कंप्यूटर का परिचय ( इंट्रोडक्शन ऑफ कंप्यूटर ), परिभाषा, वर्गीकरण, विशेषताएं, कमियां, कंप्यूटर की पीढ़ियां, डाटा और सूचना
इस लेख के माध्यम से कंप्यूटर का परिचय और कंप्यूटर का अर्थ और परिभाषा, कंप्यूटर का परिचय ( INTRODUCTION OF COMPUTER ), कंप्यूटर की परिभाषा ( COMPUTER DEFINITION ), कंप्यूटर का वर्गीकरण ( Classification of computer ), कंप्यूटर की विशेषताएं ( Features Of Computer ), कंप्यूटर की कमियां ( drawbacks of computer ), कंप्यूटर की पीढिया ( Generation Of Computer ), डाटा और सूचना ( Data & Information ), कंप्यूटर का इतिहास और कंप्यूटर का वर्तमान में उपयोगिता क्या है इन सब के बारे में इस लेख के माध्यम से जानेंगे !
कंप्यूटर का परिचय ( Introduction of Computer )
कंप्यूटर शब्द लैटिन भाषा के कंप्यूटर शब्द से लिया गया है ,जिसका अर्थ होता है ,गणना करना । अतःइसे संगणक कहा जाता है ।यह एक ऐसा गणना यंत्र है ,जो गणितीय क्रियाओं को तेज गति से संपन्न करता है ।प्रारंभ में इसका प्रयोग केवल जटिल क्रियाओं को तेज गति से संपन्न करने के लिए ही किया जाता था,
परंतु वर्तमान में इसका प्रयोग जीवन के हर क्षेत्र में किया जा रहा है ।लोगों में भी यह धारणा बन गई है कि आज सब कुछ कंप्यूटर पर ही निर्भर है। इसे आधुनिक तकनीक की आश्चर्यजनक मशीन माना गया है । अतः किसी भी कार्य को योजनाबद्ध तरीके से करने के लिए हमें कंप्यूटर के बारे में जानना आवश्यक है । आइए ,इसकी शुरुआत कंप्यूटर की भाषा से करें।
कंप्यूटर की परिभाषा ( COMPUTER DEFINITION )
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक स्वचालित मशीन है, जो निर्देशों के नियंत्रण में डाटा पर क्रिया करके सूचना प्रति पादित करता है। यह रो डाटा को निवेश के रूप में स्वीकार करता है तथा उन पर क्रिया करके परिणाम के रूप में अर्थ पूर्ण सूचनाएं प्रदर्शित करता है।
कंप्यूटर में निम्नलिखित क्षमता होती है
1. यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों को स्वीकार करना।
2. यूजर द्वारा दिए गए डाटा को स्वीकार करना।
3. स्वीकृत डाटा को क्रियान्वित करना तथा
4. यूजर की आवश्यकता अनुसार परिणाम प्रदर्शित करना।
कंप्यूटर में डेटा ग्रहण करने तथा प्रोग्राम व निर्देशों के अनुसार उन्हें क्रियान्वित करने की क्षमता होती है। यह डेटा पर तार्किक एवं गणितीय क्रियाएं करने में सक्षम है। कंप्यूटर में डेटा इंटर करने के लिए इनपुट यंत्र होता है ।
डेटा प्रोसेस करने के लिए जो यंत्र काम में लिया जाता है उसे सीपीयू कहा जाता है । सीपीयू कंप्यूटर के मस्तिष्क के रूप में कार्य करता है। कंप्यूटर द्वारा प्रतिपादित परिणाम को प्रदर्शित करने के लिए आउटपुट यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
कंप्यूटर का वर्गीकरण (Classification of computer)
कंप्यूटर को कार्य प्रणाली तथा आकार के आधार पर के भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
कार्य प्रणाली के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण
A. Computer
1. Digital Computer
2. Analog Computer
3. Hybrid Computer
आकार के आधार पर डिजिटल कंप्यूटर का वर्गीकरण
B. Digital Computer
1. Micro Computer
2.Mini Computer
3. Main Frame Computer
4. Super Computer
