Golden Classes
    Facebook Twitter Instagram
    Golden Classes
    • Home
    • Sarkari Yojna
    • Subject
      • PHYSICS
      • Psychology
      • Philosophy
      • Geography
        • World Geography
        • Rajasthan Geography
        • India Geography
      • Arts & Culture
      • Science
      • Computer
      • हिंदी Hindi
      • History
        • Rajasthan History
        • Modern History
        • Medieval History
        • Ancient History
      • Political Science
      • Economy
    • Govt Jobs
    • Motivational
    • Web Stories
    • Others
      • Full Form
    Golden Classes
    Home»History»Arts & Culture»राजस्थान के इतिहास के साहित्यिक स्त्रोत Literary Sourace
    Arts & Culture

    राजस्थान के इतिहास के साहित्यिक स्त्रोत Literary Sourace

    By NARESH BHABLAAugust 17, 2020Updated:August 29, 2020No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Page Contents

      • राजस्थान के इतिहास के साहित्यिक स्त्रोत
    • ऐतिहासिक राजस्थानी साहित्य
      • राजस्थानी साहित्य
      • संस्कृत भाषा  ( Sanskrit language )
      • फारसी साहित्य ( Persian Literature )
      • साहित्यिक पुरालेख ( Literary Archive )

    राजस्थान के इतिहास के साहित्यिक स्त्रोत

    राजस्थान में प्रारंभिक साहित्य की रचना संस्कृत और प्राकृत भाषा में की गई थी क्योंकि प्राचीन काल में व्यापक रूप से इन्हीं भाषाओं को मान्यता थी  मध्ययुग के प्रारंभिक काल से अपभ्रंश और उससे जनित मरू भाषा और स्थानीय बोलियां से से मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाड़ी, मेवाती, बागड़ी आदि में भी साहित्य लेखन हुआ

    इन प्रारंभिक संस्कृत साहित्य में हमें राजस्थान के इतिहास से संबंधित काफी सूचनाएं मिल जाती हैं

    ऐतिहासिक राजस्थानी साहित्य

    राजस्थानी साहित्य

    पृथ्वी राज रासो ( Prithvi Raj Raso ) –  यह रासो ग्रंथ पृथ्वी राज चौहान के दरबारी कवि चन्दबरदाई द्रारा पिंगल (ब्रज हिन्दी)मे लिखा गया हैं, जिसे उसके पुत्र जल्हण ने पूरा किया । इसमें चार राजपूत वंशो यथा गुर्जर- प्रतिहार, परमार,सोलकी (चालुक्य) एवं चौहानों की उत्पत्ति गुरु वशिष्ठ विशवामित्र आदि के आबू पर्वत के अग्निकुण्ड से बताई गई हैं।

    यह ग्रंथ चौहानों विशेषकर पृथ्वीराज चौहान के इतिहास पर विस्तृत प्रकाश डालता हैं।इसमें संयोगिता हरण एवं तराइन युद्ध का विशद वर्णन किया गया है इसकी ‘ चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ठ प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान हैं मत चुके चौहाण।’ यह विरोकंति बडी.प्रचलित है।चन्दबरदाई राजस्थानी के शीर्षस्थ कवि एवं हिन्दी के आदि कवि के रुप मे प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं।

    • पृथ्वीराजरासो – चन्दबरदाई
    • बीसलदेव रांसो – नरपति नाल्ह
    • हम्मीर रासो – जोधराज
    • हम्मीर रासो – शारगंधर
    • संगत रासो – गिरधर आंसिया
    • बेलिकृष्ण रूकमणीरी – पृथ्वीराज राठौड़
    • अचलदास खीची री वचनिका – शिवदास गाडण
    • कान्हड़ दे प्रबन्ध – पदमनाभ
    • पातल और पीथल – कन्हैया लाल सेठिया
    • धरती धोरा री – कन्हैया लाल सेठिया
    • लीलटास – कन्हैया लाल सेठिया
    • रूठीराणी, चेतावणी रा चूंगठिया – केसरीसिंह बारहड
    • राजस्थानी कहांवता – मुरलीधर ब्यास
    • राजस्थानी शब्दकोष – सीताराम लालस
    • नैणसी री ख्यात – मुहणौत नैणसी
    • मारवाड रे परगाना री विगत – मुहणौत नैणसी

    संस्कृत भाषा  ( Sanskrit language )

    संस्कृत भाषा

    पृथ्वीराज विजय यह भयानक भट्ट द्वारा लिखा गया है इसमें अजमेर के चौहानों का इतिहास है, हमीर महाकाव्य यह नयन चंद्र सूरी द्वारा लिखा गया है इसमें रणथंबोर के चौहानों का इतिहास दिया गया है

