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    Home»Environment»पर्यावरण संबंधी आंदोलन Environmental Movement
    Environment

    पर्यावरण संबंधी आंदोलन Environmental Movement

    By NARESH BHABLAMay 30, 2020Updated:May 30, 2020No Comments5 Mins Read
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    Page Contents

    • खेजड़ली आंदोलन
      • चिपको आंदोलन
      • वर्तमान चिपको आंदो-लन
        • चिपको आंदोलन के उद्देश्य
        • ग्रामीण विकास हेतु चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्य
      • उपसंहार
        • महत्वपूर्ण प्रश्न

    खेजड़ली आंदोलन

    वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के विरुद्ध प्रथम जन आंदोलन का उदय राजस्थान के खेजड़ली ग्राम में जो जोधपुर से 25 किलोमीटर दूर है 1731 में हुआ इस ग्राम व उसके आसपास के क्षेत्र में विश्नोई जाति की बहुलता है इस ग्राम की संस्कृति का आधार 20+9 सूत्र है जिनमें से एक महत्वपूर्ण सूत्र वृक्षों की रक्षा करना है

    खेजड़ली ग्राम से जलाने की लकड़ी प्राप्त करने के लिए जोधपुर के तत्कालीन महाराजा द्वारा आदेश दिए गए इस आदेश के तहत वृक्षों के काटे जाने के विरोध में एक साहसी महिला अमृता देवी के नेतृत्व में आंदोलन छेड़ा गया

    इस आंदो लन में बिश्नोई समुदाय के 363 सदस्य जो कि अपने प्रिय खेजड़ी के वृक्षों को बचाने के लिए इनसे चिपक गए वृक्षों के साथ ही काट दिए गए इन 363 बिश्नोईयों में अमृता देवी के पति रामोजी तथा उनकी तीन पुत्रियां भी सम्मिलित थी राजस्थान के http://खेजड़ली में वृक्षों की कटाई के विरुद्ध हुए इस आंदो लन को प्राकृतिक वनस्पति के संरक्षण की दिशा में एक चिंगारी कह सकते हैं

    वर्तमान में राज्य सरकार ने खेजड़ी वृक्ष को राज्य वृक्ष घोषित कर बिश्नोईयों के बलिदान के सम्मान देने का प्रयास किया है

    चिपको आंदोलन

    चिपको आंदोलन पर्यावरण आंदो लन

    उत्तर प्रदेश में टिहरी गढ़वाल के ग्रामीण क्षेत्र में प्राकृतिक वन संपदा के संरक्षण के लिए 1972 में एक आंदो लन आरंभ हुआ क्योंकि इस आंदो लन के अंतर्गत हैं स्थानीय निवासियों द्वारा वृक्षों से चिपक कर उनके काटे जाने के विरुद्ध एक संघर्ष का आह्वान किया गया था अतः इस आंदो लन को http://चिपको_आंदोलन नाम दिया गया है

    वर्तमान चिपको आंदो-लन

    वर्तमान स्वरूप में चिपको आंदोलन का प्रारंभ नवसृजित उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के गोपेश्वर नामक नगर की सीमाओं में स्थित मंडल नामक ग्राम में 27 मार्च 1973 को हुआ जब तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक खेलकूद की सामग्री बनाने वाली इलाहाबाद की साइमन कंपनी को अंगू के पेड़ काटने की इजाजत दी गई

    वहां के स्थानीय निवासियों ने एक रबर में कहा यदि पेड़ काटने के लिए कोई आएगा तो हम पेड़ों से चिपक कर उनकी रक्षा करेंगे चिपको आंदोलन के प्रेरणा वर्तमान में टिहरी आंदोलन के जनक श्री सुंदरलाल बहुगुणा कथा चंडी प्रसाद भट्ट रहे हैं

