमें ठिकानेदार ठाकुर कुशाल सिंह ने भी विद्रोह किया। गुलर, आसोप, आलनियावास(आस-पास की जागीर) इनके जागीरदार ने भी इस विद्रोह में शामिल होते है।

    बिथौड़ा का युद्ध –  8 सितम्बर 1857 (पाली) क्रान्तिकारीयों की सेना का सेनापति ठाकुर कुशाल सिंह और अंग्रेजों की तरफ से कैप्टन हीथकोट के मध्य हुआ और इसमें क्रांतिकारीयों की विजय होती है

    1857 Revolution in Rajasthan ( राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह )

    • RAJASTHAN HISTORY
    • राजस्थान में 1857 की क्रांति
    • 1857 Revolution in Rajasthan ( राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह )

    1857 Revolution in Rajasthan

    राजस्थान में 1857 की क्रांति में हुए प्रमुख विद्रोह

    कर्नल जेम्स टॉड पहला व्यक्ति था जिसने राजस्थान का सर्वप्रथम सुव्यवस्थित इतिहास लिखा इसीलिए कर्नल जेम्स टॉड को राजस्थान के इतिहास का पिता कहा जाता है

    इतिहासकार गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने कर्नल जेम्स टॉड के इतिहास लेखन की गलतियों को दूर किया इसीलिए गौरीशंकर हीराचंद ओझा को राजस्थान के इतिहास का वैज्ञानिक पिता कहा जाता है

    घोड़े वाले बाबा उपनाम से इतिहास में प्रसिद्ध कर्नल जेम्स टॉड के गुरु ज्ञानचंद थेकर्नल जेम्स टॉड ने पृथ्वीराज रासो के लगभग 30000हजार दोहो , का अंग्रेजी में अनुवाद किया था

    ब्रिटिश सरकार ने कर्नल जेम्स टॉड को 1818 से 1822 के मध्य पश्चिमी राजपूत राज्यों का पोलिटिकल एजेंट नियुक्त किया जिसमें 6 रियासतें शामिल थी

    1-कोटा 2- बूंदी 3-जोधपुर 4-उदयपुर 5-सिरोही 6-जैसलमेर

    1857 के विद्रोह के संदर्भ में विभिन्न मत

    • डॉ रामविलास शर्मा- यह स्वतंत्रता संग्राम था डॉ
    • रामविलास शर्मा– यह जनक्रांति थी
    • डिजरायली बेंजामिन डिजरैली– यह राष्ट्रीय विद्रोह था
    • वी डी सावरकर-  यह स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी (पुस्तक द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस)
    • एस.एन. सेन- यह विद्रोह राष्ट्रीयता के अभाव में स्वतंत्रता संग्राम था
    • सर जॉन लॉरेंस, के. मैलेसन, ट्रैविलियन,सीले- 1857 की क्रांति एक सिपाही विद्रोह था ( इस विचार से भारतीय समकालीन लेखक मुंशी जीवनलाल दुर्गादास बंदोपाध्याय सैयद अहमद खां भी सहमत है )
    • जवाहरलाल नेहरु- यह विद्रोह मुख्यतः सामंतशाही विद्रोह था
    • सर जेम्स आउट्रम और डब्लयू टेलर- यह विद्रोह हिंदू-मुस्लिम का परिणाम था

    क्रान्ति के प्रमुख कारण

    • देषी रियासतों के राजा मराठा व पिण्डारियों से छुटकारा पाना चाहते थे।
    • लार्ड डलहौजी की राज्य विलयकीनितिया।
    • चर्बी लगे कारतुस का प्रयोग (एनफील्ड)

    1857 के विद्रोह का प्रारंभ 29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी (पश्चिम बंगाल) की 34वीं नेटिव इन्फेंट्री के सिपाही मंगल पांडे के विद्रोह के साथ हुआ किंतु संगठित क्रांति 10 मई 1857 को मेरठ ( उत्तर प्रदेश ) छावनी से प्रारंभ हुई थी