डिजिटल कंप्यूटर ( Digital Computer)
डिजिटल कंप्यूटर सभी डाटा को अंको में प्रदर्शित करते हैं ,एवं सभी कार्य इन्हीं अंकों के आधार पर ही करते हैं। अर्थात ये कंप्यूटर केवल अंकों पर कार्य करते हैं तथा इसके लिए केवल 0 व 1 दो संख्याओं का ही प्रयोग करते हैं ।
गणना से संबंधित सभी कार्य संख्याओं को जोड़कर करते हैं। ये कंप्यूटर आवश्यक डेटा को इनपुट के रूप में लेते हैं तथा उसके बाद उन पर गणितीय क्रिया करके उनका परिणाम स्क्रीन पर प्रदर्शित करते हैं । आकार के आधार पर इन्हें चार भागों में विभाजित किया गया है जिनका वर्णन निम्न प्रकार है।
माइक्रो कंप्यूटर ( Micro Computer)
सन 1971 में सर्वप्रथम Intel Corporation द्वारा माइक्रो प्रोसेस सर चिप का विकास किया गया था। ई. डी. रोबोट्स द्वारा प्रथम माइक्रो कंप्यूटर का विकास किया गया । वे सभी कंप्यूटर ,जो माइक्रोप्रोसेसर को मुख्य अवयव के रूप में प्रयोग करते हैं, माइक्रो कंप्यूटर कहलाते हैं।
1. निजी उपयोग के लिए जाने के कारण इन्हें पर्सनल कंप्यूटर कहा जाता है।
2. यह आकार में छोटे तथा कम कीमत के होते हैं।
3. यह single-user होते हैं अर्थ अर्थ इन पर एक समय में केवल एक ही यूज़र कार्य कर सकता है।
4. इनकी प्राथमिक मेमोरी तथा प्रोसेसिंग क्षमता अन्य कम्प्यूटर्स से कम होती है।
मिनी कंप्यूटर (Mini Computer)
मिनी कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं । इनकी प्रोसेसिंग क्षमता माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में 5 गुना अधिक होती है। इन्हें सामान्यतः टाइम शेयरिंग तथा डिसटीब्युटेड डाटा प्रोसेसिंग में प्रयोग किया जाता है। इनकी विशेषताएं निम्न प्रकार है।
1. ये आकार में माइक्रो कंप्यूटर से बड़े तथा मेनफ्रेम से छोटे होते हैं।
2. इनको मल्टी यूजर सिस्टम में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में प्रयोग किया जाता है।
3. ये टाइम शेयरिंग पद्धति के आधार पर कार्य कर सकते हैं।
मेनफ्रेम कंप्यूटर ( Main Frame Computer)
मेनफ्रेम कंप्यूटर प्रोसेसिंग क्षमता मिनी कंप्यूटर से अधिक होती है ।इनका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में सर्वर के रूप में किया जाता है । इन की विशेषताएं निम्नलिखित है।
1. मेनफ्रेम कंप्यूटर आकार में बड़े होते हैं।
2. यह multi-user वातावरण के लिए बनाए गए हैं इनकी भंडारण व प्रोसेसिंग क्षमता अधिक होती है।
3. इनका प्रयोग स्थानीय नेटवर्क तथा विस्तृत नेटवर्क में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में किया जाता है।
4. इनकी मेमोरी मैं एक साथ कई प्रोग्राम लोड किए जा सकते हैं ।अतः ये कंप्यूटर्स मल्टीप्रोग्रामिंग के सिद्धांत पर कार्य करते हैं।
5. इनका प्रयोग वैज्ञानिक प्रयोगों तथा जटिल गणनायक करने के लिए किया जाता है।
6. DEC तथा IBM – 3090 आदि मेनफ्रेम की मुख्य उदाहरण है।
सुपर कंप्यूटर (Super Computer )
इनकी प्रोसेसिंग क्षमता मेनफ्रेम कंप्यूटर से अधिक होती है । इसका प्रयोग नई तथा जटिल गणना हल करने में किया जाता है । इनमें मल्टिप्रोसेसिंग क्षमता होती है। इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
1. यह सबसे पावरफुल कंप्यूटर है तथा इनमें तार्किक निर्णय लेने की क्षमता अधिक होती है।