    राज वल्लभ यह मंडन द्वारा लिखा गया है जो 15वीं सदी का सैनिक संगठन स्थापत्य कला एवं मेवाड़ की जानकारी देता है राज विनोद यह भट्ट सदाशिव द्वारा लिखा गया है जो मेवाड़ के गुहिल एवं सोलहवीं शताब्दी में राजस्थान के सामाजिक परिवेश की जानकारी देता है

    एकलिंग महात्म्य यह कान्ह व्यास द्वारा लिखा गया है इसमें मेवाड़ के गुहिलओ का इतिहास है करमचंद वंशों कीर्तन काव्यम यह जयसोम द्वारा लिखा गया है जो बीकानेर के राठौरों का इतिहास बीकानेर दुर्ग की निर्माण की जानकारी देता है

    अमरसार पंडित जीवाधर द्वारा लिखा गया है जो महाराणा प्रताप एवं महाराणा अमर सिंह इतिहास की जानकारी देता है अमर काव्य वंशावली रणछोड़ भट्ट द्वारा लिखी गई है जो मेवाड़ के गुहीलो का विशेष कर महाराणा राजसिंह की गाथा का वर्णन है

    राज रत्नाकर सदाशिव द्वारा लिखा गया है महाराणा राज सिंह सिसोदिया के इतिहास की जानकारी मिलती है अजीतोदय भट्ट जगजीवन द्वारा लिखा गया है जो जोधपुर के राठौरों का तथा अजीत सिंह राठौड़ का इतिहास बताता है

    भट्टी काव्य भट्टी द्वारा लिखा गया है 15 शताब्दी में जैसलमेर की राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है

    संस्कृत साहित्य ( Sanskrit literature )

    • पृथ्वीराज विजय — जयानक (कश्मीरी)
    • हम्मीर महाकाव्य — नयन चन्द्र सूरी
    • हम्मीर मदमर्दन — जयसिंह सूरी
    • कुवलयमाला — उद्योतन सूरी
    • वंश भासकर/छंद मयूख — सूर्यमल्ल मिश्रण (बंूदी)
    • नृत्यरत्नकोष — राणा कुंभा
    • भाषा भूषण — जसवंत सिंह
    • एक लिंग महात्मय — कान्ह जी ब्यास
    • ललित विग्रराज — कवि सोमदेव

    फारसी साहित्य ( Persian Literature )

    • ताज-उल मासिर- इसका लेखक सरउद्दीन हसन निजामी हैं। इस पुस्तक में 1129 ई. तक का हाल मिलता हैं।
    • तबकाते नासिरी- इसका लेखक काजी मिनहास-उस-सिराज हैं। दिल्ली सुल्तान शम्सुद्दीन इल्तुतमिश के राज्यकाल से लेकर सुल्तान नासिरूद्दीन के राज्यकाल के 15 वे वर्ष तक का हाल उसने स्वयं अपनी जानकारी के आधार पर लिखा हैं।
    • खजाइनुल फुतूह- इसका लेखक अमीर खुसरो हैं। इस ग्रन्थ की रचना 1311 ई. में की थी ।
    • तारीख-ए-फिरोजशाही- इसका लेखक जियाउद्दीन बरनी हैं। इसके ग्रन्थ से हमे रणथम्भौर और उस पर होने वाले मुस्लिम आक्रमणो की जानकारी मिलती हैं।
    • तारीखे-मुबारकशाही- इसका लेखक याहया-बिन-अहमद-अब्दुलशाह-सरहिन्दी हैं। तुगलक काल की जानकारी का मुख्य स्त्रोत हैं।
    • तुजुक-ए-बाबरी- बाबर द्वारा लिखित स्वयं की आत्मकथा को बाबरनामा के नाम से पुकारा जाता हैं। पानीपत युद्ध के बाद खानवा युद्ध तक की जानकारी इसी ग्रन्थ मे मिलती हैं।
    • हुमायूँनामा- इस ग्रन्थ की लेखिका गुलबदन बेगम थी।
    • तजकिरात-उल-वाकेयात- इसका लेखक जौहर आफताबची था। यह ग्रन्थ भी हुमायूँ की जीवनी हैं।
    • अकबरनामा ( Akbaranama ) – इसका लेखक अकबर का प्रमुख दरबारी और अधिकारी अबुल फजल हैं। लेखक ने मेवाड़, कोटा, मेवात, भरतपुर, और जयपुर के आसपास के क्षेत्रो की विस्तृत भौगोलिक जानकारी दी हैं।
    • बादशाहनामा ( Badashahanama )– इसका लेखक अब्दुल हमीद लाहौरी हैं। इसमे चित्तौड़ और उसके आसपास के क्षेत्रो की भौगोलिक विशेषताए बतायी गयी हैं।