    1857 की क्रांति का तत्कालीन कारण चर्बी वाले कारतूस माने जाते हैं ,जिनका प्रयोग एनफील्ड राइफल में किया जाता था 1857 की क्रांति के समय राजपूताना उत्तरी पश्चिमी सीमांत प्रांत के प्रशासनिक नियंत्रण में था जिसका मुख्यालय आगरा में था इस प्रांत का लेफ्टिनेंट गवर्नर कोलविन था

    अजमेर- मेरवाड़ा का प्रशासन कर्नल डिक्सन के हाथों में था क्रांति के समय राजपुताना का ए.जी.जी जॉर्ज पैट्रिक लॉरेंस था जिस का मुख्यालय माउंट आबू में स्थित था अजमेर राजपूताना की प्रशासनिक राजधानी था और अजमेर में ही अंग्रेजों का खजाना और शस्त्रागार स्थित था 

    अजमेर की रक्षा की जिम्मेदारी 15नेटिव इन्फैंट्री बटालियन के स्थान पर ब्यावर से बुलाई गई, लेफ्टिनेंट कारनेल के नेतृत्व वाली रेजिमेंट को दे दी गई मेरठ विद्रोह की खबर 19 मई 1857 को माउंट आबू पहुंची

    इस क्रांति का प्रतीक चिह्न रोटी और कमल का फूल था

    राजस्थान में क्रांति के समय पॉलिटिकल एजेंट

    1. कोटा रियासत में-मेजर बर्टन
    2. जोधपुर रियासत में-मेक मैसन
    3. भरतपुर रियासत में- मोरिशन
    4. जयपुर रियासत में-ईडन
    5. उदयपुर रियासत में-शावर्स और
    6. सिरोही रियासत में-जे.डी.हॉल थे

    राजस्थान में क्रांति के समय राजपूत शासक

    • कोटा रियासत में-राम सिंह
    • जोधपुर रियासत में-तख्तसिंह
    • भरतपुर रियासत में-जसवंत सिंह
    • उदयपुर रियासत में-स्वरूप सिंह
    • जयपुर रियासत में-रामसिंह द्वितीय
    • सिरोही रियासत में-शिव सिंह
    • धौलपुर रियासत में-भगवंत सिंह
    • बीकानेर रियासत में-सरदार सिंह
    • करौली रियासत में- मदनपाल
    • टोंक रियासत में-नवाब वजीरूद्दौला
    • बूंदी रियासत में-राम सिंह
    • अलवर रियासत में-विनय सिंह
    • जैसलमेर रियासत में- रणजीत सिंह
    • झालावाड रियासत में-पृथ्वी सिंह
    • प्रतापगढ़ रियासत में-दलपत सिंह
    • बांसवाड़ा रियासत में- लक्ष्मण सिंह और
    • डूंगरपुर रियासत में-उदयसिंह थे

    राजस्थान में क्रांति के समय 6 सैनिक छावनियां थी जिनमें से खेरवाड़ा (उदयपुर) और ब्यावर (अजमेर )सैनिकों ने विद्रोह में भाग नहीं लिया था

    सैनिक छावनियां

    1. नसीराबाद (अजमेर)
    2. नीमच (मध्य प्रदेश)
    3. एरिनपुरा (पाली)
    4. देवली (टोंक)
    5. ब्यावर (अजमेर)
    6. खेरवाड़ा (उदयपुर)

    NOTE – खैरवाड़ा व ब्यावर सैनिक छावनीयों ने इस सैनिक विद्रोह में भाग नहीं लिया।

    राजस्थान में क्रांति का प्रारंभ ( Revolution in Rajasthan )

    राजस्थान में क्रांति के प्रारंभ होने का मुख्य कारण ए.जी.जी. जार्ज पैट्रिक लॉरेंस द्वारा भारतीय सैनिकों में अविश्वास प्रकट करना माना जाता है राजस्थान में 1857 की क्रांति के समय छ:रियासतों कोटा, झालावाड,टोंक,बांसवाड़ा, धौलपुर ,भरतपुर पर विद्रोहियों कर अधिकार हो गया था

    बूंदी के महाराव राम सिंह के अतिरिक्त राजपूताना के अन्य सभी शासकों ने विद्रोह के दमन के लिए अंग्रेजों को पूर्ण सहयोग प्रदान किया था बीकानेर के सरदार सिंह राजस्थान के एकमात्र शासक थे जो विद्रोह को दबाने के लिए पंजाब तक सेना लेकर गए थे कवि सूर्य मल मिश्रण ने 1857 की क्रांति को एक स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी है

