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    Home»History»Ancient History»उत्तर वैदिक काल में पंच महायज्ञ है? 1000-600BC भाग – 2
    Ancient History

    उत्तर वैदिक काल में पंच महायज्ञ है? 1000-600BC भाग – 2

    By NARESH BHABLAApril 30, 2020Updated:May 3, 2020No Comments2 Mins Read
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    शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से
    शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ से
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    आपने उत्तर वैदिक काल में पंच महायज्ञ का पहला भाग जरूर पढ़ा होगा उसके लिए धन्यवाद अब दूसरे भाग में आपका स्वागत है जिसमें हम उत्तर वैदिक काल के अंत तक आपको अवगत कराएंगे

    Page Contents

    • उत्तर वैदिक काल में पंच महायज्ञ
    • ऋण यह तीन प्रकार के होते हैं
      • उत्तर वैदिक काल के सामाजिक संगठन

    उत्तर वैदिक काल में पंच महायज्ञ

    उत्तर वैदिक काल में जनसाधारण के लिए पंच महायज्ञ करना अनिवार्य कर दिया

    1 ब्रह्मयज्ञ

    2 देवयज्ञ

    3 पितृयज्ञ

    4 मनुष्ययज्ञ

    5 भूतयज्ञ

    ऋण यह तीन प्रकार के होते हैं

    1 देव ऋण

    2 ऋषि ऋण

    3 पित्र ऋण

    उत्तर वैदिक काल के सामाजिक संगठन

    आधार=जन्म आधारित

    वर्ण 4= ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र

    श्रेणी व्यापारियों का समूह

    प्रधान व्यापारी श्रेष्ठ इन कहलाता था

    व्यापार के समय सबसे आगे चलने वाला व्यापारी सार्थवाह कहलाता था

    ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य को उपनयन संस्कार का अधिकार माना गया इन तीनों को सम्मिलित रूप से दूज कहा गया

    उत्तर वैदिक काल में तीन आश्रम व्यवस्था में प्रचलित थी

    ब्रह्मचर्य गृहस्थ वानप्रस्थ

    जवालो उपनिषद में चारों आश्रमों का पहली बार उल्लेख मिलता है

    ब्रह्मचर्य गृहस्थ वानप्रस्थ सन्यास

    चार पुरुषार्थ

    धर्म अर्थ काम मोक्ष

    उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति में गिरावट दर्ज की गई महिलाओं को उपनयन संस्कार का अधिकार नहीं माना गया

    शिक्षा से वंचित किया गया राजनीति में भाग लेने का अधिकार छीन लिया गया परंतु फिर भी उच्च वर्ग की महिलाओं को शिक्षा दी जाती थी

    पंच महायज्ञउत्तर वैदिक काल में पंच महायज्ञ

    उत्तर वैदिक काल का तीसरा भाग जरूर देखें जिसमें उत्तर वैदिक काल की आर्थिक स्थिति के बारे में बताया गया है धन्यवाद

    पंच महायज्ञ

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