    फारसी साहित्य ( Persian Literature )

    • चचनामा – अली अहमद
    • मिम्ता-उल-फुतूह – अमीर खुसरो
    • तुजुके जहांगीरी – जहांगीर
    • तारीख -ए-राजस्थान – कालीराम कायस्थ
    • वाकीया-ए- राजपूताना – मुंशी ज्वाला सहाय

    साहित्यिक पुरालेख ( Literary Archive )

    • फरमान और मन्सूर- बादशाह (शासक) द्वारा अपने सामन्तों, शहजादों, शासकों या प्रजा के स्वयं अथवा अन्य से लिखवाकर भेजा जाता था। इन पत्रों पर तुगरा या राजा का पंजा (हथेली का चिन्ह) लगा रहता था।
    • निशान- निशान नामक पत्र शहजादी या बेगमों द्वारा बादशाह के अतिरिक्त अन्य से लिखे गये पत्र कहलाते थे। जहाँगीर के शासनकाल में नूरजहां द्वारा भेजे गए निशानों पर जहाँगीर का नाम होता था, किन्तु उस पर नूरजहां की मुद्रा अंकित होती थी। इसको बेगम की मोहर कहा जाता था।
    • अर्जदाश्त- यह प्रजा द्वारा शासकों या शहजादों द्वारा बादशाह को लिखे जाने वाले पत्र थे। यदि ऐसी अर्जदाश्तों में विजय के संदेश प्रेषित होते तो इन्हें फतेहनामा कहा जाता था।
    • हस्बुलहुक्म- बादशाह की आज्ञा से बादशाही आज्ञा की सूचना देने के लिए मंत्री (वजीर) अपनी ओर से लिखता था।
    • रम्ज और अहकाम- बादशाहों द्वारा अपने सचिव को लिखवाई गयी कुछ टिप्पणियां विशेष कहलाते थे, जिनके आधार पर सचिव पूरा पत्र तैयार करता था।
    • सनद- पत्र नियुक्ति अथवा अधिकार हेतु प्रदान किया जाता था।
    • परवाना- अपने से छोटे अधिकारी को लिखा गया प्रशासनिक पत्र था।
    • रुक्का- निजी पत्र की संज्ञा थी, परवर्ती काल में राजा की ओर से प्राप्त पत्र को खास रुक्का कहा जाने लगा था।
    • दस्तक- के आधार पर लोग सामान एक स्थान से दूसरे स्थान पर ला-लेजा सकते थे, दरबार अथवा शिविर प्रवेश के लिए भी दस्तक एक प्रकार से आधुनिक “परमिट’ या “पास’ था।
    • वकील रिपोर्ट- प्रत्येक राज्यों से बादशाही दरबार में वकील नियुक्त होते थे, यह अपने शासकों के हितों की रक्षा तथा सूचना भेजते थे। इसके द्वारा लिखी सूचनाएं वकील रिपोर्ट कहलाती है।
    • अखबारात- इसी प्रकार राज्य और दरबार की कार्यवाहियों की प्रेसिडिस को अखबारात कहा जाता था

    साहित्यिक स्त्रोत साहित्यिक स्त्रोत साहित्यिक स्त्रोत साहित्यिक स्त्रोत साहित्यिक स्त्रोत

    यदि आपको हमारे दुआर दिए गए नोट्स पसंद आ रहे है

    तो आप हमें पेज पर भी फॉलो कर सकते है 👉👉  Fb

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र [ IGNCA ], नई दिल्ली

    March 30, 2022

    Literary and Museum आधुनिक साहित्यकार एवं संग्रहालय

    September 26, 2020
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    Popular Post
    हिंदी Hindi

    हिंदी भाषा के विविध रूप | भाषा के भेद और प्रकार

    By NARESH BHABLAFebruary 8, 2022

    हिंदी भाषा के विविध रूप – भाषा का सर्जनात्मक आचरण के समानान्तर जीवन के विभिन्न…

    Relationship सामाजिक अध्ययन का अन्य विषयो संबंध

    July 2, 2020

    Public Policy: भारत की लोकनीति क्या है?

    August 29, 2020

    chemistry formulas in Hindi | रासायनिक सूत्र की लिस्ट

    January 31, 2022

    E-commerce ई-कॉमर्स क्या है व इसके कार्य???

    July 19, 2020
    Facebook Twitter Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    Copyright © 2023-24 goldenclasses.com All Rights Reserved
    All Logos & Trademark Belongs To Their Respective Owners.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.