    1. नसीराबाद में विद्रोह ( Rebellion in Nasirabad )

    राजस्थान में 1857 की क्रांति का प्रारंभ 28 मई 1857 को अजमेर की नसीराबाद छावनी से हुआ था नसीराबाद में 15वी नेटिव इन्फेंट्री बटालियन के सैनिकों ने अपने ऊपर किए गए अविश्वास के कारण विद्रोह कर दिया था इन सैनिकों ने अंग्रेज अधिकारियों न्यूबरी ,के. वेनी, और के. स्पोर्टिसवुड की हत्या कर दी और 18 जून को दिल्ली विद्रोह में शामिल हो गए यहां की क्रांति का नायक बख्तावर सिंह था

    2. नीमच में विद्रोह 

    ( 3 जून 1857 ) नीमच में सैनिकों ने हिरा सिंह और मोहम्मद अली बेग के नेतृत्व में विद्रोह किया यहां एबॉट नामक ब्रिटिश अधिकारी नियुक्त था क्रांतिकारियों से भयभीत अंग्रेजों ने मेवाड़ में शरण ली ,जहां पर डूंगला नामक गांव के किसान रुगाराम ने अंग्रेजो को शरण दी कोटा बूंदी और मेवाड़ की सैनिक सहायता से कैप्टन शावर्स ने 6 जून को नीमच में विद्रोह का दमन कर दिया

    3. धौलपुर में विद्रोह

    धौलपुर में क्रांतिकारियों ने रामचंद्र, देवा गुर्जर और हीरा लाल के नेतृत्व में विद्रोह किया था धौलपुर में ही देवा गुर्जर के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने इरादत नगर की तहसील और सरकारी खजाने को लूट लिया था धौलपुर नरेश भगवन्त सिंह की प्रार्थना पर पटियाला नरेश की सिक्ख सेना ने आकर धोलपुर को क्रांतिकारियों के प्रभाव से मुक्त करवाया था

    4. टोंक में विद्रोह

    राजस्थान की एकमात्र मुस्लिम रियासतों का नवाब वजीरूद्दौला अंग्रेजों का सहयोगी था ,किंतु नवाब के मामा मीर आलम खां के नेतृत्व में सैनिकों ने विद्रोह कर टोंक पर कब्जा कर लिया मोहम्मद मुजीब के नाटक आजमाइश के अनुसार टोंक के विद्रोह में महिलाओं ने भी भाग लिया था

    5. आउवा 

    आउवा(पाली) – जोधपुर रियासत का एक ठिकाना था। इसमें ठिकानेदार ठाकुर कुशाल सिंह ने भी विद्रोह किया। 

    गुलर, आसोप, आलनियावास(आस-पास की जागीर) इनके जागीरदार ने भी इस विद्रोह में शामिल होते है।

    बिथौड़ा का युद्ध –  8 सितम्बर 1857 (पाली) क्रान्तिकारीयों की सेना का सेनापति ठाकुर कुशाल सिंह और अंग्रेजों की तरफ से कैप्टन हीथकोट के मध्य हुआ और इसमें क्रांतिकारीयों की विजय होती है।

    चेलावास का युद्ध – 18 सितम्बर 1857(पाली) इसमे कुशाल सिंह व ए. जी. जी. जार्ज पैट्रिक लारेन्स के मध्य युद्ध होता है और कुशाल सिंह की विजय होती है।

    उपनाम – गौरों व कालों का युद्ध

    जोधपुर के पालिटिकल एजेट मेंक मेसन का सिर काटकर आउवा के किले के मुख्य दरवाजे पर लटका दिया। 

    20 जनवरी 1858 को बिग्रेडयर होम्स के नेतृत्व में अंग्रेज सेना आउवा पर आक्रमण कर देती है।

    पृथ्वी सिंह(छोटा भाई) को किले की जिम्मेदारी सौंप कर कुशाल सिंह मेवाड़ चला गया। 

    कुशाल सिंह कोठरिया (सलुम्बर) मेवाड़ में शरण लेता है। इस समय मेवाड़ का ठाकुर जोधासिंह था। इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय होती है।

