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    Home»History»Modern History»भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन- मौलाना आजाद Maulana Azad
    Modern History

    भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन- मौलाना आजाद Maulana Azad

    By NARESH BHABLAAugust 16, 2020No Comments5 Mins Read
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    Page Contents

    • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन- मौलाना आजाद
    • मौलाना आजाद शिक्षा_
    • मौलाना आजाद स्वतंत्रता की लड़ाई
    • असहयोग आन्दोलन:
    • आज़ादी के बाद:-
    • मौलाना आजाद उपलब्धियां (Maulana Azad Achievements) –

    भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन- मौलाना आजाद

    आजाद का जन्म 11 नवम्बर 1888 को मक्का, सऊदी अरब में हुआ था.इनके पिता मोहम्मद खैरुद्दीन एक बंगाली मौलाना थे, जो बहुत बड़े विद्वान थे जबकि इनकी माता अरब की थी, जो शेख मोहम्मद ज़हर वात्री की बेटी थी

    मौलाना_आजाद

    जो मदीना में एक मौलवी थी, जिनका नाम अरब के अलावा बाहरी देशों में भी हुआ करता था मौलाना खैरुद्दीन अपने परिवार के साथ बंगाली राज्य में रहा करते थे लेकिन 1857 के समय हुई विद्रोह की लड़ाई में उन्हें भारत देश छोड़ कर अरब जाना पड़ा जहाँ मौलाना आजाद का जन्म हुआ

    • मौलाना आजाद जब 2 वर्ष के थे, तब 1890 में उनका परिवार वापस भारत आ गया और कलकत्ता में बस गया 
    • 13 साल की उम्र में मौलाना आजाद की शादी जुलेखा बेगम से हो गई

    मौलाना आजाद शिक्षा_

    • इसका असर उनकी शिक्षा में पड़ा मौलाना आजाद को परंपरागत इस्लामी शिक्षा दी गई
    • लेकिन मौलाना आजाद के परिवार के सभी वंशों को इस्लामी शिक्षा का बखूबी ज्ञान था और ये ज्ञान मौलाना आजाद को विरासत में मिला

    आजाद को सबसे पहले शिक्षा उनके घर पर ही उनके पिता द्वारा दी गई  इसके बाद उनके लिए शिक्षक नियुक्त किये गए, जो उन्हें संबंधित क्षेत्रों में शिक्षा दिया करते थे

    मौलाना आजाद स्वतंत्रता की लड़ाई

    एक मौलवी के रूप में शिक्षा लेने के बाद भी आजाद जी ने अपने इस काम को नहीं चुना और हिन्दू क्रांतिकारीयों के साथ, स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया 1912 में मौलाना आजाद ने उर्दू भाषा में एक साप्ताहिक समाचार पत्र ‘अल-हिलाल’ की शुरुवात की

    जिसमें ब्रिटिश सरकार के विरुध्य में खुलेआम लिखा जाता था साथ ही भारतीय राष्ट्रवाद के बारे में भी इसमें लेख छापे जाते थे यह अखबार क्रांतिकारीयों के मन की बात सामने लाने का जरिया बन गया, इसके द्वारा चरमपंथियों विचारों का प्रचार प्रसार हो रहा था

    इस अख़बार में हिन्दू मुस्लिम एकता पर बात कही जाती थी युवाओं से अनुरोध किया जाता था कि वे हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई को भुलाकर, देश की स्वतंत्रता के लिए काम करें

    1914 में अल-हिलाल को किसी एक्ट के चलते बेन कर दिया गया जिससे यह अख़बार बंद हो गया इसके बाद मौलाना आजाद ने ‘अल-बलाघ’ नाम की पत्रिका निकाली, जो अल-हिलाल की तरह ही कार्य किया करती थी लगातार अख़बार में राष्ट्रीयता की बातें छपने से देश में आक्रोश पैदा होने लगा था

    जिससे ब्रिटिश सरकार को खतरा समझ आने लगा और उन्होंने भारत की रक्षा के लिए विनियम अधिनियम के तहत अखबार पर प्रतिबंध लगा दिया इसके बाद मौलाना आजाद को गिरिफ्तार कर, रांची की जेल में डाल दिया गया

    जहाँ उन्हें 1 जनवरी 1920 तक रखा गया जब वे जेल से बाहर आये, उस समय देश की राजनीती मेंआक्रोश और विद्रोह का परिदृश्य था

    ये वह समय था, जब भारतीय नागरिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों के आवाज बुलंद करने लगे थे मौलाना आजाद ने खिलाफत आन्दोलन शुरू किया, जिसकेद्वारा मुस्लिम समुदाय को जागृत करने का प्रयास किया गया

    आजाद जी ने अब गाँधी जी के साथ हाथ मिलाकर, उनका सहयोग ‘असहयोग आन्दोलन’ में किया. जिसमें ब्रिटिश सरकार की हर चीज जैसे सरकारी स्कूल, सरकारी दफ्तर, कपड़े एवं अन्य समान का पूर्णतः बहिष्कार किया गया

    आल इंडिया खिलाफत कमिटी का अध्यक्ष मौलाना आजाद को चुना गया. बाकि खिलाफत लीडर के साथ मिलकर इन्होने दिल्ली में ‘जामिया मिलिया इस्लामिया संस्था’ की स्थापना की

    गाँधी जी एवं पैगंबर मुहम्मद से प्रेरित होने केकारण, एक बड़ा बदलाव इनको अपने निजी जीवन में भी करना पड़ा गाँधी जी के नश्के कदम में चलते हुए, इन्होने अहिंसा को पूरी तरह से अपने जीवन में उतार लिया

    असहयोग आन्दोलन:

    जेल से निकलने के बाद वे जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोधी नेताओं में से एक थे। इसके अलावा वे खिलाफ़त आन्दोलन के भी प्रमुख थे।खिलाफ़त तुर्की के उस्मानी साम्राज्य की प्रथम विश्व युद्ध में हारने पर उनपर लगाए हर्जाने का विरोध करता था। उस समय ऑटोमन (उस्मानी तुर्क) मक्का पर काबिज़ थे और इस्लाम के खलीफ़ा वही थे।

    इसके कारण विश्व भर के मुस्लिमों में रोष था और भारत में यह खिलाफ़त आंन्दोलन के रूप में उभरा जिसमें उस्मानों को हराने वाले मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन,फ्रांस,इटली) के साम्राज्य का विरोध हुआ था। गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया।

    आज़ादी के बाद:-

    स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आज़ाद को ही ‘भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान’ अर्थात ‘आई.आई.टी.’ और’विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकिसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की।

    • संगीत नाटक अकादमी (1953)
    • साहित्य अकादमी (1954)
    • ललितकला अकादमी (1954)

    केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने पर सरकार से केंद्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सार भौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की

    मौलाना आजाद उपलब्धियां (Maulana Azad Achievements) –

    • 1989 में मौलाना आजाद के जन्म दिवस पर, भारत सरकार द्वारा शिक्षा को देश में बढ़ावा देने के लिए ‘मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन’ बनाया गया
    • मौलाना_आजाद के जन्म दिवस पर 11 नवम्बर को हर साल ‘नेशनल एजुकेशन डे’ मनाया जाता है
    • भारत के अनेकों शिक्षा संसथान, स्कूल, कॉलेज के नाम इनके पर रखे गए है
    • मौलाना आजाद को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया हैं

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