    हिमालय क्षेत्र में वनों की कटाई को रोकने की दिशा में 1972 में प्रथम संगठित आंदोलन चमोली गढ़वाल क्षेत्र की महिला गौरा देवी के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ इनके फल स्वरुप सरकार को अलकनंदा के 1300 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को संवेदनशील घोषित करते हुए 10 वर्षों के लिए वृक्षों की कटाई पर रोक लगानी पड़ी

    अतः चिपको आंदोलन जो आज बदलती पारिस्थितिकी है संदर्भ में पर्यावरण की अंतरराष्ट्रीय आवाज बन चुका है चमोली गढ़वाल क्षेत्र की ही देन है

    इस प्रकार 1731 की अमृता देवी वह 1972 की गौरा देवी के रूप में चिपको आंदोलन में महिलाओं का योगदान भारत में सर्वोपरि रहा है वह इन्होंने हमारे देश को गौरवान्वित किया है

    चिपको आंदोलन के उद्देश्य

    1. वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना
    2. पारिस्थितिकी असंतुलन बनाने रखने के लिए अत्यधिक वृक्षारोपण करना
    3. वनों की कटाई रोकना

    वनों के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए विशेष सुरक्षा तथा आत्मनिर्भरता हेतु वृक्षों की भूमिका को जन-जन में फैलाने के लिए चिपको आंदोलन कार्यकर्ताओं द्वारा पद यात्राएं की जाती हैं

    तथा शिविर लगाए जाते हैं इन शिविरों के माध्यम से ग्रामीणों को वनों व पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में बताया जाता है

    ग्रामीण विकास हेतु चिपको आंदोलन के मुख्य उद्देश्य

    1. व्यवसायिक महत्व वाले वृक्षों की तुलना में पर्यावरणीय महत्व वाले वृक्षों का अधिक रोपण करना
    2. सामाजिक वानिकी तथा कृषि वानिकी का विकास करना
    3. पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए बड़े बांधों के निर्माण का विरोध करना
    4. आर्थिक विकास के लिए फलदार वृक्षों को उगाना

    चिपको आंदोलन की तर्ज पर ही कर्नाटक में यानडुरंग एगडे के नेतृत्व में एपीको आंदोलन प्रारंभ हुआ है कन्नड़ भाषा में एपिको का अर्थ है चिपको

    चिपको आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि है जनमानस में वृक्षों के संरक्षण के प्रति चेतना का जागृत होना

    सन 1977 में चिपको आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने घोषणा की कि वनों के मुख्य उत्पाद लकड़ी नहीं बल्कि मृदा जल व ऑक्सीजन है टिहरी गढ़वाल क्षेत्र की महिलाओं ने एक नारा दिया है जिसे चिपको नारा कहते हैं यह नारा इस प्रकार है

    क्या है जंगल के उपचार ? मिट्टी पानी और बयार
    मिट्टी पानी और बयार जिंदाा रहने के आधार

    उपसंहार

    प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन के शब्दों में चिपको आंदोलन एक प्रत्यक्ष दर्शन है एक जीवंत विचार है

    सुंदरलाल बहुगुणा के अनुसार चिपको केवल हिमालय की समस्या नहीं है वरुण समस्त मानव जाति की समस्याओं का उत्तर है

    अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह अपने आसपास के पेड़ों की रक्षा करें तथा नए वृक्ष लगाकर पर्यावरण समस्याओं को समाधान करने में अपना समस्त योगदान करें पर्यावरण आंदोलन

    महत्वपूर्ण प्रश्न

    खेजड़ली के बलिदान से संबंधित है

    A बाबा आमटे।

    B अमृता देवी

    C अरुंधति राय

    D उपरोक्त सभी

    चिपको आंदोलन से संबंधित है

    A सुंदरलाल बहुगुणा

    ब मेघा पाटकर

    c एम एस स्वामीनाथन

    D उपरोक्त सभी

    पर्यावरण आंदोलन पर्यावरण आंदोलन

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