    कुशाल सिंह की कुलदेवी सुगाली माता(12 सिर व 54 हाथ) थी। जो राजस्थान में क्रांति का प्रतीक मानी गयी।

    बिग्रेडियर होम्स सुगाली माता की मुर्ति को उठाकर अजमेर ले जाता है

    वर्तमान में यह अजमेर संग्रहालय में सुरक्षित है। अगस्त 1860 में कुशाल सिंह आत्मसमर्पण कर दिया।

    कुशाल सिंह के विद्रोह की जांच के लिए मेजर टेलर आयोग का गठन किया। 

    साक्ष्यों के अभाव में कुशाल सिंह को रिहा कर दिया जाता है।

    6. एरिनपुरा

    21 अगस्त, 1857 को हुआ। इसी समय क्रान्तिकारियों ने एक नारा दिया ‘‘चलो दिल्ली मारो फिरंगी’’। 

    इस समय जोधपुर के शासक तख्तसिंह थे। क्रन्तिारियों ने आऊवा के ठाकुर कुषालसिंह से मिलकर तख्तसिंह की सेना का विरोध किया।

    तख्तसिंह की सेना का नेतृत्व अनाड़सिंह व कैप्टन हिथकोट ने किया था। 

    जबकि क्रान्तिकारियों का नेतृत्व ठाकुर कुषालसिंह चंपावत ने किया था। 

    दोनो सेनाओं के मध्य 13 सितम्बर, 1857 को युद्ध हुआ। यह युद्ध बिथोड़ा (पाली) में हुआ।

    जिसमें कुषालसिंह विजयी रहें एवं हीथकोट की हार हुई।
    इस हार बदला लेने के लिए पेट्रिक लोरेन्स एरिनपुरा आए एवं क्रान्तिकारियांे ने इन्हे भी परास्त किया।

    लोरेन्स के साथ जोधपुर के मैकमोसन थे। क्रान्तिकारीयों ने मैकमोसन की हत्या कर इसका सिर आउवा के किले पर लटकाया।

    इस हार का बदला लेने के लिए लार्ड कैनिन ने रार्बट हाम्स आउवा सेना भेजी। इस क्रान्ति का दमन किया गया।

    यह क्रान्ति आउवा क्रान्ति या जनक्रान्ति के नाम से जानी जाती हैं।

    7. कोटा

    15 अक्टूबर,1857 को कोटा में विद्रोह हुआ। कोटा के मेजर बर्टन इनके समय में क्रान्तिकारियों की कमान जयदयाल (वकील) मेहराबखां (रिसालदार) के हाथ में थी। 

    इन दोनो के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों ने मेजर बर्टन,उसके दो पुत्रव डाॅ. मिस्टर काटम की हत्या करदी।

    मिस्टर राॅर्बटस ने इस क्रान्ति का दमन 1858 में किया। छः माह तक कोटा क्रान्तिकारियों के अधीन रहा।

    1857 की क्रान्ति की असफलता के कारण ( 1857 Revolution failure Reason )

    • राजस्थान के राजाओें ने क्रान्तिकारियों का साथ न देकर ब्रिटिष सरकार का साथ दिया
    • क्रान्ति नेतृत्वहीन थी
    • क्रान्तिकारियों में एकता व सम्पर्क का अभाव था

    राजपूताना  में 1857 की क्रांति के परिणाम  ( 1857 revolution results in Rajputana )

    यद्यपि 1857 की क्रांति असफल रही किंतु उसके परिणाम व्यापक सिद्ध हुए।

    • क्रांति के पश्चात् यहाँ के नरेशों को ब्रिटिश सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया क्योंकि राजपूताना के शासक उनके लिए उपयोगी साबित हुए थे।
    • अब ब्रिटिश नीति में परिवर्तन किया गया।
    • शासकों को संतुष्ट करने हेतु ‘गोद निषेध’ का सिद्धान्त समाप्त कर दिया गया।
    • राजकुमारों के लिए अंग्रेजी शिक्षा का प्रबन्ध किया जाने लगा।
    • अब राज्य कम्पनी शासन के स्थान पर ब्रिटिश नियंत्रण में सीधे आ गये।
    • साम्राज्ञी विक्टोरिया की ओर से की गई घोषणा (1858) द्वारा देशी राज्यों को यह आश्वासन दिया गया कि देशी राज्यों का अस्तित्व बना रहेगा।
    • क्रांति के पश्चात् नरेशों एवं उच्चाधिकारियों की जीवन शैली में पाश्चात्य प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता हैं।

