Golden Classes
    Facebook Twitter Instagram
    Golden Classes
    • Home
    • Sarkari Yojna
    • Subject
      • PHYSICS
      • Psychology
      • Philosophy
      • Geography
        • World Geography
        • Rajasthan Geography
        • India Geography
      • Arts & Culture
      • Science
      • Computer
      • हिंदी Hindi
      • History
        • Rajasthan History
        • Modern History
        • Medieval History
        • Ancient History
      • Political Science
      • Economy
    • Govt Jobs
    • Motivational
    • Web Stories
    • Others
      • Full Form
    Golden Classes
    Home»History»Ancient History»उत्तर वैदिक काल शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ क्या है? भाग 3
    Ancient History

    उत्तर वैदिक काल शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ क्या है? भाग 3

    By NARESH BHABLAApril 30, 2020Updated:May 3, 2020No Comments2 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से
    शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    उत्तर वैदिक काल शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ

    हम उम्मीद करते हैं कि आपने भाग 1 और 2 पढ़ लिया होगा अब हम तीसरे भाग की तरफ हैं जिसमें उत्तर वैदिक काल की आर्थिक स्थिति’ के बारे में बात करेंगे http://उत्तर-वैदिक-काल-1000-600bc-भाग-2

    उत्तर वैदिक काल आर्थिक स्थिति

    आर्थिक स्थिति उत्तर वैदिक काल की कृषि पर निर्भर थी और इसकी जानकारी हमें शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से मिलती है इसे चार भागों में बांटा गया

    जोताई बुवाई कताई मदाही

    काड़क संहिता इसमें 24 बैलों के द्वारा जो तय की गई थी

    शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से कृषि की जानकारी मिलती है कृषि की चार क्रियाएं बताई गई है जोताई बुवाई कटाई और मड़ाई

    कडक संहिता में 24 बेलो के द्वारा खेती किए जाने का उल्लेख मिलता है

    ब्रीही धान को कहते थे

    यह जो को कहते थे

    मान उड़द को कहते थे

    गोधूम गेहूं को कहते थे

    अन्न ब्रह्म को कहते थे

    हल सिर को कहते थे

    अन्य बिंदु

    उत्तर वैदिक काल में महाजन प्रथा की शुरुआत हुई जिनकी जानकारी शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से मिलती है इस काल में ऋण के लिए कुशीत शब्द का प्रयोग किया गया है

    उत्तर वैदिक काल में मुद्रा का प्रचलन हो चुका था परंतु व्यापार वस्तु विनिमय के माध्यम से होता था निष्क सतवान व कृष्णन माप की विभिन्न इकाइयों थी

    अर्थ वेद में सर्वप्रथम चांदी का उल्लेख मिलता है ब्राह्मणों को दक्षिणा देने में चांदी का प्रयोग किया जाता था

    उत्तर वैदिक काल का धार्मिक जीवन

    उत्तर वैदिक काल में युद्ध के अवसर पर मंत्रों का उच्चारण होने लगा इंद्र के स्थान पर

    ब्रह्मा विष्णु महेश लोकप्रिय हो गए

    उत्तर वैदिक काल में बहुदेववाद बाद

    वासुदेव संप्रदाय शड़दर्शन अस्तित्व में आए

    मुंडकोपनिषद् में यज्ञ को फूटी हुई नाव के समान बताया गया है

    शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से

    1 2 3 4 5 6 7 8 8 9 0

    हमने उत्तर वैदिक काल को तीन भागों में डाला है आप सभी को पढ़ें

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email

    Related Posts

    प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक Ancient Indian Scientist

    September 12, 2020

    प्राचीन भारत के साहित्य Religious literature source

    September 12, 2020
    Add A Comment

    Leave A Reply Cancel Reply

    Popular Post
    हिंदी Hindi

    हिंदी भाषा के विविध रूप | भाषा के भेद और प्रकार

    By NARESH BHABLAFebruary 8, 2022

    हिंदी भाषा के विविध रूप – भाषा का सर्जनात्मक आचरण के समानान्तर जीवन के विभिन्न…

    Relationship सामाजिक अध्ययन का अन्य विषयो संबंध

    July 2, 2020

    Public Policy: भारत की लोकनीति क्या है?

    August 29, 2020

    chemistry formulas in Hindi | रासायनिक सूत्र की लिस्ट

    January 31, 2022

    E-commerce ई-कॉमर्स क्या है व इसके कार्य???

    July 19, 2020
    Facebook Twitter Instagram Pinterest
    • Home
    • About Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    Copyright © 2023-24 goldenclasses.com All Rights Reserved
    All Logos & Trademark Belongs To Their Respective Owners.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.