2. यह multi-user वातावरण के लिए बनाए गए हैं।
3. इनकी मेमोरी तथा प्रोसेसिंग छमता अन्य कम्प्यूटर्स से कहीं अधिक होती है।
4. इन पर एक साथ एक से अधिक प्रोग्राम चलाए जा सकते हैं अतः इनका प्रयोग सामान्यतः मल्टीप्रोग्रामिंग तथा टाइम शेयरिंग पद्धति में किया जाता है।
5. इनकी कीमत अधिक होती है। अतः इनका प्रयोग विशेष कार्य के लिए किया जाता है।
एनालॉग कंप्यूटर ( Analog Computer )
एनालॉग कंप्यूटर विशेष प्रकार के कंप्यूटर होते हैं । इनका प्रयोग ताप ,दबाव, गति ,ध्वनि या विद्युत प्रवाह जैसे विषय संकेतों पर कार्य करने के लिए किया जाता है। इन की विशेषताएं निम्नलिखित है
1. ये तापमान, दबाव, गति या विद्युत प्रवाह आदि विशेष संकेतों के आधार पर कार्य करते हैं।
2. प्रत्येक कार्य के लिए इन्हें अलग डेटा की आवश्यकता होती है।
3. ये एक निर्देश को प्रोसेस करने के बाद ही दूसरा निर्देश लेते हैं।
4. ये कंप्यूटर एनालॉग संकेतों के आधार पर कार्य करते हैं । अतः इनका प्रयोग वैज्ञानिक तथा चिकित्सा क्षेत्र में अधिक किया जाता है।
हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer)
हाइब्रिड कंप्यूटर्स मे डिजिटल तथा एनालॉग कम्प्यूटर्स की संयुक्त कार्य पद्धति का प्रयोग किया जाता है ।अतः यह कंप्यूटर ताप ,दाव, विद्युत प्रवाह के संकेतों तथा संख्याओं के आधार पर कार्य करते हैं।
कंप्यूटर की विशेषताएं ( Features Of Computer)
सन 1950 तक कंप्यूटर का प्रयोग केवल सरकारी कार्यालयों तथा विश्वविद्यालय में जटिल आंकिक गणनाओं को हल करने में ही किया जाता था। वर्तमान में कंप्यूटर का बहुत तेजी से विकास हुआ है ।इस युग में मुश्किल से ही कोई ऐसा क्षेत्र है जहां इसका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। इसका प्रभाव जीवन के लगभग क्षेत्र में है यह सब इसकी कुछ विशिष्ट विशेषताओं के कारण हो रहा है जिनका वर्णन इस प्रकार है।
1. कार्य करने की गति (Processing Speed )
कंप्यूटर के कार्य करने की गति बहुत तेज होती है । जिस कार्य को एक व्यक्ति कई घंटों, महीनों तथा वर्षों में पूरा करता है ,कंप्यूटर उसे कुछ ही क्षणों में पूरा कर सकता है ।कंप्यूटर के कार्य करने की गति को सामान्य समय के अनुसार नहीं मापा जा सकता इसे माइक्रोसेकड , नैनो सेकंड तथा पीको सेकंड में मापा जाता है।
2. उच्च भंडारण क्षमता ( High Stronge Capacity)
किसी भी डाटा को किसी भी रूप व मात्रा में कंप्यूटर में स्टोर करके रख सकते हैं । कंप्यूटर की भंडारण क्षमता काफी अधिक होती है। इसमें डाटा को लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है और उन्हें आवश्यकता अनुसार पुनः प्राप्त भी किया जा सकता है।
3. स्वचालित ( Automatic )
कंप्यूटर एक स्वचालित मशीन है ,जो यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों को बिना किसी मानवीय बांधा के संपन्न कर सकता है।
4. शुद्धता ( Accuracy )
यदि कंप्यूटर में निवेश किए गए डाटा पूर्ण रूप से सही है, तो कंप्यूटर सत प्रतिशत सही परिणाम देने की क्षमता रखता है । इसीलिए लोगों की कंप्यूटर के प्रति यह भावना है कि कंप्यूटर द्वारा की गई गणना में त्रुटि की संभावना सुनने के बराबर होती है।
5. विविधता ( Versatility )
