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    Home»History»Ancient History»प्राचीन भारत के साहित्य Religious literature source
    Ancient History

    प्राचीन भारत के साहित्य Religious literature source

    By NARESH BHABLASeptember 12, 2020Updated:May 20, 2021No Comments3 Mins Read
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    प्राचीन भारत के साहित्य

    Page Contents

    • धार्मिक साहित्य स्रोत
      • वेद
      • उपनिषद
      • वेदांग
      • धर्मशास्त्र
      • स्मृतियाँ
      • महाकाव्य

    धार्मिक साहित्य स्रोत

    प्राचीन भारत के साहित्य

    धार्मिक साहित्य के अन्तर्गत ब्राह्मण तथा ब्राह्मणेत्तर साहित्य की चर्चा की जाती है।

    ब्राह्मण ग्रन्थों में – 

    वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृति ग्रन्थ आते हैं। ब्राह्मणेत्तर ग्रन्थों में जैन तथा बौद्ध ग्रन्थों को सम्मिलित किया जाता है।
    ब्राह्मण धर्म ग्रंथ  –

     प्राचीन काल से ही भारत के धर्म प्रधान देश होने के कारण यहां प्रायः तीन धार्मिक धारायें- वैदिक, जैन एवं बौद्ध प्रवाहित हुईं। वैदिक धर्म ग्रन्थ को ब्राह्मण धर्म ग्रन्थ भी कहा जाता है।

    ब्राह्मण धर्म – 

    ग्रंथ के अन्तर्गत वेद, उपनिषद्, महाकाव्य तथा स्मृति ग्रंथों को शामिल किया जाता है।

    वेद

    वेद एक महत्त्वपूर्ण ब्राह्मण धर्म-ग्रंथ है। वेद शब्द का अर्थ ‘ज्ञान‘ महतज्ञान अर्थात ‘पवित्र एवं आध्यात्मिक ज्ञान‘ है। यह शब्द संस्कृत के ‘विद्‘ धातु से बना है जिसका अर्थ है जानना। वेदों के संकलनकर्ता ‘कृष्ण द्वैपायन’ थे। कृष्ण द्वैपायन को वेदों के पृथक्करण-व्यास के कारण ‘वेदव्यास’ की संज्ञा प्राप्त हुई।

    वेदों से ही हमें आर्यो के विषय में प्रारम्भिक जानकारी मिलती है। कुछ लोग वेदों को अपौरुषेय अर्थात दैवकृत मानते हैं। वेदों की कुल संख्या चार है-

    • ऋग्वेद- यह ऋचाओं का संग्रह है।
    • सामवेद- यह ऋचाओं का संग्रह है।
    • यजुर्वेद- इसमें यागानुष्ठान के लिए विनियोग वाक्यों का समावेश है।
    • अथर्ववेद- यह तंत्र-मंत्रों का संग्रह है।

    उपनिषद

    उपनिषदों की कुल संख्या 108 है। भारत का प्रसिद्ध आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ मुण्डोपनिषद से लिया गया है। उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं, जिसमें प्रश्न, माण्डूक्य, केन, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन, ईश, कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।

    वेदांग

    वेदांग शब्द से अभिप्राय है- ‘जिसके द्वारा किसी वस्तु के स्वरूप को समझने में सहायता मिले’। वेदांगो की कुल संख्या 6 है, जो इस प्रकार है-

    1. शिक्षा
    2. कल्प
    3. व्याकरण
    4. निरूक्त
    5. छन्द
    6. ज्योतिष

    धर्मशास्त्र

    ब्राह्मण ग्रन्थों में धर्मशास्त्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है। धर्मशास्त्र में चार साहित्य आते हैं-

    1. धर्म सूत्र
    2. स्मृति,
    3. टीका
    4. निबन्ध

    स्मृतियाँ

    स्मृतियों को ‘धर्म शास्त्र’ भी कहा जाता है।’स्मृतियों का उदय सूत्रों को बाद हुआ। मनुष्य के पूरे जीवन से सम्बधित अनेक क्रिया-कलापों के बारे में असंख्य विधि-निषेधों की जानकारी इन स्मृतियों से मिलती है।

    सम्भवतः मनुस्मृति (लगभग 200 ई.पूर्व. से 100 ई. मध्य) एवं याज्ञवल्क्य स्मृति सबसे प्राचीन हैं। उस समय के अन्य महत्त्वपूर्ण स्मृतिकार थे- नारद, पराशर, बृहस्पति, कात्यायन, गौतम, संवर्त, हरीत, अंगिरा आदि, जिनका समय सम्भवतः 100 ई. से लेकर 600 ई. तक था। मनुस्मृति से

    उस समय केभारत के बारे में राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक जानकारी मिलती है। 

    नारद स्मृति से गुप्त वंश के संदर्भ में जानकारी मिलती है। मेधातिथि, मारुचि, कुल्लूक भट्ट, गोविन्दराज आदि टीकाकारों ने ‘मनुस्मृति’ पर, जबकि विश्वरूप, अपरार्क, विज्ञानेश्वर आदि ने ‘याज्ञवल्क्य स्मृति’ पर भाष्य लिखे हैं।

    महाकाव्य

    ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’, भारत के दो सर्वाधिक प्राचीन महाकाव्य हैं।  महाकाव्यों का रचनाकाल चौथी शती ई.पू. से चौथी शती ई. के मध्य माना गया है।

    धार्मिक साहित्य क्या है प्राचीन भारत के साहित्य ब्राह्मण साहित्यिक...
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