Golden Classes
    Facebook Twitter Instagram
    Golden Classes
    • Home
    • Sarkari Yojna
    • Subject
      • PHYSICS
      • Psychology
      • Philosophy
      • Geography
        • World Geography
        • Rajasthan Geography
        • India Geography
      • Arts & Culture
      • Science
      • Computer
      • हिंदी Hindi
      • History
        • Rajasthan History
        • Modern History
        • Medieval History
        • Ancient History
      • Political Science
      • Economy
    • Govt Jobs
    • Motivational
    • Web Stories
    • Others
      • Full Form
    Golden Classes
    Home»Science»मानव शरीर श्वसन तंत्र Human body respiratory system
    Science

    मानव शरीर श्वसन तंत्र Human body respiratory system

    By NARESH BHABLAAugust 14, 2020No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Page Contents

    • श्वसन तंत्र (Human body respiratory system)
    • श्वसन के प्रकार ( Types of respiration )
    • 1. आक्सी श्वसन(Aerobic Respiration)
    • 2. अनाक्सी श्वसन(Anaerobic Respiration)
    • श्वासच्छोसवास (Breating)
    • मानव श्वशन तंत्र ( Human respiratory system ):-
      • 2. निचला श्वसन तंत्र ( Lower respiratory system )
    • श्वसन मांसपेशियां (Respiratory muscles) :-
      • यदि आपको हमारे दुआर दिए गए नोट्स पसंद आ रहे है तो आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते है https://www.facebook.com/goldenclasses0/

    श्वसन तंत्र (Human body respiratory system)

    जीव के विशिष्ट लक्षण 3 ही होते हैं जिनमें वृद्धि, जनन और श्वसन आते हैं अर्थात सभी जंतु एवं वनस्पतियां दोनों ही श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं तथा कार्बन डाइऑक्साइड त्यागते हैं श्वसन वायवीय तथा अवायवीय हो सकता है। वायवीय श्वसन वायु की उपस्थिति में होता हैं जबकि अवायवीय श्वसन वायु की अनुपस्थिति में होता हैं, जिसमें गुलूकोस के अपूर्ण ऑक्सीकरण से एथिल अल्कोहल बनता है। वायवीय श्वसन अधिकांस बहुकोशिकीय जन्तुओ व मनुष्यों मै तथा अवायवीय श्वसन जीवाणु,यीस्ट, परजीवी, आदि में होता हैं। श्वसन अंग : मछली में गलफड़े तथा मेंढक, साँप, पक्षी, एवं मनुष्य में फ़ेफ़डे(2) श्वसन अंग होते हैं।

    श्वसन एक जैविक घटना है इसमें ग्लूकोज ऑक्सीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति मे ऑक्सी कृत हो जाता है और ऊर्जा का निर्माण होता है यही ऊर्जा जीवो के दैनिक कार्यों में काम आती है जैसे शरीर का ताप बनाए रखना, हृदय की धड़कन आदि

    जब ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है तो ऊर्जा एटीपी के रूप में संचित हो जाती है परंतु Atp से ऊर्जा निकलने के बाद atp adp में बदल जाता है कोशिका में होने वाली इस क्रिया को आंतरिक श्वसन या कोशिकीय श्वसन कहते हैं कोशिका के माइट्रोकांड्रिया में यह क्रिया होती है इस कारण इसे कोशिका का पावर हाउस भी कहते हैं  हमारे दैनिक कार्य के लिए जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है उसे बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड कहा जाता है वसा में ऊर्जा का मान ग्लूकोज की तुलना में अधिक होता है परंतु त्वरित ऊर्जा का स्रोत होने के कारण थकान में ग्लूकोस दिया जाता है

    फेफड़ों में करोड़ों कूपिकाए होती हैं जिसके कारण फेफड़ों का पृष्ठीय क्षेत्रफल कई गुना बढ़ जाता है और ऑक्सीजन का इस्तेमाल अधिक होता है जलीय जीवों में श्वसन के लिए जीव gills का प्रयोग करते हैं उसके द्वारा पानी में घुली हुई ऑक्सीजन ही इस्तेमाल हो पाती है अर्थात स्थलीय जीव जलीय जीव की तुलना में अधिक ऑक्सीजन इस्तेमाल करते हैं इसलिए इनकी बीओडी अधिक होती है

    किनवण और पूयन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अल्कोहल सिरका और कई अन्य जटिल का निर्माण होता है क्योंकि यह प्रक्रिया ऑक्सीजन के बिना होती है अतः यह अनाक्सी स्वसन का एक रुप है यह प्रक्रिया जीवाणु और fungi द्वारा की जाती है डबल रोटी, सिरका, दही आदि किण्वन के उदाहरण हैं