कंप्यूटर का प्रयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है जैसे विभिन्न प्रकार के दस्तावेज तैयार करने ,उन्हें प्रिंट करने ,शारीरिक जांच करने, मौसम की जानकारी प्राप्त करने ,प्रेजटेशन देने ,मनोरंजन आदि कंप्यूटर की इन्हीं विशेषताओं के कारण इसमें एक से अधिक कार्य किए जा सकते हैं।
आज कंप्यूटर मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है । हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि प्रत्येक क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है ।जिन का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है
1. Desktop publishing
आज कंप्यूटर का सबसे अधिक प्रयोग डेक्सटॉप पब्लिशिंग के क्षेत्र में किया जा रहा है। किसी भी प्रकार का दस्तावेज तैयार करने तथा उसे प्रिंट करने से संबंधित कार्य को डेक्सटॉप पब्लिशिंग कहां जाता है। इसका प्रयोग इस क्षेत्र में पुस्तके, निमंत्रण पत्र ,समाचार पत्र और अन्य विभिन्न प्रकार के दस्तावेज तैयार करने के लिए किया जाता है पहले इन दस्तावेजों को कंप्यूटर द्वारा तैयार किया जाता है उसके बाद इन्हें किसी भी माध्यम ( प्रिंटर ,ऑफसेट, प्रिंटिंग प्रेस) द्वारा प्रिंट किया जा सकता है।
2. Business and E-COMMERCE
कंप्यूटर का प्रयोग व्यापारिक लेन देन को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है ।कंप्यूटर और इंटरनेट का प्रयोग कर विश्व बाजार में कहीं से भी लेन देन किए जा सकते हैं बैंकों में भी कंप्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे कार्य क्षमता वह गति में वृद्धि हुई है।
3. Electronic Mail
लिखित संदेश को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजने की प्रक्रिया ईमेल कहलाती है। इंटरनेट का विकास होने से पहले संदेश भेजने के लिए बहुत अधिक समय लगता था लेकिन आज इंटरनेट और कंप्यूटर के माध्यम से संदेशों को विश्व में किसी भी स्थान पर कुछ ही क्षणों में भेजा जा सकता है। इससे समय व धन दोनों की बचत होती है।
4. Medical Science
चिकित्सा सेवाओं में भी कंप्यूटर का प्रयोग हो रहा है। स्वास्थ्य संबंधी जांच के लिए कंप्यूटर या कंप्यूटर से संबंधित कई यंत्र काम में लिए जा रहे हैं स्वास्थ्य संबंधी जांच जैसे सीटी स्कैन ,चेकअप ,अल्ट्रासाउंड आदि में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
5. Education
शिक्षा में भी कंप्यूटर का अधिकाधिक प्रयोग हो रहा है। जटिल विषय को समझने ,कठिन गणनाए हल करने ,प्रेजेंटेशन देने ,महत्वपूर्ण सूचनाओं को स्टोर करने ,ऑनलाइन शिक्षा देने आदि में कंप्यूटर बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। आज बड़ी बड़ी शिक्षण संस्थाएं कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य कर रही है तथा विद्यार्थियों को अध्ययन भी इसी के द्वारा करवा रही है। कंप्यूटर का विकास होने के साथ ही आज ब्लैक बोर्ड का स्थान प्रोजेक्टर लेते जा रहे हैं । इनके द्वारा जटिल विषयों को आसानी से समझा जा सकता है।
6. Transport
कंप्यूटर का प्रयोग यातायात के क्षेत्र में भी हो रहा है। इसके द्वारा आप घर बैठे ही ऑनलाइन रेलवे तथा हवाई रिजर्वेशन करवा सकते हैं। टिकट काटने ,यातायात को निमंत्रण करने आदि कार्यों में कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
7. Entertainment
