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    Home»News»कोरोना (corona) महामारी में देश की हकीकत
    News

    कोरोना (corona) महामारी में देश की हकीकत

    By NARESH BHABLAMay 12, 2020Updated:May 15, 2021No Comments4 Mins Read
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    कोरोना
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    हकीकत

    यदि आपके पास तर्क है तो ही आए, झूठे मीम्स और फर्जी राष्ट्रवादी दूर रहें …

    70 हजार पॉजिटिव मामले और 2293 मौतें!

    हमारे देश में फ़िलहाल ये ताजा अपडेट है कोरोना महामारी का! पोस्ट लिखते लिखते दस बारह ऊपर नीचे हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए!

    वर्तमान में देश उनलोगों के हाथों में है जो पिछले छह सालों से देश को ये बता रहे हैं कि पिछले 70 सालों में देश में कुछ हुआ ही नहीं! हम उन्ही गड्ढों को भरने आये हैं!

    गड्ढा किसे कहते हैं….आइये जानते हैं!

    15 अगस्त 1947 को हमें आजादी के साथ साथ बहुत सारी समस्याएं भी मिली थीं! सांप्रदायिक दंगे, अकाल, भुखमरी, महामारियां, बेरोजगारी- ये थे असली गड्ढे!

    आजादी के बाद देश की कमान अब देशवासियों के हाथों में आ गयी थी! मामला इस पार या उस पार का था! चाहे तो संवार लो या बर्बाद कर दो…. वाली हालत थी!

    उस वक्त देश ने खुद को संवारने की ठानी! विकास के कई कीर्तिमान लिखे गये!

    वर्तमान में जो दल देश की सत्ता पर काबिज है, जब तक उसने अपना तीसरा नामकरण किया तब तक देश को पांच IIT, तीन IIM, एक AIIMS, एक Atomic Research Centre तथा एक Space Research Centre(ISRO) के साथ साथ

    SAIL, BHEL, ONGC, DRDO, National Defence Academy, National Police Academy, ITBP, BSF, CRPF वगैरह सब मिल चुके थे।

    नदियों पर बांध बनाये जा रहे थे। रेलवे का विस्तार किया जा रहा था। बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य तथा सूचना तकनीक के क्षेत्र में अनगिनत काम हो चुके थे!

    देश के नागरिकों के जरूरत की वस्तुएं अब देश में ही बनने लगी थी! खेतों खलिहानों को हरित क्रांति की सौगात मिल रही थी, नौनिहालों को श्वेत क्रांति के माध्यम से पहलवान बनाया जा रहा था!

    अनगिनत साम्प्रदायिक दंगों से जूझते हुए और तीन तीन लड़ाइयां लड़ चुके, ने अपने नागरिकों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने तथा उन्हें एक स्वस्थ जीवन देने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी!

    आज हम अस्पतालों, डॉक्टरों और नर्सों की बात कर रहे हैं! स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर फूल बरसा रहे हैं! उन्हें सम्मान दे रहे हैं! जरुरी भी है!

    लेकिन सम्मान किस तरह देना चाहिए….सबका अपना अपना तरीका है!

    ताली थाली और हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की बजाय, देश के कर्णधारों ने देश में ही BCG लेबोरेट्री, Serum Institute of India।

    Indian Immunological Ltd, Biological E Ltd जैसी तमाम संस्थाएं खोल दी ताकि देश को अलग अलग महामारियों से मुक्त किया जा सके!

    चेचक, पोलियो, टिटनस, टीबी जैसे राजरोगों पर काबू पाया गया! प्रसव के दौरान शिशु और मातृ मृत्युदर को काफी हद तक न सिर्फ नियंत्रित किया गया ।

    बल्कि उन्हें आने वाली कई बीमारियों से मुक्त रखने के लिए कई तरह के देशव्यापी टीकाकरण अभियान भी चलाये गए!

    जिसके तहत इस वक्त देश में करीब डेढ़ दर्जन कंपनियां अलग अलग बीमारियों के सिर्फ टीके बनाती है।

    जिनमे से एक Zydus Cadila है जो आपके गुजरात के अहमदाबाद में स्थित है!

    वर्तमान में प्रति 10 हजार भारतीयों की देखभाल के लिये 21 हेल्थ वर्कर्स हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि यह संख्या कम से कम 23 होनी चाहिए!

    आपको युवाशक्ति से लबरेज एक ऐसा देश मिला था जिसके नौजवान एक आदेश पर दुश्मन के घर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे कारनामे कर डालते हैं!

    जिस देश का एक कांस्टेबल तुकाराम आतंकी अजमल कसाब से भिड़ जाता हो और आप कहते हो कि आपको गड्ढा मिला है?

    ऐसा कर के आप अपनी कमी जनता के मत्थे मढ़ रहे हो क्योंकि समय रहते आपने कुछ नहीं किया! विदेशों से कोरोना कैरियर देश में आते गए और आपने उन्हें आने दिया!

    जब देश में कोरोना मरीजों की संख्या ऊँगली पर गिनने लायक थी, तब आप ताली थाली और पता नहीं क्या क्या बजवा रहे थे!

    जब देश के अलग अलग राज्यों में कार्यरत मजदूरों को सही सलामत घर पहुँचाने की बजाय आप अपने विधायकों को बसों में भर भर के होटलों की ख़ाक छान रहे थे!

    स्वास्थ्यकर्मियों के लिए PPE किट और मास्क खरीदने के पैसे मूर्तियां और दीवार बनाने में जाया कर दिए।

    और अब अपने ही कर्मचारियों की सैलरी और पता नहीं क्या क्या काट रहे हो!

    कोरोना

    ठीक से देखो! जिन्हें आप गड्ढा कहते आये हो वही सारी संस्थाएं इस लॉक डाउन में देश को संभाले हुए हैं!

    आपकी मूर्ति और आपकी दीवार किसी काम नहीं आ रही!

    पुलिस, प्रशासन, डॉक्टर, अस्पताल, सेना, अर्धसेना, रेलवे- मतलब देश को मुसीबत से उबारने की तमाम संस्थाएं मौजूद थीं! फिर भी आप देश को सही दिशा न दे पाए?

    यदि आप उन 70 सालों की उपलब्धि को गड्ढा कहते हो तो फिर ये क्या है?

    क्या है ये…
    जिसे पाटने के लिए सिर्फ और सिर्फ लाशें गिर रही हैं? को

    कोरोना महामारी हकीकत कोरोना महामारी

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