    • शरीर के अंदर श्वास के रूप में वायु का निश्श्वसन एवं उत्श्वसन (Inhalation and Exhalation) करने वाले तंत्र श्वसन तंत्र ( respiratory system)कहलाते हैं।
    • इसके अंतर्गत कण्ठ (Larynx),एपिग्लाटिस, श्वासनली, श्वसनी और फेफड़े आते हैं।
    • यह तंत्र शरीर क भीतर मुख्यतया वायु मार्ग का कार्य करता है।
    • एपिग्लाटिस भोजन निकलते समय श्वास मार्ग को बंद कर देता है। श्वास नली उपास्थि (कार्टिलेज लचीली हड्डी) की बनी होती है।
    • फेफड़े (Lungs फुस्फुस) में रुधिर का शुद्धिकरण गैसों के आदान-प्रदान से होता है।
    • गैसों का आदान प्रदान वायु कूपिकाओं के माध्यम से होता है।
    • आॅक्सीजन कूपिकाओं से रक्त में तथा कार्बन डाइऑक्साइड रक्त से कूपिकाओं में प्रवेश करता हैं।
    • वयस्क मनुष्य के फेफड़ों में 35 से 40 करोड़ वायु कूपिकाऐं होती हैं।
    • मनुष्य में दायां फेफड़ा तीन पिण्डों में तथा बायां फेफड़ा दो पिण्डों में विभाजित होता है।
    • कूपिकाओं में गैसीय आदान प्रदान क्रिया विसरण के द्वारा होती है। 
    • एम्फिसेमा बीमारी का संबंध फेफड़ों से होता है। अधिक सिगरेट पीने से होती है।
    • जिसमें फेफड़ों की कूपिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। और गैसीय आदान-प्रदान की क्रिया प्रभावित होती है।
    • फेफड़ों की सुरक्षा हेतु इनके ऊपर प्ल्यूरा नामक झिल्ली का आवरण पाया जाता है।

    ग्लूकोज के ऑक्सीकरण के द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को श्वसन कहा जाता है। श्वसन जीवों में 24 घंटे चलने वाली क्रिया हैं।

    श्वसन तंत्र

    श्वसन के प्रकार ( Types of respiration )

    श्वसन दो प्रकार से होता हैं।

    1..आॅक्सी श्वसन
    2..अनाॅक्सी श्वसन

    1. आक्सी श्वसन(Aerobic Respiration)

    • ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोज का पूर्ण ऑक्सीकरण आक्सी श्वसन कहलाता है।
    • आक्सी श्वसन की क्रिया में 38 एटीपी के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
    • आक्सी श्वसन की क्रिया कोशिका के कोशिका द्रव्य और माइट्रोकांड्रिया के अंदर संपन्न होती हैं।
    • कोशिकाद्रव्य में ग्लाइकोलिसिस क्रिया के द्वारा ग्लूकोज पायरविक अम्ल में तोड़ा जाता है।
    • इस विखंडन के दौरान दो एटीपी के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
    • ग्लाइकोलिसिस क्रिया को ऑक्सी और अनाक्सी श्वसन का सामान्य स्वरूप माना जाता है।
    • क्रेब्स चक्र की क्रिया माइट्रोकांड्रिया के अंदर संपन्न होती हैं। क्रेब्स चक्र के दौरान पायरविक अम्ल कार्बन डाइऑक्साइड और जल में भी विखंडित हो जाता है।
    • इस विखंडन के दौरान 36 ATP के रूप में ऊर्जा का उत्पादन होता हैं।
    • पायरविक अम्ल का विखंडन ऑक्सीजन की उपस्थिति और अनुपस्थिति दोनों में होता है।
    • जब मनुष्य अधिक कार्य करता हैं। तो मांसपेशियों में ऑक्सीजन के अभाव में पायरविक अम्ल का विखंडन लैक्टिक अम्ल और कार्बन डाइऑक्साइड में हो जाता है। 
    • लैक्टिक अम्ल के जमाव के कारण मांसपेशियों में दर्द होता है।

    2. अनाक्सी श्वसन(Anaerobic Respiration)

    • ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण होता है। उसे अनाॅक्सी श्वसन कहते हैं।
    • मांसपेशियों में दर्द का प्रमुख कारण कोशिकाओं में ऊर्जा की कमी को माना जाता है। क्योंकि अनाक्सी श्वसन की क्रिया में दो एटीपी के रुप में ऊर्जा का उत्पादन होता है।
    • जब अनाक्सी श्वसन की क्रिया जीवाणु और कवक में होती है। तो इसे किण्वन(Fermentation) कहा जाता है।
    • किण्वन क्रिया के द्वारा शराब तथा सिरके का निर्माण होता है।

    श्वासच्छोसवास (Breating)