कंप्यूटर का प्रयोग मनोरंजन के क्षेत्र में वीडियो गेम खेलने ,गाने सुनने, फिल्म देखने आदि में किया जा रहा है ।मनोरंजन को अधिक रोचक बनाने के लिए कंप्यूटर द्वारा गानों की मिक्सिंग व री मिक्सिंग भी की जा रही है ।फिल्म निर्माण में भी इसका प्रयोग बढ़ता जा रहा है। खेलों में महत्वपूर्ण विवादों को इसके द्वारा आसानी से सुलझाया जा सकता है । दूरदर्शन पर चल चित्र प्रसारण में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
8. Administration
प्रशासनिक कार्यों में भी कंप्यूटर का उपयोग कर्मचारियों द्वारा किए गए कार्य को स्टोर करने व उसे मैसेज करने में किया जाहै । पुलिस विभाग में अपराधियों से संबंधित सूचनाओं को स्टोर करने के लिए इसका उपयोग कर रहा है ।कंप्यूटर का अधिक विकास होने के कारण इसका प्रयोग न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के द्वारा हाजिरी का भुगतान करने में भी किया जाने लगा है।
9. Net Banking
कंप्यूटर नेटवर्क का प्रयोग करते हुए इंटरनेट द्वारा आप घर बैठे ही अपने अकाउंट को मैनेज कर सकते हैं ।नेट बैंकिंग द्वारा अकाउंट बैलेंस से लेकर क्रेडिट कार्ड के भुगतान तक सभी कार्य आसानी से किए जा सकते हैं।
कंप्यूटर की कमियां ( drawbacks of computer )
1. अधिक कीमत (High Cost )
अधिक कीमत होने के कारण यह सामान्य व्यक्ति की पहुंच से बाहर है तथा मानवीय डाटा प्रोसेसिंग की बजाय कंप्यूटर डाटा प्रोसेसिंग की लागत अधिक होती है ,क्योंकि इसे ऑपरेट करने के लिए विद्युत तथा विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता होती है । अतः कंप्यूटर का प्रयोग करना काफी खर्चीला होता है।
2. बुद्धिमता का अभाव ( No Intelligence Power)
कंप्यूटर मानव की तरह सोच नहीं सकता यह यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों के आधार पर ही कार्य करता है। अर्थात इसमें स्वयं सोचने व निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है।
3. वायरस से सुरक्षा का अभाव ( Virus – Threat )
वायरस कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बनाए गए कंप्यूटर प्रोग्राम्स होते हैं जो किसी भी माध्यम ( Floppy, CD, Pen, Drive, Internet ) द्वारा कंप्यूटर में घुसकर उसे हानि पहुंचाते हैं । यह महत्वपूर्ण फाइलों को नष्ट कर देते हैं ।जिन्हें पुणे प्राप्त करना कठिन होता है कंप्यूटर में इनसे सुरक्षा के पूर्ण इंतजाम नहीं है।
कंप्यूटर की पीढिया ( Generation Of Computer )
कंप्यूटर के विकास के इतिहास को हम एक समय अंतराल में विकसित की गई नई तकनीक के आधार पर 5 पीढ़ियों में समझ सकते हैं । प्रत्येक पीढ़ी में कंप्यूटर के मूलभूत सिद्धांत व उसके किसी भाग में नई तकनीक के विकसित होने पर एक नई पीढ़ी की शुरुआत होती है । गणना कर के लिए बने पहले उपकरण से लेकर आधुनिक कंप्यूटर के आविष्कार तक का समय 5 भागों में विभाजित किया गया है जिनका वर्णन निम्न प्रकार है।
प्रथम पीढ़ी ( First Generation ) 1946 – 1955
कंप्यूटर की प्रथम पीढ़ी की शुरुआत 1946 में हुई थी इस पीढ़ी के कंप्यूटर में आंतरिक मेमोरी के लिए वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था । इनकी प्रोग्रामिंग बहुत कठिन थी तथा ये स्टोर प्रोग्राम के सिद्धांत पर कार्य करते थे । इस पीढ़ी का मुख्य कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रटर एंड केलकुलेटर था जो एक्ट तथा मैक्ली के द्वारा 1946 में विकसित किया गया था ।