    • अब राजस्थान के राजे-महाराजे अंग्रेजी साम्राज्य की व्यवस्था में सेवारत होकर आदर प्राप्त करने व उनकी प्रशंसा करने के आदी हो गए थे।
    • जहाँ तक सामन्तों का प्रश्न है, उसने खुले रूप में ब्रिटिश सत्ता का विरोध किया था।
    • अतः क्रांति के पश्चात् अंग्रेजों की नीति सामन्त वर्ग को अस्तित्वहीन बनाने की रही। जागीर क्षेत्र की जनता की दृष्टि में सामन्तों की प्रतिष्ठा कम करने का प्रयास किया गया। सामन्तों को बाध्य किया गया कि से सैनिकों को नगद वेतन देवें।
    • सामन्तों के न्यायिक अधिकारों को सीमित करने का प्रयास किया। उनके विशेषाधिकारों पर कुठाराघात कया गया।
    • कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सामन्तों का सामान्य जनता पर जो प्रभाव था, 
    • ब्रिटिश नीतियों के कारण कम करने का प्रयास किया गया।
    • क्रान्ति के बाद अंग्रेजी सरकार ने रेल्वे व सड़कों का जाल बिछाने का काम शुरू किया
    •  जिससे आवागमन कीव्यवस्था तेज व सुचारू हो सके। मध्यम वर्ग के लिए शिक्षा का प्रसार कर एक शिक्षित वर्ग खड़ा किया गया,जो उनके लिए उपयोगी हो सके।
    • अर्थतन्त्र की मजबूती के लिए वैश्य समुदाय को संरक्षण देने की नीति अपनाई।
    • बाद में वैश्य समुदाय राजस्थान में और अधिक प्रभावी बन गया।
    • 1857 की क्रांति ने अंग्रेजों की इस धारणा को निराधार सिद्ध कर दिया कि मुगलों एवं मराठों की लूट से त्रस्त राजस्थान की जनता ब्रिटिश शासन की समर्थक है।
    • परन्तु यह भी सच है कि भारत विदेशी जुए को उखाड़ फेंकने के प्रथम बड़े प्रयास में असफल रहा।
    • राजस्थान में फैली क्रांति की ज्वाला ने अर्द्ध शताब्दी के पश्चात् भी स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान लोगों को संघर्ष करने की प्रेरणा दी, यही क्रांति का महत्त्व समझना चाहिए।

    1857 Revolution Question

    1 राजस्थान में1857 के विद्रोह की शुरूआत कब & कहा से हुई ?
    28 मई  & नसीराबाद

    2 लाला जयदयाल और मेहराब खाॅ ने कहाँ के विद्रोह का नेतृत्व किया ?

    कोटा

    3 “चेतावनी का चुंगटया”नामक सोरठा को कब महाराणा फतेहसिंह को भेजे ?
    1903

    4 केसरी सिंह को किस मामले मे बीस वर्ष की सजा दी गई ?
     महन्त साधु प्यारेलाल की हत्या मामले में (बिहार की हजारीबाग जेल)

    5 राजस्थान सेवा संघ ने नवीन राजस्थान का प्रारम्भ कब किया ?
    1922

    6 राजस्थान केसरी का प्रारम्भ पहले कहाँ से हुआ वह इसके बाद कहाँ से हुआ ?

    पहले-वर्धा फिर-अजमेर

    7 1857 क्रांति का अन्त सर्व प्रथम कहा हुआ ?

    21 सितम्बर1857 (दिल्ली)

    8 कौनसा शासक राजस्थान का अकेला ऐसा शासक था जो सेना को लेकर व्रिदोहियो को दबाने के लिए राज्य से बाहर भी गया ?
    बीकानेर महाराज सरदार सिंह

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