ओजोन परत क्या है-O3
ओजोन ऑक्सीजन का ही एक दूसरा अपररूप है परमाणु संख्या 2 से ऑक्सीजन स्थाई रूप में होती है किंतु ओजोन में 3 परमाणु होते हैं अतः यह अपेक्षाकृत कम स्थाई होती है
यह वायुमंडल के समताप मंडल में पृथ्वी की सतह से 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक सघन वह लगभग 20 किलोमीटर मोटाई का एक गहरा होता है
यह गैस गुरुत्वाकर्षण बल के कारण एक परत के रूप में पृथ्वी के चारों ओर तनी रहती है
इसी ओजोन परत के कारण पृथ्वी को विलक्षण ग्रह होने का दर्जा मिलता है
- समताप मंडलिय ओजोन लगातार उत्पन्न और नष्ट हो रही है वायुमंडल में इसका निर्माण एक स्वभाविक प्राकृतिक क्रिया है
- जब सूर्य की किरणें वायुमंडल की ऊपरी सतह से टकराती हैं तो उच्च ऊर्जा विकिरण से आणविक ऑक्सीजन का कुछ भाग ऑक्सीजन परमाणु से मिलकर ओजोन मैं बदल जाता है
- ऐसा वायुमंडल में विद्युत अपघटन वह मोटर वाहनों के विद्युत स्पार्क से भी होता है
O2——- O+O = PARMANU
O+O2 —– O3 OZONE
ओजोन परत का महत्व
- ओजोन परत हमारे लिए एक रक्षा कवच का कार्य करती है इसका मुख्य कार्य सूर्य के प्रकाश में उपस्थित हानिकारक पराबैंगनी किरणें को अवशोषित कर पृथ्वी पर पहुंचने से रोक ना है
- तथा यहां पर रहने वाले जीवो की रक्षा करना है सीधे शब्दों में कहें तो यह फिल्टर का कार्य करती है तथा पृथ्वी के तापमान नियमन में सहायता करती है
ओजोन छिद्र (ozone Hole)
ओजोन
जिसे हम ओजोन छिद्र के नाम से जानते हैं वह वस्तुतः कोई छिद्र नहीं है बल्कि समताप मंडल में उपस्थित ओजोन की सघन व मोटी पर्थ का छीन होना या पतला होना है इसे ओजोन परत छरण या ओजोन छिद्र कहते हैं
सर्वप्रथम 1985 में अंटार्कटिका ध्रुव पर ओजोन स्तर की मोटाई में कमी दिखाई दी एक सर्वेक्षण के अनुसार 1977 से 1984 के मध्य ओजोन में 40% कमी पाई गई
ओजोन परत को छीन के नुकसान
- ओजोन परत को छीन कर के उसकी मोटाई को कम करने वाले मुख्य कारक मानवीय कारण है
- वैज्ञानिकों के अनुसार मानव की विभिन्न गतिविधियां एवं क्रियाकलाप जोकि प्रदूषण को बढ़ा रही हैं
- ओजोन गैस की कमी का मुख्य कारण है आपके लिए यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि दैनिक उपयोग में आने वाले कुछ ऐसे उपकरण हैं
- जिनकी Ozone लेयर को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका है
जैसे फ्रिज एयर कंडीशनर रूम हीटर परफ्यूम हेयर स्प्रे फॉर्म को पैक करने वाली सामग्री आदि क्योंकि इन उत्पादों को बनाने में एचबीएफसी व सीएफसी गैसों का प्रयोग किया जाता है
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैज्ञानिकों ने केमिकल्स का एक ऐसा समूह खोजा था
- जो काफी देर तक ठंडा प्रभाव देता था इस ग्रुप के रसायनों को क्लोरोफ्लोरोकार्बंस नाम दिया गया
- दूसरा ग्रुप था एलॉन्स जो फायर प्रोटेक्शन या अग्निशमन जहाजों वायुयानो एवं कंप्यूटर कंट्रोल के रूप में काम आता है
तीसरा समूह हाइड्रोफ्लोरोकार्बंस का है जो मुख्यतः रेफ्रिजरेशन फॉम ब्लोइंग वेसीएफसी की जगह प्रयुक्त होता है
- सीएफसी (CFC) गैस बहुत स्थाई होती हैं यह वी में 25 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाती हैं
- वहां पर उपस्थित पराबैंगनी किरणें इसमें से मुक्त क्लोरीन या ब्रोमीन अलग कर देती हैं
- यह मुक्त मूलक Ozone से क्रिया कर उसे O2 परमाणु में विभक्त कर देता है
- सीएफसी का एक अनु अकेला ही Ozone के कई हजार अणुओं को खत्म कर सकता है
- इस प्रकार Ozone परत का छह होता है
ओजोन परत छय के दुष्प्रभाव और इससे प्रभावित होता जनजीवन
- Ozone परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों के लिए फिल्टर का काम करती है
- इस तरह पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखती है लेकिन Ozone लेयर में ऑल हो जाने से हानिकारक पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुंच रही हैं
- जिससे ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे
मोतियाबिंद त्वचा का कैंसर अल्सर ब्रोक आईटी अस्थमा आदि बीमारियां बढ़ रही हैं
तथा प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है
ओजोन परत की सुरक्षा के उपाय
- Ozone भारत की हानि के ज्ञान के बाद 1985 में वियना सम्मेलन वे 1987 में कनाडा के मांट्रियल में एक अंतरराष्ट्रीय समझौता पारित किया गया
- जिस पर लगभग सभी देशों ने हस्ताक्षर किए गए इसमें सीएफसी के उत्पादन और खपत को समाप्त करने तथा इनके विकल्प की खोज करने का निश्चय किया गया
- किंतु कुछ खामियों के चलते पूरी तरह ऐसा नहीं हो पाया है लंदन सम्मेलन 1990 में विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को सीएफसी रहित तकनीकी वह धन उपलब्ध कराने की बात हुई
- 1992 में कोपेनहेगन सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि जहां तक सही हो सभी देश http://ओजोन मैत्री कारक पदार्थों के उपयोग को बढ़ाकर सीएफसी का उपयोग समाप्त करेंगे
महत्वपूर्ण प्रश्न
1 सीएफसी क्या होते हैं
2 सीएफसी के मुख्य स्रोत क्या होते हैं