द्वितीय पीढ़ी ( Second Generation ) 1956- 1965
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर्स में वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया जाता था। इसका विकास जॉन बर्लिन और विलियम वी शौकलीय ने अमेरिका की वेल प्रयोगशाला में किया था इसी पीढ़ी के कंप्यूटर्स में प्राइमरी मैमोरी के लिए मैग्नेटिक कोर का प्रयोग किया जाता था। UNIVAC 1108 इस पीढ़ी का मुख्य कंप्यूटर था। इस काल में कंप्यूटर्स का प्रयोग व्यापार तथा उद्योग में किया जाने लगा।
तृतीय पीढ़ी ( Third Generation) 1966-1970
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर में बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए थे। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में आंतरिक कार्यों के लिए इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का प्रयोग किया गया था । ट्रांजिस्टर व कैपेस्टर आदि को मिलाकर एक चिप बनाई गई , जिसे इंटीग्रेटेड सर्किट कहां गया । यह इस पीढ़ी का महत्वपूर्ण आविष्कार था ।इंडिकेटेड सर्किट को प्रयोग में लेने के कारण कंप्यूटर आकार में छोटे , गति में काफी तेज तथा अधिक विश्वसनीय हो गए।
चतुर्थ पीढ़ी (Fourth Generation) 1971-1985)
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर्स में VLSI तथा माइक्रोचिप का प्रयोग किया जाने लगा ।इसका विकास सीपीयू के एक चप्पल डिजाइन होने पर संभव हुआ। इस कार्य को VLSI ने संभव बनाया था ।इंटेल कॉरपोरेशन ने 1971 में माइक्रोचिप का विकास किया तथा Ed Roberts द्वारा प्रथम माइक्रो कंप्यूटर डिजाइन किया गया था।
पंचम पीढ़ी ( Fifth Generation) 1985 से अब तक
आज सभी क्षेत्रों में पंचम पीढ़ी के कंप्यूटर का ही प्रयोग किया जा रहा है । वैज्ञानिक कंप्यूटर्स में कृत्रिम बुद्धिमता का प्रयोग कर रहे हैं जिससे कंप्यूटर मानव की तरह सोच व समझ सके और कार्य कर सकें।
डाटा और सूचना (Data & Information )
जब आप कंप्यूटर का विचार करते हैं ,तो आप शायद सिर्फ मॉनिटर या कीबोर्ड के बारे में ही सोचते हैं ।लेकिन इसके अलावा कंप्यूटर में और भी बहुत कुछ होता है ।माइक्रो कंप्यूटर सूचना प्रणाली का एक अंग होता है ।
सूचना प्रणाली के 5 भाग होते हैं। यह निम्न प्रकार हैं
1. यूज़र: सूचना प्रणाली के 5 अंकों में से इस अंग को नजरअंदाज करना आसान है । सभी कंप्यूटर्स का संबंध किसी न किसी रूप में यूजर से ही होता है । कंप्यूटर्स लोगों और यूजर्स की कार्य क्षमता को बढ़ाते है।
2. प्रक्रिया: जिन नियमों या निर्देशों का पालन करके लोग सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर एवं आंकड़ों का उपयोग करते हैं ,उन्हें प्रक्रिया ए कहते हैं । यह प्रक्रिया कंप्यूटर विशेषज्ञों के द्वारा पुस्तिकाओं के रूप में तैयार की जाती है ।सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर बनाने वाली कंपनियां इन मैनुअल को अपने उत्पाद के साथ देते हैं ।यह मैनुअल छपे हुए या इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में हो सकते हैं।
