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    Home»Environment»मानव एवं वन्य जीव विवाद क्या है? Human And Wildlife Conflicts
    Environment

    मानव एवं वन्य जीव विवाद क्या है? Human And Wildlife Conflicts

    By NARESH BHABLAMay 27, 2020Updated:June 3, 2020No Comments3 Mins Read
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    मनुष्य की गलत धारणाओं के कारण वन्य प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ा है इसका प्रत्यक्ष प्रभाव समस्त मानव जगत पर पड़ता है प्राचीन काल में वन्य जीव एवं मानव के बीच मित्रता का संबंध था तथा ऋषि-मनियों के आश्रम में वन्य जीव मुक्त रूप से विचरण करते थे हमारी धार्मिक मान्यताओं मैं भी विभिन्न पेड़ पौधे एवं जीव जंतु पूजनीय थे किंतु मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ वन्य जीव एवं मानव के बीच सद्भावना घटने लगी एवं धार्मिक तथा नैतिक मूल्यों में कमी आने लगी जिससे वन्यजवों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न होने लगा वन्य जीवन को नष्ट करने से मानव एवं वन्य जीव जीवन प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हुई मानव जहां वन्य जीवन के लिए हानिकारक हुआ है ।

    मानव एवं वन्य जीव

    वही वन्यजीवी कहीं-कहीं मानव के लिए खतरा साबित हो रहे हैं मानव व वन्य जीवो में विवाद निम्न इस पर अदाओं के कारण बड़े हैं।

    1. आदिवासी समुदाय के साथ वन्य जीवन स्पर्धा
    2. शहरी समुदाय के साथ वन्य जीवन प्रतिस्पर्धा

    आदिवासी समुदाय के साथ वन्य जीव प्रतिस्पर्धा

    आदिवासी समुदाय अपने संपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन्य एवं उनके उत्पादों पर सदियों से निर्भर रहते हैं वह इन वन्य संपदा ओं के दोहन के साथ 7 दिन का संरक्षण भी करते थे।

    पिछले कुछ वर्षों में वन्य जीव संरक्षण के लिए सरकार द्वारा राष्ट्रीय उद्यान व अभयारण्य के लिए सरकार ने वनवासियों को उस क्षेत्र से निष्कासित करना शुरू कर दिया जिसे आदिवासियों के सरकार विद्रोह हुए।

    उदाहरण के लिए टिहरी बांध से विस्थापित आदिवासियों तथा केरल के आदिवासियों की समस्याएं भी इसी विवाद की खड़ी है।

    शहरी समुदाय साथ जीवन प्रतिस्पर्धा

    वन्यजीव आवास तथा भोजन के लिए एवं मानव समुदाय आवाज कृषि उद्योगों के लिए एक दूसरे के प्रति स्पर्धा में हैं कई बार वन्य जीव अपने भोजन की तलाश में भटकते हुए मानव बस्तियों में चले आते हैं एवं काल ग्रास बन जाते हैं।

    मनुष्य अपनी जरूरत की पूर्ति के लिए दिन प्रतिदिन वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों पर कुठाराघात करता रहा है बढ़ती हुई जनसंख्या की जट रागनी को शांत करने के लिए कृषि क्षेत्र के विस्तार के कारण वन एवं वन्य जीवन पर दुष्कर परिणाम पढ़ते हैं।

    आता इन विवादों से बचने एवं जैव विविधता का संरक्षण करने के लिए भारत सरकार ने पहली बार वन्य जीवन कार्य योजना 1983 को संशोधित करके अब नई बनने जीवन कार्य योजना 2002 से 2016 स्वीकृत की है।

    भारतीय वन्य जीवन बोर्ड जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं वन्य जीव संरक्षण की अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी एवं निर्देशन करने वाला शीर्ष सलाहकार निकाय है

    वर्तमान में संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत 92 राष्ट्रीय उद्यान और 500 अभ्यारण आते हैं जो देश के सकल भौगोलिक क्षेत्र के 15.67 मिलियन हेक्टेयर भाग पर फैले हैं तथा देश के समस्त भौगोलिक क्षेत्र को यह प्रतिशत पर फैले हैं।

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