    • सामान्य रूप से सांस लेने की क्रिया को श्वासच्छोसवास कहा जाता है।
    • इसके क्रिया में ऊर्जा का उत्पादन नहीं होता है। वायुमंडलीय ऑक्सीजन का फेफड़ों में ग्रहण करना और शरीर के विभिन्न भागों से आई हुई कार्बन डाइऑक्साइड गैस को वायुमंडल में मुक्त करने की क्रिया को श्वासच्छोसवास (Breating) कहा जाता है।
    • श्वसन क्रिया की शुरुआत डायफ्राम के क्रियाशील होने से होती हैं।
    • श्वसन के दौरान सर्वाधिक मात्रा में नाइट्रोजन गैस ली जाती है और सबसे ज्यादा नाइट्रोजन गैस ही (78%) छोड़ी जाती हैं।
    • कार्बन डाइऑक्साइड •03% (वातावरण में इतनी ही मात्रा में हैं।)ग्रहण की जाती है। तथा 4% छोड़ी जाती है।
    • गहरी सांस लेने पर साढ़े तीन लीटर गैस ग्रहण की जाती हैं। इस क्षमता को “वाइटल क्षमता”(Vital Capacity) कहते हैं।
    • सामान्य सांस में आधा लीटर गैस ग्रहण की जाती हैं।,जिसे “टाइडल क्षमता”(Tidal Capacity) कहते हैं।

    मानव श्वशन तंत्र ( Human respiratory system ):-

    1. ऊपरी श्वसन तंत्र ( Upper respiratory system ):-

    1. इसमें नासा छिद्र, नासिका गुहा(द्वितीयक श्वसन अंग-मुख), ग्रसनी व स्वर यंत्र(Larynx) शामिल है।
    2. घाटी ढक्कन (Epiglottis) श्वासनली व आहारनली के बीच स्विच का कार्य करता है।
    3. स्वर यंत्र में स्वर-रज्जु(Vocal Cords) आवाज पैदा करने का कार्य करते है।

    2. निचला श्वसन तंत्र ( Lower respiratory system )

    • इसमें श्वासनली,श्वसनी,श्वसनीका व फेफड़े शामिल है। श्वासनली ( Teachea ) को उपास्थि के छल्ले हमेशा खुला रखते है।
    • वक्ष गुहा में पहुँच कर श्वासनली बाईं व दायीं श्वसनी(ब्रोंकाई) में बंट जाती है।
    • प्रत्येक श्वसनी द्वितीयक व तृतीयक शाखाओं में बंटकर अंत में श्वसनीका(Bronchi-ole)बनाती है।
    • सीमांत ब्रोंकिओल कुपिकाओं ( Alive-coli) में खुलती है।

    एक जोड़ी फेफड़े वक्ष गुहा में स्थित होते है।फेफडों की कुपिकाएं केवल शल्की उपकला (Squamous Epithelium) की बनी होती है।इन पर केशिकाओं का जाल फैला होता है।

    श्वसन मांसपेशियां (Respiratory muscles) :-

    • तनुपट या डायफ्राम (Diaphragm) वक्ष गुहा को उदर गुहा से अलग करता है।
    • इसके संकुचन से वक्ष गुहा का आकार बढ़ता है व वायु नासिका के रास्ते फेफडों में प्रवेश कर जाती है।
    • डायफ्राम के शिथिलन से वायु फेफडों से बाहर निकल जाती है।
    • फेफडों ने वायु के आवागमन(Ventilation) में डायफ्राम के अतिरिक्त इंटर क्रोस्टल पेशियां भी मदद करती है। श्वसन तंत्र

    यदि आपको हमारे दुआर दिए गए नोट्स पसंद आ रहे है तो आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते है https://www.facebook.com/goldenclasses0/

    Golden Classes
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    आवर्त सारणी इन हिंदी – आवर्त सारणी कैसे याद करें

    February 9, 2022

    chemistry formulas in Hindi | रासायनिक सूत्र की लिस्ट

    January 31, 2022
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    Popular Post
    हिंदी Hindi

    हिंदी भाषा के विविध रूप | भाषा के भेद और प्रकार

    By NARESH BHABLAFebruary 8, 2022

    हिंदी भाषा के विविध रूप – भाषा का सर्जनात्मक आचरण के समानान्तर जीवन के विभिन्न…

    Public Policy: भारत की लोकनीति क्या है?

    August 29, 2020

    chemistry formulas in Hindi | रासायनिक सूत्र की लिस्ट

    January 31, 2022

    Relationship सामाजिक अध्ययन का अन्य विषयो संबंध

    July 2, 2020

    E-commerce ई-कॉमर्स क्या है व इसके कार्य???

    July 19, 2020
    Facebook Twitter Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    Copyright © 2023-24 goldenclasses.com All Rights Reserved
    All Logos & Trademark Belongs To Their Respective Owners.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.