3. सॉफ्टवेयर : यह एक प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर को कार्य करने के लिए क्रमानुसार निर्देश देता रहता है ।प्रोग्राम या प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहते हैं । सॉफ्टवेयर का उद्देश्य आंकड़ा को सूचना में बदलता है
4. हार्डवेयर : सूचना तैयार करने के लिए आंकड़ों को प्रोसेस करने वाले उपकरण हार्डवेयर के कहलाते हैं ।इसके अंतर्गत कीबोर्ड, माउस ,मॉनिटर ,सिस्टम यूनिट और अन्य उपकरण आते हैं । कंप्यूटर को हार्डवेयर सॉफ्टवेयर द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है।
5. आंकड़े : अन्य प्रोसेस तथ्य, जैसे टेक्स्ट ,संख्याएं, चित्र और आवाजों ,को आंकड़े कहते हैं । प्रोसेस किए गए आंकड़े सूचना प्रदान करते हैं।
आज लगभग तभी कंप्यूटर्स सूचना प्रणाली का एक अभिन्न अंग बन गए हैं । कनेक्टिविटी की मदद से विभिन्न कंप्यूटर आपस में जुड़ कर सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं। इंटरनेट कनेक्शन के साथ-साथ यह कनेक्शन टेलीफोन, केबिल या हवा के माध्यम से होता है । कनेक्टिविटी की मदद से यूजर्स अपनी सूचना प्रणाली की क्षमता एवं उपयोगिता का अत्यधिक विस्तार कर सकते हैं । एक कुशल यूजर बनने के लिए आपको सूचना प्रौद्योगिकी के मूल तत्व के साथ-साथ सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर तथा आंकड़ों को समझना भी आवश्यक है।
Q.1 कंप्यूटर में क्या आता है ?
जैसे सीपीयू, कीबोर्ड, माउस, स्पीकर, प्रिंटर आदि. ये सभी कंप्यूटर के बाहरी हार्डवेयर (External Hardware) हैं. इसके अतिरिक्त जो CPU के इंटरनल पार्ट में लगे होते हैं. जैसे की Motherboard, RAM, ROM, Processor, Disk Drive, SMPS, CPU Fan etc.
Q.2 कंप्यूटर के भाग कौन कौन से हैं ?
कंप्यूटर के 5 मुख्य भाग | 5 Main Parts of Computer
इनपुट आउटपुट डिवाइस (Input-Output Device) …
सिस्टम यूनिट (System Unit) …
Computer मेमोरी (Memory) …
Computer Memory – मेमोरी दो किस्मों की होती है, रौम (ROM) और रैम (RAM) …
स्टोरेज यूनिट (Storage Unit) …
संचार …
मॉनिटर (Monitor) …
की-बोर्ड (Keyboard)
Q.3 कंप्यूटर को हिंदी में क्या बोलते हैं?
कंप्यूटर के हिंदी में कई नाम हैं, कंप्यूटर गणना करता है इसलिये इसे संगणक ( SANGANAK ) कहते हैं, यह कंप्यूटर का सबसे कॉमन हिंदी नाम है कंप्यूटर को अभिकलित्र इसलिये कहते हैं क्योंकि यह एक अभिकलक यंत्र ( Programmable Machine ) है,
Q.4 विश्व का सबसे पहला कंप्यूटर का नाम क्या था?
1945 में J. Presper Eckert और John Mauchly के द्वारा द्वारा दुनिया का सबसे पहले Electronic Computer ENIAC (Electronic Numerical Integrator And Computer) का आविष्कार किया गया.
Q.5 भारत का प्रथम कंप्यूटर कौन सा है?
भारत में कंप्यूटर युग की शुरुआत सन १९५२ में भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता से हुई थी। सन १९५२ में आई एस आई में एक एनालोंग कंप्यूटर की स्थापना की गई थी जो भारत का प्रथम कंप्यूटर था। यह कंप्यूटर १० X १० की मैट्रिक्स को हल कर सकता था।
निष्कर्ष :- इस लेख के माध्यम से कंप्यूटर का परिचय के बारे में पूरी डिटेल से जाना जो कि आपके एग्जाम की दृष्टि से कंप्यूटर का परिचय बहुत ही महत्वपूर्ण है आशा करता हूं कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी
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